चीन में बच्चे कम पैदा होने से अर्थव्यवस्था पर मंडराया ख़तरा

BBC Hindi
रविवार, 19 जनवरी 2020 (13:04 IST)
चीन में पिछले 70 सालों में पहली बार सबसे कम जन्म दर दर्ज की गई है। एक बच्चे वाली विवादित नीति को बदलने के बावजूद वहां जन्म दर में सुधार होता नहीं दिख रहा।
 
इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है और आने वाले समय में उसके सामने गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
 
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक़, 2019 में जन्म दर 10.48 प्रति एक हज़ार रही जो कि 1949 के बाद से सबसे कम है। साल 2019 में 1 करोड़ 46 लाख 50 हज़ार बच्चों ने जन्म लिया, जो पहले के मुक़ाबले 5 लाख 80 हज़ार कम थे।
 
पिछले कई सालों से चीन की जन्म दर में कमी आ रही है। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए चुनौती खड़ी हो गई है।
 
दरअसल, चीन की जन्म दर में तो गिरावट आ ही रही है, वहां पर मृत्यु दर भी कम है। इस कारण आबादी लगातार बढ़ रही है। साल 2019 में यह 1.39 अरब से बढ़कर 1.4 अरब हो गई।
 
इन हालात ने चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं क्योंकि इससे वहां कामकाजी युवाओं की संख्या कम होती चली जाएगी और देश पर रिटायर होते बूढ़े लोगों की ज़िम्मेदारी भी आ जाएगी।
 
अमेरिका से भी पीछे
चीन की जन्म दर अमेेेेरिका से भी कम है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, अमेेेेरिका में 2017 में प्रति एक हज़ार लोगों पर जन्म दर 12 थी।
 
इंग्लैंड और वेल्स में 2019 में जन्म दर 11.6 थी जबकि स्कॉटलैंड में यह 9 रही। उत्तरी आयरलैंड में 2018 में जन्म दर 12.1 थी।
 
इस मामले में चीन की स्थिति जापान से बेहतर है क्योंकि वहां पर जन्म दर 8 ही है। यह दर कितनी कम है, इसका अंदाज़ा वैश्विक जन्म दर से तुलना करने पर लगया जा सकता है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़, 2017 में वैश्विक जन्म दर 18.65 रही थी।
 
ऐसी स्थिति क्यों?
1979 में चीन सरकार ने देश भर में एक बच्चे की नीति लागू की थी। इससे वो देश की जनसंख्या पर लगाम लगाना चाहती थी।
 
इस नीति का उल्लंघन करने वालों को कड़ी सज़ा देने का प्रावधान था। उल्लंघन करने वाले परिवारों पर जुर्माने लगाए जाते थे, उनकी नौकरी छीन ली जाती थी और कई बार गर्भपात करवाने के लिए मजबूर कर दिया जाता था।
 
लेकिन इस नीति को लिंग असंतुलन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक़, अब भी पुरुषों की संख्या वहां महिलाओं से लगभग तीन करोड़ अधिक है।
 
2015 में सरकार ने एक बच्चे की नीति ख़त्म कर दी और दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी गई। इस सुधार के तुरंत बाद दो साल तक तो जन्म दर बढ़ी लेकिन देश की गिरती जन्म दर को संभाला नहीं जा सका।
 
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे इसलिए हुआ क्योंकि नीति में छूट देने के साथ-साथ दूसरे ज़रूरी बदलाव नहीं किए गए, जिसमें बच्चे की देखभाल के लिए आर्थिक सहायता और पिता को मिलने वाली छुट्टियां शामिल हो सकती थीं। उनका कहना है कि अधिकतर लोग एक से ज़्यादा बच्चों का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं। 

कौन थे रजाकार, कैसे सरदार पटेल ने भैरनपल्ली नरसंहार के बाद Operation polo से किया हैदराबाद को भारत में शामिल?

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में बंजारुमाले गांव में हुआ 100 प्रतिशत मतदान

धीरेंद्र शास्‍त्री के भाई ने फिर किया हंगामा, टोल कर्मचारियों को पीटा

प्रवेश द्वार पर बम है, जयपुर हवाई अड्‍डे को उड़ाने की धमकी

दिल्ली में देशी Spider Man और उसकी Girlfriend का पुलिस ने काटा चालान, बाइक पर झाड़ रहा था होशियारी

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च

क्या iPhone SE4 होगा अब तक सबसे सस्ता आईफोन, फीचर्स को लेकर बड़े खुलासे