#100Women: पति को छोड़ सहेली से की शादी

Webdunia
शनिवार, 3 दिसंबर 2016 (14:37 IST)
चीन में किसी भी महिला पर शादी करने का ज़बरदस्त दबाव रहता है। ऐसे में कोई समलैंगिक महिला क्या करे? राजधानी बीज़िंग में रहने वाली 32 साल की ओ शियाओबाई ने बीबीसी को पूरी बात विस्तार से बताई। उन्होंने बताया कि किस तरह परिवार को खुश करने के लिए उन्होंने एक पुरुष से शादी कर ली। और उसके बाद क्या हुआ। शियाओबाई की कहानी, उन्हीं की जुबानी।
मैं चाहती हूं कि मेरी सहेली जीवन में कभी भी असुरक्षित महसूस ना करे। और मैं जीवन भर उनके साथ ही रहना चाहती हूं। इसीलिए मैंने 2012 में एक पुरुष से शादी कर ली। बीजिंग में मैं अपनी सहेली के साथ रहती थी और बेहद खुश थी। लेकिन डलियान में रह रहे मेरे परिवार के लोग मुझ पर शादी का लगातार लगातार दवाब बना रहे थे।
 
मुझसे बार-बार पूछा जाता था कि क्या मैं किसी से प्यार करती हूं। लेकिन ये वो वक्त था जब समलैंगिकता को लेकर लोग कम जागरूक थे। यही वजह थी कि लोगों को मेरे संबंध पर शक भी कम होता था।
 
पिता के गुजर जाने के बाद हालात बदतर हो गए। मां इस बात से परेशान थी कि मैं घर-परिवार नहीं बसा रही हूं। वे मेरे पास आ गईं, कुछ महीनों के लिए। अब तो बचने का कोई उपाय नहीं था। फिर हम दोनों सहेलियों ने मशविरा किया। तब हमारे ज़हन में "सुविधा की शादी" का ही ख़्याल आया।
 
एक दोस्त के ज़रिए अपने होने वाले पति से मिली। वे अच्छे इंसान हैं। वे भी उन दिनों मेरी ही तरह अपने एक दोस्त के साथ समलैंगिक रिश्ते में थे। हमने विवाह कर लिया। मुझे लगा कि मेरा फ़ैसला एकदम सही था।
 
मेरी वो सहेली इस विवाह में हर कदम पर मेरे साथ थी। उसने मेरी शादी के कपड़े बनवाए अपनी पसंद से, मेरा मेकअप किया और शादी में ब्राइड्समेड भी बनी। इसी तरह मेरे पति का दोस्त भी इस विवाह से बहुत खुश था और उसने भी उनकी हर तरह से मदद की।
 
पहले मैं और मेरे पति दोनों अपने अपने परिवार के रिश्तेदारों से मिले, पारंपरिक रूप से सारा काम किया। बाद के दो साल में हर किसी को भरोसा हो गया कि हम पति पत्नी के रूप में रच-बस गए। लेकिन ये सब दिखावा था। हम सचमुच में पति पत्नी नहीं थे।
 
मैं पहले की तरह ही अपनी समलैंगिक सहेली के साथ रहती हूं, मेरे पति अपने समलैंगिक दोस्त के साथ रहते हैं। हम चारों मिलते-जुलते रहते हैं और बाहर खाने-पीने भी जाते हैं। लेकिन बाद में हमारी सेक्सुअलिटी के बारे में जानने वाले दोस्त सवाल करने लगे। हमें इसका अहसास हुआ कि हम जैसे और भी बहुत लोग हैं, जिन्हें सचमुच मदद की ज़रूरत है।
 
चीन में सात करोड़ समलैगिक हैं। इनमें से कई ऐसी महिलाएं भी हैं जो मूल रूप से समलैंगिक हैं, पर दवाब में पुरुष से शादी करने को मजबूर हो जाती है। हमने सोशल मीडिया पर आईहोम नाम से सेवा शुरू की। इसके ज़रिए हमने 80 से ज़्यादा कार्यक्रम किए। सौ से अधिक "सुविधा की शादी" करवाई। हमने आईहोम ऐप भी उतार दिया है।
 
पर हमने यह समझा है कि इस तरह की "सुविधा की शादी" दूसरे कई लोगों के लिए काफ़ी भयावह भी रही है। यदि परिवार के दूसरे लोग भी उसी शहर में रहते हों और यकायक एक दिन बग़ैर बताए हुए किसी के घर धमक जाएं तो बड़ी मुश्किल हो सकती है। इसके अलावा लगातार यह सवाल भी पूछा जाता है कि "बच्चे कब पैदा कर रहे हो।?"
 
यदि आईवीएफ़ तरीके से बच्चा पैदा किया जाए तो सवाल उठने लगता है कि क्या बच्चे की परवरिश उसके जैविक माता-पिता करेंगे।
अब तक हम लोग बच्चे के सवाल को टालते रहते हैं। फ़िलहाल मैं अपनी इस सहेली के लिए एक पति की तलाश में हूं।
 
मैं हाई स्कूल के दिनों से ही सहेली के घर जाती रही हूं। और वे लोग मुझे जानते हैं। पर डर इस बात है कि कहीं वे हमारे यौन रुझान की बात न जान जाएं। मुझे नहीं लगता कि मैं हमेशा इस सच को छुपाती रहूंगी। देर सबेर हमें अपना सच लोगों को बताना होगा।
 
लेकिन मुझे उम्मीद है कि चीनी समाज समलैंगिकों को लेकर अधिक उदार हो जाएगा। ऐसा होने से मेरी मां के लिए मुझे स्वीकार करना आसान होगा। मैं चाहती हूं कि मेरा परिवार मुझे पूरी सच्चाई के साथ स्वीकार कर ले। मैं और मेरी सहेली चाहती हैं कि हम समाज को हम जैसे लोगों को बेहतर समझने में मदद करें। पर इस मुद्दे पर मुखर और आक्रामक होने से काम नहीं चलेगा।
 
हम "सुविधा की शादी" को व्यवहारिक मान कर इसका इस्तेमाल बढ़ाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इससे समाज और समलैगिकों की बीच का टकराव कम हो। हम इस रास्ते पर चलते रहेंगे और इस लड़ाई को आगे बढ़ाते रहेंगे।

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