माराडोना: 'हैंड ऑफ़ गॉड' से 'सदी के गोल' तक, जीनियस और बदनाम डिएगो माराडोना की कहानी

BBC Hindi
गुरुवार, 26 नवंबर 2020 (07:19 IST)
अद्भुत, बदनाम, असाधारण, जीनियस और ग़ुस्सैल। डिएगो अरमांडो माराडोना। फ़ुटबॉल के एक ऐसे महानायक जिनमें कई ऐब भी थे।
 
फ़ुटबॉल के सबसे करिश्माई खिलाड़ियों में से एक, अर्जेंटीना के माराडोना के पास प्रतिभा, शोखी, नज़र और रफ़्तार का ऐसा भंडार था, जिससे वो अपने प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। उन्होंने अपने विवादित कदमों की वजह से अपने फ़ैंस को ग़ुस्सा भी दिलाया और नाराज़ भी किया।
 
माराडोना ने अपने विवादित 'हैंड ऑफ़ गॉड' गोल से सबको हैरत में डाला और मैदान के बाहर ड्रग्स और नशाखोरी जैसे मामलों में भी पड़े।
 
छोटे कद के माराडोना: फ़ुटबॉल के जीनियस
माराडोना का जन्म आज से 60 साल पहले अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के झुग्गी-झोपड़ियों वाले एक कस्बे में हुआ था।
 
अपनी ग़रीबी से लड़ते हुए वो युवावस्था आने तक फ़ुटबॉल के सुपरस्टार बन चुके थे। कुछ लोग तो उन्हें ब्राज़ील के महान फ़ुटबॉलर पेले से भी शानदार खिलाड़ी मानते हैं।
 
माराडोना ने 491 मैचों में कुल 259 गोल दागे थे। इतना ही नहीं, एक सर्वेक्षण में उन्होंने पेले को पीछे छोड़ '20वीं सदी के सबसे महान फ़ुटबॉलर' होने का गौरव अपने नाम कर लिया था।
 
हालाँकि इसके बाद फ़ीफ़ा ने वोटिंग के नियम बदल दिए थे और दोनों खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया था।
 
माराडोना विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं, यह उनके बचपन से ही नज़र आने लगा था। उन्होंने महज़ 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल जगत में क़दम रख दिया था।
 
कद से छोटे और शरीर से मोटे, सिर्फ़ पाँच फ़ीट पाँच इंच लंबाई वाले माराडोना कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं थे।
 
माराडोना के पास चतुराई, तेज़ी, चौकन्नी नज़र, फ़ुटबॉल को काबू में रखने की क्षमता और ड्रिब्लिंग जैसे गुण थे, जिन्होंने उनके ज़्यादा वज़न से कभी-कभार होने वाली दिक्कतों को ढँक लिया था।
 
'हैंड ऑफ़ गॉड' और 'गोल ऑफ़ द सेंचुरी'
माराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 91 मैच खेले, जिनमें उन्होंने कुल 34 गोल दागे। लेकिन ये उनके उतार-चढ़ाव भरे अंतरराष्ट्रीय करियर का एक हिस्सा भर ही है।
 
उन्होंने अपने देश को साल 1986 में मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और चार बार टूर्नामेंट के फ़ाइनल तक पहुँचाया।
 
1986 के वर्ल्ड कप के क्वार्टर फ़ाइनल में माराडोना ने कुछ ऐसा किया, जिसकी चर्चा हमेशा होती रहेगी।
 
मेक्सिको में क्वार्टर फ़ाइनल का यह मैच अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच था। दोनों देशों के बीच यह मैच पहले से ही ज़्यादा तनावपूर्ण था क्योंकि इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच सिर्फ़ चार साल पहले फ़ॉकलैंड्स युद्ध हुआ था।
 
22 जून 1986 को साँसें थमा देने वाले इस रोमांचक मैच के 51 मिनट बीत गए थे और दोनों टीमों में से कोई एक भी गोल नहीं कर पाया था।
 
इसी समय माराडोना विपक्षी टीम के गोलकीपर पीटर शिल्टन की तरफ़ उछले और उन्होंने अपने हाथ से फ़ुटबॉल को नेट में डाल दिया। हाथ का इस्तेमाल होने की वजह से यह गोल विवादों में आ गया।
 
फ़ुटबॉल के नियमों के अनुसार हाथ का इस्तेमाल होने के कारण यह गोल फ़ाउल था और इसके लिए माराडोना को 'येलो कार्ड' दिखाया जाना चाहिए था।
 
लेकिन उस समय वीडियो असिस्टेंस टेक्नॉलजी नहीं थी और रेफ़री इस गोल को ठीक से देख नहीं पाए। इसलिए इसे गोल माना गया और इसी के साथ अर्जेंटीना 1-0 से मैच में आगे हो गया।
 
मैच के बाद माराडोना ने कहा था कि उन्होंने यह गोल 'थोड़ा सा अपने सिर और थोड़ा सा भगवान के हाथ से' किया था। इसके बाद से फ़ुटबॉल के इतिहास में यह घटना हमेशा के लिए 'हैंड ऑफ़ गॉड' के नाम से दर्ज हो गई।
 
इसी मैच में इस विवादित गोल के ठीक चार मिनट बाद माराडोना ने कुछ ऐसा किया जिसे 'गोल ऑफ़ द सेंचुरी' यानी 'सदी का गोल' कहा गया।
 
वो फ़ुटबॉल को इंग्लैड की टीम के पाँच खिलाड़ियों और आख़िरकार गोलकीपर शिल्टन से बचाते हुए ले गए और गोल पोस्ट के भीतर दे डाला।
 
इस गोल के बारे में बीबीसी के कमेंटेटर बैरी डेविस ने कहा था, "आपको मानना ही होगा कि ये शानदार था। इस गोल के बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पूरी तरह से फ़ुटबॉल जीनियस है।"
 
इस मैच के बारे में माराडोना ने कहा था, "यह मैच जीतने से कहीं से ज़्यादा था। इसका मक़सद इंग्लैंड को वर्ल्ड कप से बाहर करना था।"
 
ड्रग्स और शराब में फँसा नेपोली का हीरो
 
माराडोना बार्सिलोना और नेपोली जैसे नामी फ़ुटबॉल क्लबों के लिए भी खेले और इन क्लबों के हीरो कहलाए। साल 1982 में वो तीन मिलियन पाउंड में स्पेन के फ़ुटबॉल क्लब बार्सिलोना और इसके दो साल बाद पाँच मिलियन पाउंड में इटली के क्लब नेपोली में शामिल हुए।
 
जब माराडोना हेलिकॉप्टर में सवार होकर इटली के सान पाओलो स्टेडियम पहुँचे तो वहां 80 हज़ार से ज़्यादा प्रशंसक अपने नए हीरो का स्वागत करने के लिए मौजूद थे।
 
उन्होंने अपने करियर का सबसे अच्छा क्लब फ़ुटबॉल इटली में ही खेला और वहाँ उन्हें अपने प्रशंसकों से ख़ूब प्रसिद्ध मिली।
 
इटली में माराडोना को इतनी शोहरत मिली को वो इससे तंग तक आ गए। एक बार उन्होंने कहा था, "यह एक बेहतरीन जगह है लेकिन मैं यहाँ मुश्किल से साँस ले पाता हूँ। मैं आज़ाद और बेफ़िक्र होकर इधर-उधर घूमना चाहता हूँ। मैं किसी आम इंसान की तरह ही हूँ।"
 
इस बीच उन्हें कोकीन की लत लग गई थी और उनका नाम इटली के कुख्यात माफ़िया संगठन कैमोरा से भी जुड़ गया था।
 
साल 1991 में माराडोना एक डोप टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए और अगले 15 वर्षों के लिए उन्हें फ़ुटबॉल से प्रतिबंधित कर दिया गया।
 
इसके बाद साल 1994 में अमरीका में होने वाले फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में माराडोना को प्रतिबंधित ड्रग एफ़ेड्रिन लिए पाया गया था। इसके बाद बीच टूर्नामेंट में ही उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
 
माराडोना टाइमलाइन
1977: अर्जेंटीना बनाम हंगरी- अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल में शुरूआत।
 
1982: बार्सिलोना में दो साल बिताने के बाद नेपोली में शामिल।
 
1986: अर्जेंटीना को वर्ल्ड कप जिताया।
 
1990: अर्जेंटीना को वर्ल्ड कप में रनर अप बनाया।
 
1991: ड्रग टेस्ट में पॉज़िटिव पाए जाने के बाद 15 महीने का प्रतिबंध।
 
1994: अमरीका में वर्ल्ड कप के दौरान डोप टेस्ट फ़ेल होने के बाद टूर्नामेंट से बाहर।
 
1997: तीसरे पॉज़िटिव टेस्ट के बाद प्रोफ़ेशनल फ़ुटबॉल से रिटायर हुए।
 
2010: दो साल तक अर्जेंटीना की टीम के मैनेजर। वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना के क्वार्टर फ़ाइनल से बाहर होने के बाद पद से अलग हुए।
 
रिटायरमेंट के बाद ज़िंदगी
तीसरी बार पॉज़िटिव पाए जाने के बाद माराडोना ने अपने 37वें जन्मदिन पर प्रोफ़ेशनल फ़ुटबॉल से रिटायरमेंट ले लिया था। हालाँकि इसके बाद भी विवाद और मुश्किलें उनका पीछा करती रहीं।
 
माराडोना ने एक बार एक पत्रकार पर एयर राइफ़ल से गोली चलाई थी जिसके लिए उन्हें दो साल 10 महीने के लिए जेल की सज़ा सुनाई गई थी।
 
कोकीन और शराब की लत की वजह से उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई तकलीफ़ें हो गई थीं। उनका वज़न भी काफ़ी बढ़ गया था और एक समय में 128 किलो तक पहुँच गया था। साल 2004 में माराडोना को दिल का दौरा पड़ा था जिसकी वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था।
 
मोटापा घटाने के लिए माराडोना की गैस्ट्रिक-बाइपास सर्जरी तक करानी पड़ी थी। इतना ही नहीं, ड्रग्स की लत से छुटकारा पाने के लिए भी मदद लेनी पड़ी थी।
 
इन सभी विवादों और परेशानियों के बावजूद साल 2008 में माराडोना को अर्जेंटीना की नेशनल टीम के मैनेजर के तौर पर नामित किया गया। उन्हें मैनेजर के तौर पर कई और भूमिकाएँ भी मिलीं, जिनके बारे में लोगों की राय बँटी रही और वो लगातार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बने रहे।
 
एक बार उनके कुत्ते ने उन्हें होठों पर काट लिया था जिसकी वजह से उन्हें सर्जरी करानी पड़ी।
 
माराडोना ने एक विवाहेतर संबंध से जन्मे अपने बेटे डिएगो अरमांडो जूनियर को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया था।
 
साल 2018 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में जब वो रूस में अर्जेंटीना और नाइजीरिया के बीच मैच देखने गए थे तब उनका एक फ़ोटो वायरल हो गया था। इस फ़ोटो से पता चला था कि माराडोना की जीवनशैली कितनी बिगड़ चुकी थी।
 
रूस में उन्होंने एक नाइजीरियाई फ़ैन के साथ डांस किया, मैच शुरू होने से पहले आसमान की ओर देखते हुए प्रार्थना की, मेसी के गोल पर बुरी तरह झूमकर सेलिब्रेट किया, मैच के दौरान ही सो गए और अर्जेंटीना के दूसरे गोल के बाद 'डबल मिडिल फिंगर सल्यूट' किया।
 
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार माराडोना का ज़िंदगी के आख़िरी बरसों में अपनी जीवनशैली सुधारने के लिए माराडोना को इलाज कराना पड़ा था।
 
यानी माराडोना बेहतरीन, बदनाम, शर्मनाक और मनोरंजक...सब थे। असाधारण ज़िंदगी वाले डिएगो माराडोना।

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