क्या अब भारतीय चुनावों को प्रभावित कर पाएगा फेसबुक?

Webdunia
गुरुवार, 12 अप्रैल 2018 (10:29 IST)
- त्रुषार बारोट

फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने बीते मंगलवार को अमेरिकी सीनेट के सामने पेश होकर बताया है कि फेसबुक भविष्य में दुनियाभर में होने वाले चुनावों में मतदाताओं को उनकी जानकारी के बिना प्रभावित किए जाने से रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है।
 
जुकरबर्ग ने बताया है कि भारत, ब्राजील, पाकिस्तान और हंगरी समेत दुनियाभर में अहम चुनाव होने वाले हैं। हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम इन चुनावों की गरिमा बनाए रखने के लिए सभी संभव कदम उठाएं। मुझे विश्वास है कि हम इस समस्या का समाधान करने जा रहे हैं।
 
ऐसे में सवाल ये है कि फेसबुक ऐसा क्या करने जा रहा है जिससे कि भारतीय आम चुनाव का हाल अमेरिका के हालिया राष्ट्रपति चुनाव जैसा न हो। इस चुनाव में रूसी तत्वों ने लाखों अमेरिकी फेसबुक यूजर्स तक पहुंचने वाले राजनीतिक विज्ञापन जारी किए।
 
भारत के चुनावों पर क्या बोले जुकरबर्ग?
 
फेसबुक ने इस हफ्ते से 5.5 लाख भारतीय यूजर्स को सूचना देना शुरू कर दिया है कि उनका डेटा ब्रितानी राजनीतिक कंसल्टिंग फर्म कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा इस्तेमाल किए जाने की संभावना है। ये वो कंपनी थी, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान से जुड़ी थी।
 
कंपनी का दावा था कि इसने ट्रंप के चुनाव अभियान में एक अहम भूमिका निभाई थी। इस कंपनी ने कथित तौर पर भारत में कांग्रेस और बीजेपी को अपनी सेवाएं देने की कोशिश और उनके लिए रिसर्च करने का काम किया है। हालांकि, अब तक किसी राजनीतिक पार्टी के हित में व्यक्तिगत जानकारियों के गलत प्रयोग से जुड़े प्रमाण सामने नहीं आए हैं।
 
क्या मोदी को पीएम बनाने में फेसबुक ने की थी मदद?
 
साल 2019 में होने वाले अगले आम चुनाव तक 50 करोड़ भारतीय नागरिकों के फेसबुक इस्तेमाल करने की संभावना है, ऐसे में इंटरनेट की मदद से मतदाताओं के बीच राजनीतिक संदेश फैलाने और उन्हें प्रभावित करने की संभावना बहुत ज्यादा है। भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोग अमेरिका या किसी दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा हैं।
 
ऐसे में फेसबुक पर इस बात का दबाव है कि ये अपना सिस्टम इतना दुरुस्त करे कि विदेशी एजेंसियां और फेक अकाउंट अमेरिकी चुनाव की तरह यहां भी फेसबुक का गलत इस्तेमाल न कर सकें। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी सीनेट के सामने पहले से तैयार किए गए बयान को पढ़ते हुए फेसबुक के आगामी कदमों की जानकारी दी।
 
फेसबुक फेक अकाउंट को हटाने और राजनीतिक अकाउंट्स को वैरिफाई करने के लिए हजारों लोगों की भर्ती करेगी। किसी भी विज्ञापनदाता की पहचान वैरिफाई करना, राजनीतिक और किसी मुद्दे पर विज्ञापन चलाने वाले पेज को वैरिफाई करना, फेसबुक दिखाएगा कि किसी भी राजनीतिक विज्ञापन के लिए किसने पैसे दिए, फेक अकाउंट की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग को बढ़ाएगा तथा उन रूसी अकाउंट्स को बंद किया जाएगा, जो फेक न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों को चला रहे थे।
 
राजनीति के लिए बेअसर हुआ फेसबुक?
 
क्या इसका ये मतलब है कि अब फेसबुक भारत में राजनीतिक पार्टियों के लिए आगामी चुनावों में प्रचार करने का मुख्य जरिया नहीं रहेगा? इस सवाल का जवाब न में है, क्योंकि फेसबुक पर वायरल होने वाले ज्यादातर वीडियोज पर किसी न किसी पार्टी की छाप होती है। हर पार्टी अभी भी फेसबुक पर अपने समर्थकों में राजनीतिक संदेश फैला सकती है, जो कि पूरी तरह से कानूनी भी होगा।
 
फेसबुक में बदलाव का राजनीतिज्ञों को फायदा
 
फेसबुक की न्यूज फीड में आए हालिया बदलाव का फायदा राजनीतिक पार्टियों को मिलने की संभावना है। इस बदलाव के तहत ज्यादा शेयर किया जाने वाला कंटेंट दूसरे फेसबुक यूजर्स की टाइमलाइन पर ज्यादा दिखाई देगा। राजनीतिक पार्टियों द्वारा जारी सामग्री के साथ भी ऐसा ही होता है, क्योंकि उनके समर्थक उनकी पार्टी की तरफ से आई सामग्री को ज्यादा शेयर करते हैं। इस तरह यह बदलाव राजनीतिक पार्टियों को लाभ पहुंचा सकता है।
 
फेसबुक पर बात, वॉट्सऐप पर नहीं
 
फेसबुक ने अखबारों की सुर्खियों में जगह बनाई है लेकिन जुकरबर्ग अपनी दूसरी कंपनी वॉट्सऐप के असर को लेकर काफी शांत हैं। वॉट्सऐप पर आने वाले वायरल मैसेज और वीडियो को सबसे पहले भेजने वाले के बारे में जानकारी हासिल करने का अभी भी कोई रास्ता नहीं है। इस प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज फैलाना बेहद आसान है और उसकी पहचान, रिपोर्टिंग और रोकथाम बेहद मुश्किल है।
 
भारत में इस प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से कई बार घातक परिणाम सामने आ चुके हैं। कई बार झूठी अफवाहों की वजह से सांप्रदायिक हिंसा और सामूहिक हत्याएं तक हो चुकी हैं। इस साल फेसबुक पर इस समस्या का समाधान देने का दबाव बनाया जाएगा और ये कोई संयोग नहीं है कि वॉट्सऐप इसी समय भारत में अपना कार्यकारी अधिकारी चुनने की प्रक्रिया में है।
 
जुकरबर्ग ने कहा कि उनकी कंपनी फेसबुक रूस के साथ हथियारों की रेस में थी ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले चुनावों में रूस फेसबुक का गलत इस्तेमाल करके विदेशी चुनावों को प्रभावित न कर सके।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

सस्ता Redmi A4 5G लॉन्च, 2 चिपसेट वाला दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन

Vivo Y19s में ऐसा क्या है खास, जो आपको आएगा पसंद

क्या 9,000 से कम कीमत में आएगा Redmi A4 5G, जानिए कब होगा लॉन्च

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

अगला लेख