फ़ेसबुक के लिए यूजर्स डेटा से नकदी छापने की मशीन कैसे बना व्हॉट्सऐप?

Webdunia
रविवार, 7 मार्च 2021 (07:45 IST)
बोरिस मिरांडा, बीबीसी न्यूज़
व्हॉट्सऐप के कारोबारी मॉडल को समझाते हुए इसके चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मैट इडेमा कहते हैं, "फेसबुक और इंस्टाग्राम दुकान की खिड़कियां हैं, जबकि व्हॉट्सऐप नकदी बनाने की मशीन है।"

अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक के तहत व्हॉट्सऐप उस दौर को काफी पीछे छोड़ आया है जबकि इसका मकसद यूजर्स के सालाना सब्सक्रिप्शन के जरिए मुनाफा कमाना होता था। अब इसका फोकस कंपनियों को सर्विसेज देना और व्हॉट्सऐप बिजनेस के जरिए कमीशन हासिल करने पर है।
 
इसके अलावा, यह भारत जैसे देशों में लागू किए जा चुके दूसरे फीचर्स पर भी है। कोई छोटा कारोबार अपने प्रोडक्ट कैटलॉग को इस एप्लिकेशन के जरिए शेयर कर सकता है और अपने कस्टमर्स के साथ बातचीत कर सकता है। इसी तरह से कोई बड़ी कंपनी व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल कस्टमर सर्विस सेंटर और सेल्स के लिए कर सकती है।
 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस योजना में ग्रोथ की भारी संभावनाएं हैं। हालांकि, इसे लेकर ये चिंताएं भी पैदा हो रही हैं कि फेसबुक मुनाफा कमाने के लिए यूजर्स की जानकारियों का किस तरह से इस्तेमाल करती है। व्हॉट्सऐप के डेटाबेस में 2 अरब लोगों की जानकारियां हैं।
 
टेक्नॉलॉजी एनालिस्ट पिलर साएंज कहते हैं, "व्हॉट्सएप अपने यूजर्स के लिए फ्री है क्योंकि कई मायनों में वे ही इसके प्रोडक्ट हैं।"
 
फेसबुक की खरीद
दुनिया का सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप व्हॉट्सऐप दुनिया के 180 से ज्यादा देशों में मौजूद है। इसकी नींव 2009 में पड़ी थी और 2014 में इसे फेसबुक ने खरीद लिया था। यह सौदा करीब 20 अरब डॉलर में हुआ था। उस वक्त ये कोशिश की गई थी कि दुनिया के कुछ बाज़ारों में सालाना सब्सक्रिप्शन के लिए एक डॉलर लिया जाए।
 
लेकिन बाद में इस आइडिया को 'गुजरे जमाने' का बताकर खारिज कर दिया गया। इसकी खरीदारी के वक्त फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग ने व्हॉट्सऐप प्लेटफॉर्म की पॉलिसी के दो मूल तत्वों को बरकरार रखने का वादा किया था। ये थे- इसमें विज्ञापन शामिल नहीं किए जाएंगे और यह यूजर डेटा का इस्तेमाल नहीं करेगा।
 
साएंज बताते हैं कि 2016 से यह वादा तोड़ा जाने लगा और एक नए व्हॉट्सऐप मॉडल का उभार हुआ।
 
साएंज कहते हैं, "फेसबुक ने यह खरीदारी इस वजह से की थी क्योंकि उसे पता था कि व्हॉट्सऐप के पास भारी डेटाबेस है और यह और बढ़ने वाला है। इसी वजह से 2016 से व्हॉट्सऐप ने अपने यूजर्स का डेटा इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस डेटा से फेसबुक के कारोबारी प्लान को रफ्तार मिली है।"
 
साएंज कोलंबिया स्थित नई टेक्नॉलॉजीज के डिवेलपमेंट को मॉनिटर करने वाले एक संस्थान करिश्मा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर हैं। इस मैसेजिंग ऐप की अरबों डॉलर की खरीद एक ज्यादा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत भर थी।
 
फेसबुक ने व्हॉट्सऐप को कंसॉलिडेट करने के लिए 2020 में दो और निवेश किए। कंपनी ने भारतीय डिजिटल सॉल्यूशंस कंपनी जियो प्लेटफॉर्म को खरीदने पर 5.7 अरब डॉलर लगाए और इसके बाद इसने ई-कॉमर्स में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनी में 1 अरब डॉलर का निवेश किया।
 
एक्सपर्ट्स का मुताबिक, इसका मकसद व्हॉट्सऐप के लिए जरूरी सभी तरह के टेक्नॉलॉजिकल एनवायरमेंट को तैयार करना था ताकि यह एक ट्रांजैक्शन सेंटर के तौर पर काम कर सके और ज्यादा प्रॉफिट कमा सके।
 
दुनिया का सबसे बड़ा कस्टमर सर्विस सेंटर
हालांकि, अभी तक व्हॉट्सऐप ने विज्ञापन न देने का वादा बरकरार रखा है। अर्जेंटिना के एक इनोवेशन और पॉलिसी ऑर्गनाइजेशन साउथ अफेयर्स के प्रोग्राम डायरेक्टर क्रिश्चियन लियोन कहते हैं, "ट्विटर, गूगल, इंस्टाग्राम या फेसबुक के उलट व्हॉट्सऐप विज्ञापनों का इस्तेमाल नहीं करता है और यही वजह है कि यह सीधे कमाई नहीं करता।"

वे कहते हैं कि यह एक क्लोज्ड एप्लिकेशन है। ऐसे में कोई भी डेवेलपर इसके कोड को एक्सेस नहीं कर सकता और इसके जैसी टेक्नॉलॉजी नहीं बना सकता।
 
लियोन कहते हैं, "निश्चित तौर पर इसकी पूरी वैल्यू इसका डेटा है। इसके पास फोन नंबर हैं, इनकी जियोलोकेशन जैसे अहम डेटा हैं। इसके अलावा, कारोबारी व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल अपने प्रोडक्ट्स को बेचने में करते हैं।"

साल 2017 में व्हॉट्सऐप बिजनेस का एलान किया गया। यह छोटी और मंझोली कंपनियों के लिए बनाई गई सेवा है जिसके तहत कंपनियां अपने कस्टमर्स के साथ जुड़ सकती हैं, अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को प्रमोट कर सकती हैं और शॉपिंग एक्सपीरियंस को लेकर लोगों के सवालों के जवाब दे सकती हैं।
 
पिलर साएंज हालिया निवेश के जरिए फेसबुक का मकसद व्हॉट्सऐप को दुनिया का सबसे बड़ा कस्टमर सर्विस सेंटर बनाने का है। इसके जरिए आप हवाई जहाज के टिकट बुक करने से लेकर पिज्जा ऑर्डर करने और कार रेंट पर लेने जैसे तमाम काम कर सकते हैं।
 
हालांकि, साएंज कहते हैं कि यह कारोबारी प्लान यहीं खत्म नहीं होता। चूंकि, फेसबुक ने एक प्रोग्रामिंग इंटरफेस डेवलप किया है (जिसे एपीआई कहा जाता है), ऐसे में बड़ी कंपनियां इस मैसेजिंग एप्लिकेशन को अपने कस्टमर सर्विस चैनलों के साथ इंटीग्रेट कर सकती हैं।
 
इस वजह से अब ये तेजी से आम बात होती जा रही है जिसमें जकरबर्ग के सोशल नेटवर्क पर मौजूद बिजनेस पेज एक बटन शामिल कर लेते हैं जिसके जरिए दिलचस्पी दिखाने वाली कोई भी पार्टी कंपनी से व्हॉट्सएप के जरिए सीधे संपर्क कर सकती है।
 
इस साल जनवरी में इस मैसेजिंग एप्लिकेशन की प्राइवेसी पॉलिसी में एक बदलाव का एलान किया गया था जिससे फेसबुक को यूजर डेटा तक ज्यादा पहुंच मुहैया करा दी गई। इससे फेसबुक के कंपनियों के साथ संपर्क की क्षमता भी बढ़ गई। यह उपाय को फरवरी से लागू हो जाना था, लेकिन आलोचनाओं के बाद इसे अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है।
 
कहानी यहीं खत्म नहीं होती
साएंज कहते हैं, "हम एक ऐसे कस्टमर सर्विस सेंटर की बात कर रहे हैं जहां अरबों लोगों के डेटा मौजूद हैं और कंपनियां सर्विसेज लेने के लिए भुगतान करती हैं। आप देखेंगे कि वे इस बिजनेस मॉडल को तेजी से आगे बढ़ाना चाहते हैं।"
 
अन्य टेक्नॉलॉजीज की तरह से ही व्हॉट्सऐप भी अपनी सेवाओं से होने वाली कमाई के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करता है। एक तरफ व्हॉट्सऐप फेसबुक के पूरे कारोबार की नकदी की मशीन बनने की राह पर है तो दूसरी ओर यह भारत में तकरीबन एक क्रेडिट कार्ड के जैसे है।
 
व्हॉट्सऐप पर भारत में हर महीने 4 लाख नए अकाउंट्स जुड़ते हैं और इसके यहां पर 20 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं। भारत में यह मैसेजिंग ऐप व्हॉट्सएप बिनजेस के अलावा ऑनलाइन पेमेंट, डायरेक्ट खरीदारी और यूजर्स के बीच पैसों के लेनदेन में भी इस्तेमाल हो रहा है। करीब दो साल से ये फंक्शंस भारत में चल रहे हैं। हर फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन पर व्हॉट्सऐप को सीधे कमाई होती है।
 
जकरबर्ग ने 2020 में कहा था कि भारत उनके लिए एक बड़ा मौका है और अन्य देशों को टारगेट किया जा रहा है। इन देशों में ब्राजील भी शामिल है जहां व्हॉट्सऐप के जरिए होने वाले लेनदेन धीरे-धीरे लागू किए जा रहे हैं।
 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि व्हॉट्सऐप का नया कारोबारी मॉडल चीन में इसके प्रतिस्पर्धी वीचैट की तर्ज पर बढ़ रहा है। वीचैट में आप खरीदारी, लेनदेन, क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट जैसे कई काम कर सकते हैं। यहां तक कि इसके जरिए टिंडर की तर्ज पर आप नए लोगों से मिल भी सकते हैं।
 
मजेदार बात यह है कि शुरुआत में वीचैट को चीन का व्हॉट्सऐप कहा गया था। एक्सपर्ट कहते हैं कि व्हॉट्सऐप की अकूत पूंजी कमाने की ताकत उसके पास उसके यूजर्स के मौजूद डेटा में छिपी हुई है।

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