सोशल: भारत में समलैंगिक सम्बन्धों को कानूनी मान्यता मिल पाएगी?

Webdunia
मंगलवार, 9 जनवरी 2018 (12:23 IST)
भारत में समलैंगिक समाज के लिए अच्छी ख़बर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा-377 पर फिर से विचार किया जाएगा। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जजों की बेंच ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट धारा-377 की संवैधानिकता की समीक्षा करेगा।
 
 
कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार को नोटिस भी भेजा है। अदालत ने यह कदम एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के पांच लोगों की याचिका के जवाब में उठाया है। याचिकाकर्ताओँ का कहना था कि उन्हें अपने सेक्शुअल ओरिएंटेशन की वजह से हमेशा पुलिस और लोगों के डर में जीना पड़ता है।
 
 
क्या है धारा-377
मौजूदा वक्त में भारत में दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक सम्बन्धों को दंडनीय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। अपराध साबित होने पर 10 साल तक की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है। आईपीसी की धारा-377 में कहा गया है कि किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ 'अप्राकृतिक सम्बन्ध' बनाना अपराध है। भारत में यह कानून वर्ष 1861 यानी ब्रिटिश राज के वक़्त से चला आ रहा है।
 
 
क्यों होता है विरोध
समलैंगिक समाज और जेंडर मुद्दों पर काम करने वालों का कहना है कि ये कानून लोगों के मौलिक अधिकार छीनता है। उनका तर्क है कि किसी को उसके सेक्शुअल ओरिएंटेशन के लिए सज़ा दिया जाना उसके मानवाधिकारों का हनन है। पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि किसी का सेक्शुअल ओरिएंटेशन उसका निजी मसला है और इसमें दखल नहीं दिया जा सकता।
 
कोर्ट ने यह भी साफ़ किया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और संविधान के तहत दिए गए राइट टु लाइफ़ ऐंड लिबर्टी (जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार) में निहित है। साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धों को गैर-आपराधिक करार दिया था लेकिन बाद में 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एसजे मुखोपाध्याय ने इस फ़ैसले को उलट दिया था।
 
 
सोशल मीडिया पर हलचल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा-377 पर दोबारा विचार किए जाने की ख़बर सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर #LGBT और #377 ट्रेंड कर रहा है। यूजर सायरा शाह ने ट्वीट करके कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट की शानदार शुरुआत है। वहीं, मेहर कहती हैं, "उम्मीद है कि आखिरकार वो सेक्शन-377 को ख़त्म कर देंगे।"
 
यूजर श्वेता मिश्रा ने लिखा, "उम्मीद करती हूं कि नतीजा सकारात्मक होगा। मेरे हाथ दुआओं में जुड़े हैं।" सतप्रीत रिहाल ने ट्वीट किया, "मैं एक गे ब्रिटिश युवक हूं और मेरे माता-पिता भारतीय हैं। मुझे उम्मीद है कि ये बराबरी के लिए उठाया गया एक कदम है।"
 
 
वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि अगर समलैंगिक सम्बन्धों को गैर-आपराधिक घोषित कर दिया जाएगा तो समाज में अपराधों की संख्या बढ़ जाएगी।
 
एक अन्य यूजर आर्या कहती हैं, "अगर 377 को संवैधानिक घोषित कर भी दिया जाता है तो इसमें कुछ वाज़िब शर्तें होनी चाहिए। जेंडर के नाम पर अश्लीलता फैलाने और ख़ुद को एलजीबीटी की तरह दिखाने के बजाय आम इंसान की तरह दिखाएं।"

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च

अगला लेख