मोदी अच्छे वक्ता, पर किसानों तक बात पहुंचाने में नाकाम रहे : गुरचरण दास

BBC Hindi
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020 (07:37 IST)
- ज़ुबैर अहमद

अर्थशास्त्री और लेखक गुरचरण दास कृषि क्षेत्र में सुधार के एक बड़े पैरोकार हैं और मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि क़ानूनों को काफ़ी हद तक सही मानते हैं। लेकिन 'इंडिया अनबाउंड' नाम की प्रसिद्ध किताब के लेखक के अनुसार प्रधानमंत्री किसानों तक सही पैग़ाम देने में नाकाम रहे हैं। वो कहते हैं कि नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिकेटर होने के बावजूद किसानों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल नहीं रहे।

बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा, मोदी जी की ग़लती ये थी कि उन्होंने रिफ़ॉर्म (सुधार) को ठीक से नहीं बेचा है। अब आपको इसे ना बेचने का ख़ामियाज़ा तो भुगतना पड़ेगा। लोगों ने पोज़ीशन ले ली है। अब ज़्यादा मुश्किल है।

चीन में आर्थिक सुधार लाने वाले नेता डेंग ज़ियाओपिंग और ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की मिसाल देते हुए वो कहते हैं कि आर्थिक सुधार को लागू करने से अधिक इसका प्रचार ज़रूरी है।वो कहते हैं, दुनिया में जो बड़े सुधारक हुए हैं, जैसे डेंग ज़ियाओपिंग और मार्गरेट थैचर, वो कहा करते थे कि वो 20 प्रतिशत समय रिफ़ॉर्म को लागू करने में लगाते हैं और 80 प्रतिशत वक़्त सुधार का प्रचार करने में।

मोदी सरकार द्वारा हाल में पारित किए गए तीन नए कृषि क़ानूनों का किसान, ख़ासतौर से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान कड़ा विरोध कर रहे हैं और कुछ दिनों से लाखों की संख्या में दिल्ली के बाहर धरने पर हैं। उनके प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बातचीत के दो दौर हुए हैं लेकिन ये विफल रहे हैं। अगली बातचीत 5 दिसंबर को है।

किसान चाहते हैं कि सरकार कृषि संबंधित नए क़ानून में संशोधन करके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को क़ानून में शामिल करे और क़ानून में कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों को विनियमित करने के प्रावधान भी हों। किसानों की ये भी मांग है कि मंडियों का सिस्टम ख़त्म न किया जाए।किसान आंदोलन जारी है और सरकार निश्चित रूप से दबाव में है लेकिन किसानों की माँगों के बारे में गुरचरण दास क्या सोचते हैं?

वो कहते हैं, हाँ उनकी मांग कुछ हद तक ठीक है लेकिन ये (एमएसपी) एक आदर्श प्रणाली नहीं है। एक अर्थशास्त्री के रूप में मैं कहूँगा कि ये एक घटिया सिस्टम है क्योंकि इसमें बहुत कमियाँ हैं। मुझसे अगर कहा जाता कि क्या सिस्टम होना चाहिए तो मेरा जवाब होगा कि इसमें कोई रियायतें और सब्सिडी नहीं होनी चाहिए। खाद पर नहीं, बिजली पर नहीं, पानी पर नहीं और मूल्य पर भी नहीं। आप हर महीने छोटे और ग़रीब किसानों को सिर्फ़ कैश ट्रांसफ़र कर दो। इसे आप छोटे किसानों के लिए कैश सिक्योरिटी कह सकते हैं।

वो आगे कहते हैं, इस समय बहुत सारी रियायतों को असल में हम टैक्स अदा करने वालों को सहना पड़ता है। खाद्य सुरक्षा या फ़ूड सिक्योरिटी देश का क़ानून है। सरकार को ग़रीबों को अनाज देना पड़ेगा और इसीलिए ये एक आदर्श प्रणाली न होते हुए भी चलेगी। मुझे लगता है कि इनको डर पैदा हो गया है। अगर इन्हें शुरू से समझाया जाता कि क्या हो रहा है और ये कि एमएसपी नहीं जा रही है और मंडियाँ नहीं जा रही हैं तो तस्वीर कुछ और होती।

गुरचरण दास का मानना है कि किसानों से शुरू में ही बातचीत होनी चाहिए थी। उन्हें लगता है अब किसानों को समझाना आसान नहीं होगा।उनके अनुसार केंद्र में कोई भी सरकार फ़िलहाल वर्तमान प्रणाली को ख़त्म नहीं कर सकती।

इसकी वजह बताते हुए वो कहते हैं,एमएसपी का सिस्टम भी चलेगा और एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) का सिस्टम भी जारी रहेगा क्योंकि सरकार को अनाज ख़रीदना पड़ेगा। सरकार को हर हफ़्ते लाखों राशन की दुकानों को अनाज सप्लाई करना है और अनाज ख़रीदने के लिए सरकार को किसानों को इसका मूल्य देना पड़ेगा। ये प्रणाली चलेगी।

किसानों के इस डर पर कि अब कृषि क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियां हावी होने लगेंगी और उनका शोषण होने लगेगा, इस पर गुरचरण दास कहते हैं, मैं समझता हूँ कि ये सही चिंता है किसानों की क्योंकि एक तरफ़ बड़ा व्यापारी हो और दूसरी तरफ़ छोटा किसान हो तो इसमें समानता का अभाव तो होगा। दोनों पक्ष में जो बातचीत हो रही है शायद उसमें इस तरह की बात आये, जिससे कि किसानों के हित को अधिक सुरक्षित किया जा सके।

लेकिन वो कहते हैं कि किसानों के पास रास्ते हैं।उन्होंने कहा, मेरा कहना ये है कि किसान के पास विकल्प है। उन्हें अब आज़ादी है कि वो निजी कंपनियों को कह सकते हैं कि हम आपके साथ काम नहीं कर सकते।आमतौर से महसूस किया जा रहा था कि कृषि क्षेत्र में सुधार की सख़्त ज़रूरत है क्योंकि इस क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है।

गुरचरण दास 1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के एक बड़े समर्थक रहे हैं। उनका कहना था कि उस समय भी कई मज़दूर यूनियनों और व्यापारी संघों ने इस उदारीकरण का ज़ोरदार विरोध किया था और इसमें हर तरह के रोड़े अटकाए गए थे।उनके अनुसार उस समय जिस तरह से आर्थिक सुधार की ज़रूरत थी उसी तरह से काफ़ी दिनों से कृषि क्षेत्र में भी सुधार की ज़रूरत महसूस की जा रही थी और नए क़ानून लाने की ज़रूरत थी।

वो कहते हैं, ये जो क़ानून अभी आए हैं मैं इनके बारे में पिछले 25 सालों से सुनता आ रहा हूँ। सब विशेषज्ञ यही कह रहे थे कि हिंदुस्तान बदल गया है। पुराने हिंदुस्तान में जो कमी थी या ग़रीबी थी वो अब नहीं है। हम अब सरप्लस (ज़रूरत से अतिरिक्त) अनाज पैदा करते है। यूपीए वन (कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार) में ये नए कृषि क़ानून लागू कर दिए जाते अगर वामपंथी दल इसका विरोध न करते।

गुरचरण दास के अनुसार 1980 में देश में मध्यम वर्ग की आबादी केवल आठ प्रतिशत थी। आर्थिक सुधार की लगातार पॉलिसी के कारण अब ये आबादी 35 प्रतिशत हो चुकी है। उनके मुताबिक़ आज इस आबादी के रहने के अंदाज़ और खाने-पीने की पसंद में भी फ़र्क़ आया है।

वो कहते हैं, चावल और गेहूं पर ज़्यादा ध्यान है हमारा, लेकिन लोगों के खाने के तरीक़े बदल गए हैं। प्रोटीन के लिए लोग दाल अब पहले से ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं और दूध भी अब ज़्यादा इस्तेमाल होता है। भारत दुनिया में सबसे अधिक दूध उत्पादित करने वाला देश है। तो माहौल बदल गया है। लेकिन पॉलिसी बनाने वाले नेतागणों का सोचने का तरीक़ा पुराना है। वो ये सोचते हैं हम अब भी एक ग़रीब देश हैं।

भारतीयों के खान-पान में परिवर्तन का असर कृषि उत्पाद पर भी पड़ा है। आज कॉफ़ी की पैदावार की विकास दर पहले से कहीं अधिक है और स्वास्थ्य से संबंधित कई उत्पाद बाज़ार और दुकानों में काफ़ी मात्रा में बिकते हैं।गुरचरण दास की राय में मोदी सरकार नए क़ानून में किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिए कुछ तो झुकेगी। कुछ पीछे हटेगी। लेकिन वो यह भी कहते हैं, अगर सरकार ने नए क़ानूनों को वापस ले लिया तो ये एक बहुत नुक़सानदेह क़दम होगा। हम एक बार फिर से 30 साल पीछे चले जाएंगे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च

अगला लेख