'कोबानी के इस फरिश्ते' की तस्वीर का सच?

Webdunia
मंगलवार, 4 नवंबर 2014 (11:17 IST)
सोशल मीडिया पर इन दिनों हजारों लोग 'कोबानी का फरिश्ता' या 'रेहाना' नाम से एक तस्वीर शेयर और रीट्वीट कर रहे हैं। वेबसाइट पर मशहूर हो रही कहानी के मुताबिक रेहाना ने इस्लामिक स्टेट को कड़ी चुनौती देते हुए 100 से अधिक आईएस चरमपंथियों को गोली मार दी है।

मगर इस कहानी में एक ही गड़बड़ी है, वो ये कि लोग इन्हें जो समझ रहे हैं ये वो हैं नहीं। ट्विटर पर 'रेहाना' की स्टोरी को हजारों बार रीट्वीट किया गया है। सीरिया के कोबानी शहर में इस्लामिक स्टेट और कुर्द नागरिकों के बीच संघर्ष जारी है।

कोबानी में पत्रकारों का पहुंचना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में यहां के अंदरूनी हालात के बारे में बाहरी लोग कम जानते हैं। इसीलिए आईएस से लोहा ले रहे लड़ाकों की कहानियां सोशल मीडिया के जरिए सामने आ रही हैं।

इन्हीं में से एक हैं, 'रेहाना'। आईएस चरमपंथियों से लड़ती बताई जा रही रेहाना की तस्वीरें ट्विटर और फेसबुक पर खूब लोकप्रिय हो रही हैं।

पिता की हत्या : लेकिन रेहाना की तस्वीर आई कहां से। दरअसल, कोबानी में 22 अगस्त को हुए एक समारोह में ये तस्वीर ली गई थी।

स्वीडन के पत्रकार कार्ल ड्रॉट बताते हैं, '22 अगस्त को कोबानी के एक समारोह में उनसे मुलाकात हुई। मैंने उन्हें वहां एक वॉलंटियर यानी स्वयंसेवक के रूप में, सेना की वर्दी जैसे कपड़े पहने देखा।' कोबानी के अंदरूनी इलाके तक पहुंचने और रेहाना के साथ बात करने वाले कार्ल ड्रॉट अकेले विदेशी पत्रकार हैं।

ड्रॉट कहते हैं, 'वह मेरे पास आईं और बताया कि यहां आने से पहले वह अलेप्पो में कानून की पढ़ाई पढ़ रही थीं। उन्होंने बताया कि तभी आईएस ने उनके पिता की हत्या कर दी। इसके बाद वह कुर्द सेना में शामिल हो गईं।'

पत्रकार कार्ल ड्रॉट अफसोस करते हुए बताते हैं, 'इसके बाद मैं फिर कभी उनसे नहीं मिल पाया।'

मगर कार्ल के अनुसार 'इस बात की संभावना कम ही है कि वह मोर्चे पर लड़ने गई हों क्योंकि वह होम गार्ड या कोबानी के पुलिस बल के साथ थीं। ऐसे में उनके इतने लड़ाकों के मारने की बात पर भरोसा करना मुश्किल है।'

अगले दिन ये तस्वीर कोबानी में कुर्द लड़ाकों का समर्थक करने वाले 'बिजीकुर्दिस्तान' ब्लॉग पर पोस्ट हुई।

5,500 रीट्वीट : एक महीने बाद कुर्द इलाके की खबर छापने वाले 'स्लेमानी टाइम्स' के ट्विटर अकाउंट से ये तस्वीर शेयर की गई। तभी से रेहाना में सोशल मीडिया पर लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी।

लेकिन तभी 5 अक्टूबर को उनकी मौत की खबर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी। 'अलफैसल रगद' नाम के सऊदी ट्विटर अकाउंट पर उनकी एक तस्वीर ये कहते हुए पोस्ट की गई कि एक कुर्द महिला को आईएस लड़ाकों ने मार डाला।

फिर 10 अक्टूबर को 'कुर्दिस्तान आर्मी' नाम के ट्विटर अकाउंट पर भी उनकी मौत से संबंधित तस्वीरें शेयर की गईं। अफ़वाहें जारी रहीं। 13 अक्टूबर को ट्विटर पर ट्वीट की गई रेहाना की कहानी अब तक 5,500 बार रीट्वीट की जा चुकी है।

उनके मारे जाने की खबरों के बावजूद उन्हें कोबानी का फरिश्ता बनाया जाता रहा। इस तरह के ट्वीट कुर्दों के प्रचार का हिस्सा हो सकते हैं। मगर आश्चर्यजनक रूप से ये ट्वीट किसी कुर्द के अकाउंट से नहीं हुआ बल्कि एक भारतीय ब्लॉगर पवन दुर्रानी के अकाउंट से हुआ।

दुर्रानी अपने आप को कश्मीर में हिंदुओं के अधिकारों की वकालत करने वाला बताते हैं। वैसे उन्होंने कई और महिला कुर्द लड़ाकों की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।

कुर्द ब्लॉगर रुवायदा मुस्तफा कहते हैं, 'मैं जिससे भी मिला वे इस तस्वीर को पसंद कर रहे हैं क्योंकि वह उसका प्रतीक है जिसे लोग देखना चाहते हैं। प्रतीक की महिलाएं और पुरुष इस क्षेत्र के बर्बर संघर्ष के सामने डटकर खड़े हो रहे हैं।'
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