लॉकडाउन का एक्ज़िट प्लान: दुनिया से क्या सबक़ लेगा भारत?

Webdunia
मंगलवार, 12 मई 2020 (14:26 IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पांचवीं बार मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मुलाक़ात की। ये बैठक लॉकडाउन से बाहर निकलने की चुनौतियों को लेकर की गई।
 
भारत में 25 मार्च से लगातार चल रहे लॉकडाउन के बाद तमाम राज्यों के सामने कई सवाल हैं। इनमें मज़दूरों की वापसी का मसला, बंद पड़े उद्योगों को पटरी पर लौटाने का मुद्दा और राज्यों की वित्तीय मदद का सवाल शामिल है।
 
इस बीच मंगलवार को ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा कि कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने की कोशिशों पर भी फ़ोकस करना होगा, ताकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर पहुंचने से बचा जा सके।
 
फ़िलहाल स्थिति ये है कि भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन में रियायतों की ज़रूरत भी महसूस हो रही है। लेकिन पीटीआई के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में कहा कि ये सुनिश्चित करना हमारी सबसे बड़ी चुनौती होगी कि रियायतों के बावजूद कोविड-19 ग्रामीण इलाक़ों में ना फैले।
 
कुछ रियायतें तो मिलना शुरू भी हो गई हैं। जैसे मंगलवार से रेल सेवा शुरू हो रही है। इससे पहले भी लोगों को सीमित संख्या में काम पर लौटने जैसी इजाज़त मिलीं। भारतीयों को उम्मीद है कि आने वक़्त में उन्हें और छूट मिल सकती है।
 
सिर्फ़ भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों, जिन्होंने कोविड-19 के प्रकोप से बचने के लिए अपने यहां लॉकडाउन किया था, अब वो इसमें ढील दे रहे हैं या ढील देने की तैयारी कर रहे हैं।
 
इनमें से कुछ देश ऐसे हैं जहां लॉकडाउन में ढील देने के बाद मामले दोबारा बढ़ने लगे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों से सीख लेकर भारत जैसे देश अपने यहां स्थितियों को बिगड़ने से बचा सकते हैं।
 
पाकिस्तान : अगर पड़ोसी देश पाकिस्तान की ही बात करें तो लॉकडाउन में ढील देने के बाद वहां 10 हज़ार से ज़्यादा नए मामले सामने आए हैं।
 
पाकिस्तान में लॉकडाउन के दौरान मस्जिदें खोल दी गईं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ बलूचिस्तान सरकार ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों की तमाम चेतावनियों के बावजूद स्थानीय बाज़ार, शॉपिंग माल, ख़ासकर कपड़े की दुकानें सोमवार से खोलने की अनुमति दे दी।
 
अन्य प्रांतों में भी इसी तरह ढील दी गई है। हालांकि सिंध प्रांत ने आदेश दिए हैं कि व्यापारी एक सप्ताह में सिर्फ़ चार दिन ही दुकानें खोल सकते हैं, बाक़ी दिन बाज़ार बंद रहेंगे।
 
दक्षिण कोरिया : दक्षिण कोरिया ने शुरू में महामारी को इस तरह से संभाला कि वो दुनियाभर में एक मॉडल बनकर उभरा। इसके बाद उसने अपने यहां प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया। लेकिन इस ढील के बाद अचानक आए नए मामलों ने दक्षिण कोरिया की चिंता बढ़ा दी है। वहां संक्रमण के ऐसे नए मामलों का पता चला है जिनमें संक्रमित लोग राजधानी सोल में बार या क्लबों में गए थे।
 
वहां शनिवार को सामने आए 18 नए मामलों में से 17 के तार 29 साल के एक व्यक्ति से जुड़े हैं जो पिछली वीकेंड को सोल के एक इलाक़े में रात को बाहर निकला था।
 
फ़िलहाल सोल के मेयर ने शहर के सभी बार और क्लबों को अगले आदेश तक बंद करवा दिया है। मेयर ने कहा, "लापरवाही से संक्रमण तेज़ी से फैल सकता है।"
 
दक्षिण कोरिया ने संक्रमण के नए मामलों में आई तेज़ी को देखते हुए कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी की है।
 
जर्मनी : रविवार को जर्मनी से भी ख़बर आई कि वहां लॉकडाउन में रियायत दिए जाने के कुछ दिन बाद इंफेक्शन रेट बढ़ा है। जर्मनी में जैसे ही कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों में ढील देने की प्रक्रिया शुरू की गई तो संक्रमण के नए मामलों की संख्या बढ़ने लगी। आधिकारिक आकड़ों के मुताबिक़ रिप्रोडक्शन रेट यानी किसी संक्रमित व्यक्ति के अन्य लोगों को इंफेक्ट करने का रेट वहां बढ़कर अंदाज़न एक से ज़्यादा हो गया।
 
कुछ दिन पहले ही जर्मनी में सभी दुकाने खोल दी गईं। बच्चे भी स्कूल लौटने लगे हैं और जर्मनी की शीर्ष फ़ुटबॉल लीग भी अगले सप्ताहांत से शुरू हो जाएगी। शनिवार को जर्मनी में हज़ारों लोगों ने इस माँग के साथ प्रदर्शन भी किया था कि प्रतिबंधों को तेज़ी से हटाया जाना चाहिए। हालांकि लॉकडाउन में ढील के बाद मामले बढ़ने पर लोगों की चिंता भी बढ़ी। वहां इस बात की चिंता जताई जाने लगी कि हालात एक बार फिर बेक़ाबू हो सकते हैं।
 
लेकिन सोमवार को जो नए आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए। उनमें एक बार फिर बढ़ोत्तरी की दर में कमी दिखी। हालांकि जानकारों का मानना है कि इसके पीछे मामलों की रिपोर्टिंग में देरी हो सकती है। क्योंकि जर्मनी के आधिकारिक डेटा में पहले भी वीकेंड के वक़्त अंतर देखा जाता रहा है। इसलिए ये मान लेना कि जर्मनी में इंफेक्शन का रेट फिर से कम हो गया है, इसके लिए फ़िलहाल कुछ दिन का इंतज़ार करना चाहिए।
 
चीन : चीन में सोमवार को लगातार दूसरे दिन डबल डिजिट में मामले बढ़े हैं। सोमवार को 17 नए मामले सामने आए। 5 नए मामले वुहान में सामने आए और अब उत्तरी चीन में आउटब्रेक की चिंता जताई जा रही है।
 
चीनी अधिकारियों ने भी उत्तर पूर्वी चीन में कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी की है। यहां जिलिन प्रांत के एक शहर को हाई रिस्क श्रेणी में रखा गया है।
 
चीन में वुहान शहर से रविवार को एक महीने से ज़्यादा वक़्त के बाद संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ 89 वर्षीय रोगी की हालत गंभीर है और उसमें पहले इस रोग के लक्षण नहीं देखे गए थे। वहीं चीन के शुलान शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले बढ़ने के बाद लॉकडाउन लागू कर दिया गया है।
 
देश जो लॉकडाउन में ढील देना शुरू कर रहे
 
भारत के अलावा दुनिया के कई देश लॉकडाउन में रियायतें देने की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें श्रीलंका और यूरोप के तमाम देश शामिल हैं।
 
श्रीलंका : श्रीलंका सरकार ने भी सोमवार से लॉकडाउन में ढील दी है। वहां अब तक 800 से ज़्यादा लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकार ने कहा है कि सभी सरकारी और प्राइवेट दफ़्तरों में सीमित स्टाफ़ के साथ काम शुरू किया जा सकता है।
 
स्पेन : स्पेन में 15 मार्च के बाद इस रविवार को कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या सबसे कम रही। स्पेन में लॉकडाउन के आदेश को कड़ाई से लागू किया गया है और अब देश की आधी आबादी पाबंदियों में छूट के लिए तैयार है।
 
हालांकि मैड्रिड और बार्सिलोना जैसे शहरों में रहने वाले लोगों को इसका फ़ायदा नहीं मिलेगा। मैड्रिड और बार्सिलोना के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में लोग खुली जगहों वाले बार और रेस्त्रां में मिल सकेंगे।
 
ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में प्रशासन ने शुक्रवार को रेस्टोरेंट, खेल के मैदान और आउटडोर पूल खोलने की अनुमति दी है। बड़े स्तर पर टेस्टिंग के बाद यहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी दिखी है।
 
ऑस्ट्रेलिया के दो बड़े राज्यों - न्यू साउथ वेल्स और क्वीन्सलैंड में सोमवार से बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। इस हफ्ते के अंत से पूरे देश में लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों से भी मिलना शुरू कर सकेंगे।
 
लेकिन सोमवार को लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद लोग बड़ी तादाद में शॉपिंग करने के लिए निकले। लेकिन शॉपिंग सेंटर में फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन होता नहीं दिखा। जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं।
 
यूरोप : यूरोप में अधिकतर देश इस उम्मीद के साथ लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं कि इससे इंफेक्शन की दूसरी लहर शुरू नहीं होगी। फ्रांस और नीदरलैंड्स में आंशिक तौर पर प्राइमरी स्कूल खोले जाएंगे। फ्रांस में कई हफ्तों बाद लोग सोमवार से काम पर लौटने लगे। वहीं इस हफ्ते के आख़िर से डेनमार्क में शॉपिंग सेंटर और पोलैंड में होटल खोले जा सकते हैं।
 
न्यूज़ीलैंड : न्यूज़ीलैंड में प्रतिबंधों में और ढील देने की घोषणा हुई है। न्यूज़ीलैंड में सिर्फ़ 90 एक्टिव मामले बचे हैं, जिसे वहां कोरोना पर जीत की तरह देखा जा रहा है। इसलिए गुरुवार से रेस्त्रां, दुकानें और सिनेमा खोलने की इजाज़त दी गई है। हालांकि बार फ़िलहाल 21 मई तक बंद रहेंगे।
 
ब्रिटेन : ब्रिटेन में कहा गया है कि जो लोग वर्क फ्रॉम होम नहीं कर सकते वो काम के लिए बाहर जा सकते हैं। वर्कप्लेस में नई "कोविड-19 सिक्योर" गाइडलाइन फॉलो करनी होगी। पहली बार इंग्लैंड में लोगों को बंद जगहों - जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट या दुकानों में फेस कवर करने के लिए कहा गया है।
 
प्रतिबंधों को तीन फेज़ में कम किया जाएगा। लेकिन सरकार का कहना है कि वायरस की स्थिति को देखते हुए फेज़ की तारीख़ों में बदलाव भी किए जा सकते हैं। ये भी कहा गया है कि इंफ़ेक्शन बढ़ा तो प्रतिबंध फिर से लगाए जा सकते हैं।
 
स्कॉटलैंड : वहीं कुछ देश ऐसे हैं जो फ़िलहाल लॉकडाउन को ख़त्म करने का ठीक समय नहीं समझते, जैसे स्कॉटलैंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला ने कहा है कि फ़िलहाल स्कॉटलैंड के लोगों को जितना हो सके घरों में ही रहना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि फ़िलहाल प्रतिबंधों को हटाना जल्दबाज़ी होगी। ये पूछे जाने पर कि क्या कर्मचारियों को स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच ट्रेवल करने की इजाज़त होगी, उन्होंने कहा, "मेरी सलाह है कि अगर आप स्कॉटलैंड में हैं तो स्कॉटलैंड में ही रहें, लोगों को बेवजह ट्रेवलिंग नहीं करना चाहिए।"
 
लॉकडाउन के बाद की ज़िंदगी
 
कई देश कोरोना वायरस के चलते लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने लगे हैं, ऐसे में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों में लॉकडाउन के बाद की ज़िंदगी को लेकर घबराहट है।
 
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफ़ेसर डॉ स्टीवन टेलर बताते हैं कि "लोगों के लिए ये बहुत तनावपूर्ण है।"
 
वो कहते हैं कि "लोग लॉकडाउन में सुरक्षित महसूस कर रहे थे। लेकिन बाद में उन्हें परेशानी आएगी, क्योंकि बाहर जाने को लेकर वो घबराहट महसूस कर सकते हैं।"

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