सोशल: क्या राजीव गांधी जैसी हिम्मत दिखाएंगे पीएम मोदी?

Webdunia
शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018 (11:28 IST)
मालदीव में राजनीतिक संकट चल रहा है। इस संकट से उबरने के लिए मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अमेरिका और भारत से गुहार लगाई है।
 
मालदीव में संकट की शुरुआत तब हुई, जब राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक क़ैदियों को रिहा करने के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। राष्ट्रपति ने 15 दिनों के भीतर आपातकाल लगाने के साथ चीफ़ जस्टिस को भी हिरासत में लेने के आदेश दिए।
 
मोहम्मद नशीद की भारत से गुहार लगाने के बाद लोगों के ज़ेहन में जो ख़्याल सबसे पहले आते हैं, वो हैं ऑपरेशन कैक्टस और राजीव गांधी। 30 साल पहले विद्रोह के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मालदीव में भारतीय सेना भेजी थी। इस ऑपरेशन को कैक्टस नाम दिया गया था। भारतीय सेना का ये ऑपरेशन सफल रहा था। राजीव गांधी के इस क़दम की चर्चा दुनियाभर में रही।
 
राजीव गांधी बनाम नरेंद्र मोदी
अब जब लगभग 30 साल बाद मालदीव में हालात फिर बेहतर नहीं हैं, तब मालदीव समेत दुनिया के कई देशों की निगाहें भारत की तरफ़ हैं। मालदीव संकट के मद्देनज़र सोशल मीडिया पर लोग राजीव गांधी की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर रहे हैं।
 
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, ''1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राष्ट्रपति गयूम की सरकार बचाने के लिए मालदीव में सेना भेजी थी। क्या 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में ये राजनीतिक-राजनयिक समझ है कि वो इस आइलैंड में लोकतंत्र की रक्षा कर सकें?''
 
वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा, ''इस बात में कोई शक नहीं है कि राजीव गांधी ने ग़लतियां कीं, लेकिन प्रधानमंत्री रहते हुए ऑपरेशन कैक्टस उनकी बेहतरीन विदेश नीति थी।''
 
पवन खेड़ा ने ट्वीट किया, ''राजीव गांधी ने राष्ट्रपति गयूम की गुहार के 8-9 घंटों के भीतर ही 1600 सैनिकों को मालदीव भेज दिया था। रोनल्ड रीगन से लेकर मार्गेट थेचर तक ऑपरेशन कैक्टस के लिए राजीव गांधी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली थी।''
 
नरेंद्र लिखते हैं, ''मोदी में ये राजनीतिक कुशाग्रता है ही नहीं कि वो किसी दूसरे मुल्क के मामलों में दखल दे पाएं। ठीक वैसे ही जैसे राजीव गांधी ने मालदीव और श्रीलंका में किया था।''
 
मनजीत बग्गा लिखते हैं, ''राजीव गांधी ने श्रीलंका में भी एलटीटीई को लेकर दख़ल दिया था। नतीजा क्या निकला?''
 
ट्विटर हैंडल @HAPPY_ARMY_MAN से लिखा गया, ''ये ठीक नहीं रहेगा कि हम मालदीव में सेना भेजें। इन दिनों हम कश्मीर, सैनिकों और अपने भाइयों के संघर्ष के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं। सब तरफ़ लाचारी है। एक लाचार मुल्क दूसरे लाचार मुल्क की मदद नहीं कर सकता।''
 
जानकारों का क्या कहना है?
इंस्टिट्युट फ़ॉर डिफ़ेंस स्टडीज़ एंड एनालिसिस के प्रोफ़ेसर एसडी मुनि कहते हैं, "नशीद अमेरिका और ब्रिटेन को अपने कुछ द्वीप देना चाहते थे ताकि यहां नेवल फैसिलिटी बनाने में उन्हें आसानी हो। मुझे लगता है कि भारत सरकार भी इससे नाराज़ थी। यही वजह है कि जब नशीद को हटाया गया तो मनमोहन सरकार ने 24 घंटों के अंदर उसका समर्थन किया जल्दबाज़ी में और बिना परिणाम की चिंता किए। इसीलिए अब भारत को नीति बदलकर वापस नशीद का समर्थन करना पड़ रहा है।"

सम्बंधित जानकारी

Show comments

स्वाति मालीवाल मामले पर क्या बोलीं प्रियंका गांधी

स्वाति मालीवाल बोलीं- मेरे साथ जो हुआ वो बहुत बुरा था, थप्पड़ मारा गया, केजरीवाल के PA के खिलाफ FIR

iQOO Z9x 5G : लॉन्च हुआ सबसे सस्ता गेमिंग स्मार्टफोन, धांसू फीचर्स

Weather Updates : उत्तर पश्चिम भारत में लू की चेतावनी, दिल्ली में 45 डिग्री पहुंचेगा पारा, कई राज्‍यों में ऑरेंज अलर्ट

घने जंगल में बेफिक्र सो रहा था हाथियों का ये परिवार, IAS ने वीडियो शेयर किया और फिर...

iQOO Z9x 5G : लॉन्च हुआ सबसे सस्ता गेमिंग स्मार्टफोन, धांसू फीचर्स

Realme का सस्ता 5G स्मार्टफोन, रोंगटे खड़े कर देंगे फीचर्स, इतनी हो सकती है कीमत

15000 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन, 24GB तक रैम और 60 दिन चलने वाली बैटरी

53000 रुपए की कीमत का Google Pixel 8a मिलेगा 39,999 रुपए में, जानिए कैसे

Apple Event 2024 : iPad Pro, iPad Air, Magic Keyboard, Pencil Pro एपल ने लूज इवेंट में किए लॉन्च

अगला लेख