- फ़ैक्ट चेक टीम
सोशल मीडिया पर कुछ लोग ये दावा कर रहे हैं कि 'मोदी सरकार ने आते ही रिज़र्व बैंक का 200 टन सोना चोरी छिपे विदेश भेज दिया था।'
बीबीसी के बहुत से पाठकों ने वॉट्सऐप के ज़रिए हमें उन अख़बारों की कटिंग और वेबसाइट्स के स्क्रीनशॉट्स भेजे हैं जिनमें लिखा है कि 'मोदी सरकार ने रिज़र्व बैंक का 200 टन सोना चोरी छिपे विदेश भेज दिया है।'
बहुत सारे लोगों ने दैनिक अख़बार नेशनल हेराल्ड की स्टोरी का वो लिंक हमें भेजा जिसे कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया है। सोशल मीडिया पर सैकड़ों बार शेयर की जा चुकी नेशनल हेराल्ड की ये रिपोर्ट नवनीत चतुर्वेदी नाम के एक शख़्स के आरोपों के आधार पर लिखी गई है।
अख़बार ने लिखा है, "क्या मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालते ही देश का 200 टन सोना चोरी छिपे स्विट्ज़रलैंड भेजा!"।
लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार ये दावा बिल्कुल ग़लत है। रिज़र्व बैंक के चीफ़ जनरल मैनेजर योगेश दयाल का कहना है कि साल 2014 में या उसके बाद रिज़र्व बैंक ने अपने गोल्ड रिज़र्व से कोई हिस्सा विदेश नहीं भेजा है।
अफ़वाह और आरोप...
दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से नामांकन दाख़िल कर चुके 'नेशनल यूथ पार्टी' के प्रत्याशी नवनीत चतुर्वेदी ने 1 मई 2019 यानी बुधवार को एक ब्लॉग लिखा था।
इस ब्लॉग में उन्होंने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने विपक्ष को जानकारी दिए बिना और कोई सूचना सार्वजनिक किए बिना रिज़र्व बैंक का 200 टन सोना विदेश भेज दिया।
ख़ुद को एक स्वतंत्र खोजी पत्रकार और लेखक बताने वाले नवनीत ने अपने ब्लॉग में दावा किया है कि मोदी सरकार ने देश का ये सोना विदेश में गिरवी रख दिया है।
बीबीसी से बात करते हुए नवनीत ने कहा कि लिंकडिन नाम की माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर उन्होंने ये ब्लॉग आरटीआई के ज़रिए मिली सूचना के आधार पर लिखा है।
नवनीत ने अपने ब्लॉग में आरटीआई की जो कॉपी शेयर की है, उसके अनुसार रिज़र्व बैंक ने यह सूचना दी थी कि भारत का 268.01 टन सोना 'बैंक ऑफ़ इंग्लैंड' और 'बैंक ऑफ़ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स' की सेफ़ कस्टडी में है।
लेकिन यह कोई छिपी हुई जानकारी नहीं है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर 6 जुलाई 2018 को 'फ़ॉरन एक्सचेंज रिज़र्व्स' पर एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें इस बात का साफ़तौर पर ज़िक्र है।
विदेश में मौजूद भारतीय सोना
सोशल मीडिया पर नवनीत चतुर्वेदी द्वारा शेयर की गईं आरबीआई की पुरानी बैलेंस-शीट भी शेयर की जा रही हैं। ये भी कोई गुप्त सूचना नहीं है। आरबीआई की साइट पर इन बैलेंस शीट्स को भी पढ़ा जा सकता है।
नवनीत ने कहा, "साल 2014 से पहले की बैलेंस शीट में ये साफ़ लिखा हुआ है कि विदेश में रखे हुए भारतीय गोल्ड रिज़र्व की वैल्यू शून्य है जबकि 2014-15 की बैलेंस शीट में ऐसा नहीं है।"
लेकिन हमने पाया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 के बीच बैलेंस-शीट का फ़ॉरमेट बदलने के कारण ये भ्रम फ़ैला है।
आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी योगेश दयाल के मुताबिक़ दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए यह एक सामान्य बात है कि वे अपने गोल्ड रिज़र्व को सुरक्षित रखने के लिए उसे 'बैंक ऑफ़ इंग्लैंड' जैसे अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों में रखे रहने दें।
विदेशों में मौजूद गोल्ड रिज़र्व के बारे में हमने करेंसी एक्सपर्ट एन सुब्रमण्यम से बात की। उन्होंने बताया कि जो सोना विदेशी बैंकों में रखा हुआ है, वो गिरवी ही रखा गया हो, ऐसा नहीं है। दुनिया भर में यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि जब कोई देश दूसरे देशों से सोना ख़रीदता है तो वो उन्हीं देशों के सेंट्रल बैंक की सेफ़ कस्टडी में उसे रखवा देता है, चाहें वो यूके हो या अमेरिका।
एन सुब्रमण्यम कहते हैं कि ऐसे मामलों में जो सोना विदेश में रखा हुआ होता है, वो असल में कहलाएगा तो उसी देश का जिसने उसे ख़रीदा है।
सितंबर 2018 में आरबीआई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में भारत के पास 586.44 टन सोना है जिसमें से 294.14 टन सोना विदेशी बैकों में रखा हुआ है। आरबीआई के अनुसार इसे गिरवी रखा हुआ सोना नहीं कहा जा सकता।
1991 में भारत ने सोना गिरवी रखा
खाड़ी युद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता के बीच साल 1991 में भारत को विदेशी मुद्रा की भारी कमी का सामना करना पड़ा था।
उस वक़्त भारत के ऐसे आर्थिक हालात बन गए थे कि वो कुछ ही हफ़्तों के आयात को वित्तीय मदद मुहैया करा सकता था। उस स्थिति में विदेशी मुद्रा जुटाने के लिए भारत को 67 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखना पड़ा था।