सोशल मीडिया ने कैसे इस शहर को नई ज़िंदगी दी

Webdunia
मंगलवार, 22 जनवरी 2019 (11:36 IST)
- नोरी जेमिल (बीबीसी ट्रैवल)
 
तुर्की के दक्षिणी-पश्चिमी इलाक़े में अनातोलिया के पठार के किनारे पर पामुक्काले नाम की एक जगह है। तुर्की भाषा में इसका मतलब कॉटन कासल यानी कपास का क़िला है। यहां पर एक ख़ास तरह का झरना है। यहां पर पानी सीढ़ीदार चट्टानी टीलों से गुज़रता है। बरसों से पानी के गुज़रने की वजह से इन चट्टानी टीलों पर काफ़ी बालू और कंकड़-पत्थर जमा हो गए हैं।
 
 
पामुक्काले नाम की गर्म पानी के सोतों वाली ये जगह, ऐतिहासिक रोमन-यूनानी शहर हायरापोलिस के खंडहरों के क़रीब ही स्थित है। हायरापोलिस शहर के खंडहर इस झरने से ऊपर स्थित पहाड़ी पर हैं। जब पानी इन चट्टानों से होकर गुज़रता है, तो बेहद दिलकश नज़ारा बनता है। जैसे वो सीढ़ियों से ख़रामा-ख़रामा उतर रहा हो।
 
 
आज की तारीख़ में ये भौगोलिक चमत्कार और पहाड़ी पर मौजूद ऐतिहासिक खंडहरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। पामुक्काले के ये सीढ़ियों वाले चमत्कारी तालाब तुर्की के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट बन गए हैं। इन्हें देखने के लिए हर साल क़रीब 20 लाख लोग तुर्की आते हैं।
 
 
सीढ़ियों वाले इन तालाबों की तलहटी के किनारे बसा पामुक्काले गांव और इसके दो हज़ार लोग, ऐतिहासिक खंडहरों के साए में ख़ूब फल-फूल रहा है। तलछटों से भरे इन तालाबों के अलावा पामुक्काले गांव में है तो बस धूल भरी आब-ओ-हवा। ईंटों से बने छोटे-छोटे मकान हैं।
 
 
कुछ किराने की दुकाने हैं। एक मस्जिद है और कुछ खाने-पीने के ठिकाने। घरों की दीवारों से बकरियां झांकती दिखती हैं। और गांव की गलियों से होकर गुज़रने वाले उन लोगों को निहारती रहती हैं, जो इन जादुई तालाबों में नहाने आते हैं। गांव के किसान कभी-कभार इन गलियों से अपने ट्रैक्टर लेकर गुज़रते हैं।
 
 
माना जाता है कि पामुक्काले के इन तालाबों में नहाने से थकान मिट जाती है। शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। कई सदियों से रोमन, यूनानी, बाइजैंटाइन और ओटोमान साम्राज्य के लोग इन तालाबों के जादू का फ़ायदा उठाने के लिए आते रहे हैं।
 
 
'यहां डुबकी से बीमारियां दूर होती हैं'
कहा जाता है कि इनमें डुबकी लगाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। 1950 में उत्तरी साइप्रस के रहने वाले अली रिज़ा ने ऐसे ही जादू का दावा किया था। वो उम्र के तीसरे दशक में ही जोड़ों के दर्द से हलकान थे।
 
 
वो कुछ काम भी नहीं कर पाते थे। हालात ऐसे थे कि अली रिज़ा को खड़े होने में भी दिक़्क़त होने लगी थी। अपने डॉक्टर की सलाह पर अली रिज़ा पामुक्काले के इन जादुई तालाबों में वक़्त गुज़ारने आ गए। इस पानी का ऐसा जादू हुआ कि कुछ ही महीनों के भीतर अली रिज़ा काम पर लौट आए।
 
 
आज भी तुर्की के बहुत से डॉक्टर एक्ज़ीमा और जोड़ों की बीमारियों के इलाज के लिए यहां वक़्त गुज़ारने की सलाह देते हैं। अली रिज़ा के ऊपर पामुक्काले के गर्म और जादुई पानी के असर का क़िस्सा साठ के दशक में आस-पास के देशों में काफ़ी मशहूर हो गया था। फिर भी पामुक्काले गांव में सैलानियों की आमद में कुछ ख़ास इज़ाफ़ा नहीं हुआ था। गांव के किसान अनार, अंगूर और चेरी की खेती करने में मशगूल थे।
 
 
यहां की तस्वीर 1970 के दशक में बदली। तब तुर्की की सरकार ने पश्चिमी तट पर टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए भूमध्य सागर और एजियन सागर के तटों के किनारे ज़मीन बेचनी शुरू की। तुर्की की सरकार ने कारोबार शुरू करने वालों को यहां आकर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करने का न्यौता दिया।
 
ऐतिहासिक विरासत को नुक़सान हुआ
दक्षिणी-पश्चिमी तुर्की में समुद्र के किनारे बने रिजॉर्ट लोगों को पामुक्काले की सैर को ले जाते। बसों में भर-भर कर लोग इन तालाबों में स्नान करने पहुंचने लगे। पामुक्काले गांव के लोगों को भी सैलानियों की भीड़ में कारोबार का मौक़ा दिखा। गांव में कई लोगों ने क़र्ज़ लेकर छोटे-मोटे होटल, मोटेल और रेस्टोरेंट खोले।
 
 
जैसे-जैसे सैलानियों की तादाद बढ़ी, वैसे ही इलाक़े की ख़ूबसूरती और ऐतिहासिक विरासत को नुक़सान पहुंचने की शुरुआत भी हुई। हायरपोलिस के ऐतिहासिक खंडहरों के इर्द-गिर्द विदेशी निवेशकों की मदद से कई होटल खुल गए। यहां आने वाले टूरिस्ट जाने-अनजाने में ऐतिहासिक विरासत को नुक़सान पहुंचाने लगे।
 
 
कई होटलों ने क़ुदरती तालाबों से गर्म पानी लेकर अपने होटल के पूल में भरना शुरू किया। इसके बाद गंदा पानी यूं ही बहाया जाने लगा। जिससे इन तालाबों को भारी नुक़सान पहुंचा। इनकी तासीर बदलने लगी।
 
 
1980 के दशक में हालात इतने बिगड़ गए कि इस धरोहर को बचाने के लिए यूनेस्को को दख़ल देना पड़ा। यूनेस्को की सिफ़ारिश पर तुर्की की सरकार ने हायरापोलिस तक जाने वाली सड़क को बंद कर दिया। आस-पास के तमाम होटल बंद कर दिए गए। गर्म तालाब के इर्द-गिर्द के होटल और रेस्टोरेंट भी बंद कर दिए गए।
 
 
फिर सैलानियों ने मोड़ा मुंह
यहां आने वालों के जूते पहन कर आने पर रोक लगा दी गई। यही नहीं, नहाते वक़्त साबुन का प्रयोग करने की मनाही हो गई। पामुक्काले की गलियों में मोटरसाइकिल से घूमने पर भी पाबंदी लगा दी गई। इन पाबंदियों की वजह से गर्म पानी के तालाबों को तो बचाया जा सका। लेकिन, इससे पामुक्काले की अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचा। लोगों का आना-जाना कम हो गया। सैलानियों ने यहां से मुंह मोड़ लिया।
 
 
तुर्की की सरकार ने इसकी भरपाई के लिए तालाबों के पास स्पा की थीम वाले रिजॉर्ट विकसित किए। लेकिन, इस बार इन्हें पामुक्काले से 7.5 किलोमीटर दूर काराहयित नाम के गांव में बनाया गया। जब 1990 में तुर्की की सरकार ने हायरापोलिस को जाने वाली सड़क बंद की, तो पामुक्काले के बहुत से लोग पड़ोसी गांव काराहयित में बने नए रिजॉर्ट में काम करने लगे।
 
 
या फिर वो रोज़गार की तलाश में तुर्की के बड़े शहरों की तरफ कूच कर गए। इसकी बड़ी वजह ये थी कि अब पामुक्काले में बहुत सैलानी नहीं आते थे। गांव के कई किसानों ने, जो होटल या रेस्टोरेंट खोले थे, वो बंद कर दिए। कुछ लोग दोबारा खेती करने लगे।
 
 
सोशल मीडिया लाया बदलाव
क़रीब एक दशक तक पामुक्काले ने मंदी का ये दौर देखा। यहां के हालात में क्रांतिकारी बदलाव एक दशक पहले आया और ये बदलाव लेकर आया सोशल मीडिया। स्थानीय निवासी बोज़कुर्त कहते हैं कि यहां आने-वाले सैलानियों ने पामुक्काले के गर्म पानी के तालाबों की तस्वीरें इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक पर डालनी शुरू कीं। इसके बाद कम ख़र्च में घूमने के शौक़ीन सैलानी यहां आने शुरू हुआ।
 
 
पहले जहां बसों में भर-भर कर टूरिस्ट यहां आते थे, घूम कर समंदर किनारे के रिजॉर्ट में लौट जाते थे। वहीं, अब जो सैलानी आते थे, वो कुछ वक़्त पामुक्काले में रुक कर सुकून से यहां की क़ुदरती ख़ूबियों का लुत्फ़ लेने के इरादे से आते थे। सोशल मीडिया पर फैलती शोहरत को देखते हुए, पामुक्काले गांव छोड़कर गए लोगों को फिर से तरक़्क़ी का एक मौक़ा दिखा। इक्का-दुक्का आने वाले सैलानियों की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ने लगी। ऐसे में बोज़कुर्त जैसे लोग दोबारा गांव में आ गए। वो अपने घरों को ही रेस्टोरेंट या होटल में तब्दील करके सैलानियों की आवभगत करने लगे।
 
 
हैशटैग पामुक्काले
पामुक्काले की चमकीली चट्टानों वाले तालाब बहुत जल्द दुनिया भर में मशहूर हो गए। इंस्टाग्राम पर इसकी तस्वीरों की धूम मच गई। बहुत से लोगों ने इसे इंस्टाग्राम पर डाली जाने वाली ज़रूरी तस्वीर बताया, तो किसी ने कहा कि मरने से पहले एक बार पामुक्काले ज़रूर जाना चाहिए।
 
 
आज अगर आप सोशल मीडिया पर हैशटैग पामुक्काले डालेंगे तो कम से कम 5 लाख रिज़ल्ट आएगा। हज़ारों युवा सैलानियों ने फिरोज़ी चट्टानों और नीले पानी के साथ की अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालकर पामुक्काले को दुनिया भर में मशहूर कर दिया है।
 
 
अच्छी बात ये है कि इन तालाबों का रख-रखाव बहुत अच्छे तरीक़े से किया जा रहा है। नुक़सान से बचाने के लिए बहुत से इलाक़ों में लोगों के जाने पर रोक लगा दी गई है। लंदन में तुर्की के दूतावास के अधिकारी बोज़डैग कहते हैं कि सोशल मीडिया ने किसी भी सरकारी योजना से ज़्यादा पामुक्काले को फ़ायदा पहुंचाया है।
 
 
बोज़डैग कहते हैं कि, 'मैं दिन भर लोगों को वहां की ख़ूबियों के बारे में बताऊं और कोई एक तस्वीर भर सोशल मीडिया पर डाल दे। एक तस्वीर हज़ारों शब्दों पर भारी पड़ती है। उसे देखकर ही आप का पामुक्काले जाने का दिल कर जाएगा।'
 
 
पामुक्काले की शोहरत का फ़ायदा उठाने के लिए आस-पास कई बड़े होटल भी खुल गए हैं। आज तमाम ट्रैवल कंपनियां पामुक्काले के साथ हायरापोलिस और पास ही स्थित गुने पठार के अंगूर के बाग़ों की सैर कराने के लिए टूर आयोजित करते हैं।
 
 
पामुक्काले के पास ही एक ऐतिहासिक जगह है लाओडीकिया। इसका ज़िक्र बुक ऑफ़ रिवीलेशन्स में भी मिलता है। क़रीब ही स्थित डेनिज़ली नाम के पहाड़ी शहर के झरने भी ख़ूब मशहूर हैं। हायरापोलिस के पहाड़ी खंडहरों से लोगों को गर्म पानी के गुब्बारों में उड़ने का मौक़ा भी दिया जाता है। पैराग्लाइडिंग भी पामुक्काले के लोगों की आमदनी का ज़रिया बन गई है। इनके ज़रिए लोग आसमान से ऐतिहासिक खंडहरों का दीदार कर पाते हैं।
 
 
स्थानीय लोगों ने सैलानियों को लुभाने के लिए लोकल खान-पान को भी पेश करना शुरू किया है। खेत से सीधे उपज को पकाकर सैलानियों को पेश किया जाता है। टूरिस्टों को शुद्ध तुर्की व्यंजन खाने का मौक़ा मिल रहा है। पामुक्काले अब गांव से क़स्बे में तब्दील हो गया है। यहां की गलियों में घूमें, तो आप को पालक और चीज़ के साथ पकायी जाने वाली स्थानीय रोटी गोज़लेमे की ख़ुशबू आती मिलेगी।
 
 
 
स्थानीय ड्राइवर, यहां पैदा होने वाले जैतून के तेल और नींबू के बने उत्पाद बेचते दिखेंगे। स्थानीय अनार भी सैलानियों के बीच ख़ूब लोकप्रिय हैं। स्थानीय महिलाओं को भी अपने हुनर दिखाने के मौक़े इस वजह से मिले हैं। वरना उन्हें काम की तलाश में दूर जाना पड़ता था। पामुक्काले के लोग मानते हैं कि ये ख़ुशहाली सोशल मीडिया की वजह से आई है। गर्म पानी के तालाब उनके लिए वरदान साबित हुए हैं। स्थानीय परंपराओं और ऐतिहासिक विरासतों ने इस तरक़्क़ी में छौंक लगाया है।
 
 
लोगों को अब अपना गांव या क़स्बा छोड़कर बड़े शहर जाने की ज़रूरत कम पड़ती है। सैलानियों के लिए स्थानीय खान-पान और उत्पाद पेश करने से यहां की परंपराएं भी नई पीढ़ी को सीखने को मिल रही हैं और तुर्की के असली बाशिंदों से मिलने का मौक़ा भी आप को पामुक्काले आकर मिलता है।
 
 
बाहर से आकर होटल चलाने वाले तुर्गे ओलमाज़ कहते हैं कि यहां के तालाबों में डुबकी लगाने के बाद, आप स्थानीय कैफ़े में तसल्ली से बैठकर कॉफ़ी पिएं, तो अलग ही सुकून मालूम होता है। आस-पास खेलते लोग आप को एक अच्छी सैर का एहसास कराते हैं। यहां आकर असल तुर्की से मुलाक़ात होती है।
 

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