राष्ट्रपति चुनाव: जानिए, बीजेपी के लिए अपना राष्ट्रपति बनाना कितना आसान

BBC Hindi
बुधवार, 15 जून 2022 (07:48 IST)
विनीत खरे, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
भारत में राष्ट्रपति चुनाव की ख़ास बातें
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को ख़त्म हो रहा है और संविधान के मुताबिक़ नए राष्ट्रपति का चुनाव उससे पहले पूरा हो जाना चाहिए। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की है।
 
राष्ट्रपति को चुनने वाले इलेक्टोरल कॉलेज में संसद के दोनों सदनों के अलावा विधानसभा और केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य होते हैं।
 
अगले आम चुनाव 2024 में होने हैं। कई निर्णायक क्षणों में राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनज़र जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवार पर सरकार और विपक्षी दलों में गहमागहमी तेज़ हो गई है।
 
इस पद के संभावित उम्मीदवारों में शरद पवार, नीतीश कुमार, मायावती से लेकर आरिफ़ मोहम्मद खान, अमरिंदर सिंह जैसे नामों की चर्चा हो रही है।
 
भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को राजनातिक दलों और निर्दलीय सांसदों के साथ बातचीत के लिए अधिकृत किया है। संसद और कई विधानसभाओं में अच्छी संख्या की वजह से भाजपा अपने उम्मीदवार की संभावित कामयाबी को लेकर बेहतर स्थिति में है।
 
बीजेपी की उम्मीदें बढ़ीं
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन से पार्टी की उम्मीदें बढ़ी होंगी। पत्रकार नीरजा चौधरी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन को 'मनौवैज्ञानिक' तौर पर अच्छा मानती हैं। सीएसडीएस के संजय कुमार के मुताबिक़ राज्यसभा चुनाव के नतीजे को लेकर बीजेपी को कोई फिक्र नहीं हुई होगी क्योंकि चुनाव के नतीज़ों से आंकड़ों में कोई भारी बदलाव तो हुआ नहीं।
 
विपक्ष की बात करें तो 10 जून को समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खाड़गे ने टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करने के अलावा डीएमके, सीपीआई, सीपीएम और आम आदमी पार्टी से संपर्क किया।
 
एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने ममता बैनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अलावा एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीपीआईएम के सीताराम येचुरी से राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार को लेकर बात की।
 
इस रिपोर्ट के एक दिन बाद टीएमसी को ओर से भेजे गए एक ट्वीट के मुताबिक़ ममता बनर्जी ने दिल्ली के कॉन्स्टिट्युशन क्लब में 15 जून को "सभी प्रोग्रेसिव विपक्षी शक्तियों" की बैठक बुलाई है।
 
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने बीबीसी से बातचीत में इस बैठक में कांग्रेस के शामिल होने की पुष्टि की।
 
ऐसा लग रहा था कि राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार की दौड़ में कांग्रेस लीड ले रही थी। ऐसे में टीएमसी की बुलाई बैठक में कांग्रेस के हिस्सा लेने को कैसे देखा जाए? इस पर गौरव गोगोई ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
 
विपक्ष में बिखराव, एकता की कमी, किसी विषय पर आपस में लीड लेने की होड़ को कई हलकों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की मज़ूबत स्थिति से जोड़ कर देखा जाता है।
 
पत्रकार और लेखक रशीद किदवई टीएमसी की बुलाई बैठक में कांग्रेस के शामिल होने को रणनीति बताते हैं, न कि सरेंडर, वो भी ऐसे वक़्त जब सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और राहुल और सोनिया को जेल का ख़तरा है।
 
वो कहते हैं कि अगर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस पहल करती तो ममता बनर्जी दिल्ली भी नहीं आतीं।
 
ट्वीट किए गए अपने आमंत्रण पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा, ''विपक्षी नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल हो रही है। आंतरिक झगड़े पैदा किए जा रहे हैं। ऐसे में वक़्त है कि प्रतिरोध को मज़बूत किया जाए।''
 
पत्र कहता है, 'राष्ट्रपति चुनाव नज़दीक हैं और ये प्रोग्रेसिव विपक्षी दलों के लिए आपस में बात करने और भारतीय राजनीति के भविष्य के रास्ते को तय करने का अच्छा मौक़ा पेश करता है।'
 
क्या विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करेगा?
बीबीसी से बातचीत में टीएमसी राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, "ममता बनर्जी ने राजनीतिक दलों के 22 नेताओं से संपर्क साधा है। ये आगे बढ़ने वाला बड़ा क़दम है। विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश कर रहे है।"
 
आरएलडी की तरफ़ से जयंत चौधरी इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
 
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व पत्रकार शाहिद सिद्दीक़ी मानते हैं कि पूरी दृढ़ता से जब तक सभी दल पूरे दल साथ नहीं आते तब तक विपक्ष की स्थिति मुश्किल है।
 
वो कहते हैं, "हमने पूर्व के राष्ट्रपति चुनाव में देखा है कि सभी दल साथ नहीं आते। आर्थिक सहायता के लिए छोटे दल केंद्र सरकार पर निर्भर रहते हैं। केसीआर बीजेपी के पास वैसे भी जाते रहते हैं और आगे भी जा सकते हैं।"
 
सीपीएम के डी राजा ने सीपीआई और सीपीएम के इस बैठक में हिस्सा लेने की पुष्टि की। इससे पहले एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सीपीएम के सीताराम येचुरी ने ममता बनर्जी के भेजे पत्र को एकतरफ़ा क़दम बताया था।
 
बीजेपी प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह मानते हैं कि विपक्ष के इकट्ठा होने से पार्टी के उम्मीदवार लिए कोई चुनौती नहीं है। वो कहते हैं, "एकमत तो हों वो पहले।"
 
मज़बूत कौन?
साल 2022 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव 16वें चुनाव होंगे। इस साल के चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य होंगे। इनमें राज्य सभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य होंगे।
 
वोटिंग के दौरान हर संसद सदस्य और विधानसभा सदस्य की वोट की वैल्यु होती है। इस बार हर संसद सदस्य के हर वोट की क़ीमत 700 तय की गई है। हर राज्य के विधानसभा सदस्यों के वोटों क़ीमत उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर होती है।
 
जैसे उत्तर प्रदेश में हर विधानसभा सदस्य के वोट का वेटेज 208 होगा जबकि मिज़ोरम में आठ और तमिलनाडु में 176। विधानसभा सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 5,43,231 होगा।
 
संसद के कुल सदस्यों के वोटों का वेटेज 543,200 है यानी इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल सभी सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है।
 
माना जाता है कि 10।86 लाख के वेटेज वाले इलेक्टोरल कॉलेज में बीजेपी और साथी दलों के पास 50 प्रतिशत से कम वोट हैं और अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए उन्हें वायएसआर कांग्रेस और बीजेडी जैसे दलों की ज़रूरत पड़ेगी।
 
राष्ट्रपति चुनाव से पहले राज्यसभा के नतीज़ों से बीजेपी को मजबूती
16 सीटों के लिए चार राज्यों में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में आठ सीटें आईं जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार उनकी मदद से जीता।
 
पत्रकार नीरजा चौधरी कहती हैं, "आंकड़ों के मुताबिक़ 48 प्रतिशत इलेक्टोरल कॉलेज वोट एनडीए के साथ हैं, 38 प्रतिशत कॉलेज वोट यूपीए के साथ हैं, 14 प्रतिशत के क़रीब जगन रेड्डी की पार्टी, बीजेडी, टीएमसी और लेफ़्ट के साथ।"
 
वो कहती हैं, "अगर आप पूरा विपक्ष देखें तो 52 प्रतिशत इलेक्टोरल कॉलेज वोट उनके पास हैं। अगर किसी जादुई छड़ी से सारा विपक्षी वोट एकजुट रहे तो एक लड़ाई हो सकती है। लेकिन ऐसा दिखता नहीं है। उसमें जगन रेड्डी क्या करेंगे? नवीन पटनायक हाल ही प्रधानमंत्री से मिल चुके हैं।
 
"इनमें से एक भी (बीजेपी के पक्ष में) चला जाता है तो एनडीए उम्मीदवार की जीत होगी। अगर कोई नहीं जाता, तो भाजपा तो माहिर है पार्टी के भीतर तोड़-फोड़ करने में। कोई ग़ैर-हाज़िर होगा, कोई क्रॉस वोटिंग करेगा जैसा हमने राज्यसभा चुनाव में देखा।"
 
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई के मुताबिक़ विपक्ष की बैठक रस्म अदायगी और 'फ़ेस सेविंग' मात्र है।
 
वो कहते हैं कि विपक्ष जिस स्थिति में है, उन्हें मज़बूत क़दम उठाने वाला व्यक्ति चाहिए जैसे अहमद पटेल या चंद्रबाबू नायडू। वो मानते हैं कि विपक्षी दलों का राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को खड़ा करना किसी ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश है।
 
वो कहते हैं, "जब एक पक्ष के पास 49 प्रतिशत वोट हों तो 51 प्रतिशत विपक्षी वोटों को साथ खड़ा करना काल्पनिक है।"

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