बांग्लादेश में आरक्षण की लड़ाई शेख़ हसीना को हटाने पर कैसे आई

BBC Hindi
सोमवार, 5 अगस्त 2024 (09:18 IST)
-बीबीसी बांग्ला, ढाका
 
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन में रविवार को हुई हिंसा में कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई। स्टूडेंट एक्टिविस्ट की ओर से बुलाए गए 'पूर्ण असहयोग आंदोलन' के दौरान ढाका समेत देश के कई हिस्से में हिंसा फैल गई। सिराजगंज में सबसे अधिक लोग हताहत हुए हैं। अधिकारियों ने यहां कम से कम 18 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जिसमें 13 पुलिसकर्मी शामिल हैं।
 
रविवार की शाम तक सरकार समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच कई जगहों पर झड़प हुई।
 
शुरुआत में ये प्रदर्शन आरक्षण को लेकर थे, लेकिन अब इन्होंने सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया है।
 
छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग को लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की है।
 
विरोध कर रहे छात्रों के ग्रुप ने नागरिकों से टैक्स या अन्य बिल अदा न करने की अपील की है।
 
छात्रों ने सभी फ़ैक्ट्रियों और सार्वजनिक परिवहन को बंद किए जाने का भी आह्वान किया है।
 
सरकार विरोधी आंदोलन
 
प्रदर्शनकारी अब साफ़ तौर पर सरकार बदलने का आह्वान कर रहे हैं।
 
शनिवार को ढाका में हज़ारों लोगों की भीड़ के सामने छात्र नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने कहा, 'शेख़ हसीना को केवल इस्तीफ़ा ही नहीं देना चाहिए, बल्कि उनके ख़िलाफ़ हत्याओं, लूट और भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा चलाना चाहिए।'
 
इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने 6 अगस्त को 'ढाका तक 'लॉन्ग मार्च' करने की बात कही।
 
इसके लिए उन्होंने सभी लोगों से इस कार्यक्रम के लिए ढाका आने को कहा।
 
यह रैली ढाका में दोपहर 2 बजे आयोजित होनी थी। हालांकि इसके बाद इस लॉन्ग मार्च को एक दिन पहले, यानी पांच अगस्त को करने की घोषणा कर दी गई।
 
ढाका में कर्फ़्यू लगा दिया गया है और रविवार रात से ही ढाका में प्रदर्शनकारी इकट्ठा होने लगेंगे जिससे कर्फ़्यू के बीच हिंसक झड़प की आशंका बढ़ गई है।
 
कर्फ़्यू, इंटरनेट शटडाउन और छुट्टियां
 
इस बीच, सरकार ने तीन दिन की सरकारी छुट्टी की घोषणा कर दी है जो पांच अगस्त से शुरू होकर 6 अगस्त तक रहेगी।
 
लोक प्रशासन मंत्रालय के एक अधिकारी अब्दुल्लाह शिबली सादिक़ ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि सरकारी छुट्टियों की घोषणा एक अधिसूचना के ज़रिए की गई है।
 
इसके अलावा, गृह मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि चार अगस्त को शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू लगा दिया गया है।
 
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि रविवार की शाम को 6 बजे से सभी डिविज़नल शहरों, नगर निगमों, नगर पालिकाओं, औद्योगिक इलाक़ों, ज़िला मुख्यालयों और उप ज़िला मुख्यालयों में अगले नोटिस तक कर्फ़्यू जारी रहेगा।
 
इससे पहले शनिवार की रात, गृह मंत्री असदुज़्ज़मान ख़ान कमाल ने सुबह 6 बजे से 9 बजे रात तक कर्फ़्यू में ढील देने की घोषणा की थी।
 
हालांकि रविवार को देशव्यापी हिंसा को देखते हुए सरकार ने कर्फ़्यू की समय सीमा को बढ़ा दिया है।
 
ढाका में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। बांग्लादेश टेलीकम्युनिकेशन रेग्युलेटरी कमिशन के एक अधिकारी ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि फिलहाल ढाका में 4जी इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं जारी रहेंगी।
 
बिना 4जी और 3जी सेवाओं के लोग मोबाइल से इंटरनेट के ज़रिए सूचना का आदान प्रदान नहीं कर सकते हैं।
 
भारतीय दूतावास ने जारी की एडवायज़री
 
देश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई पुलिस स्टेशनों और सरकारी भवनों में आग भी लगाई गई है और उसके बाद पिछले महीने प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने शांति बहाल करने के लिए सेना को बुलाया था।
 
बांग्लादेश के सिलहट में मौजूद भारतीय सहायक उच्चायोग ने वहां रह रहे भारतीयों और छात्रों के लिए एडवाइज़री जारी की है।
 
भारतीय सहायक उच्चायोग ने कहा है, 'सिलहट स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग के अधिकार क्षेत्र में रहने वाले छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस कार्यालय से संपर्क में रहें और उनको सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।'
 
दूतावास ने आपात नंबर भी जारी किया है और कहा है, 'आपात स्थिति में, कृपया +88-01313076402 पर संपर्क करें।'
 
वहीं बांग्लादेश में मौजूद भारतीय दूतावास की जारी एडवाइज़री के अनुसार 'लोगों को सलाह दी जाती है कि वो जितना हो सकें लोकल ट्रैवल से बचें। लोग जहां हैं वहीं रहें और बाहर न निकलें।'
 
हिंसा करने वाले छात्र नहीं टेररिस्ट: पीएम
 
प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कहा है कि आगजनी हिंसा में शामिल लोग छात्र नहीं टेररिस्ट हैं।
 
रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने उपद्रवी तत्वों को कड़ाई से पीछे धकेलने का नागरिकों से आह्वान किया।
 
प्रधानमंत्री के प्रेस विंग ने इस सूचना की पुष्टि की है।
 
इस बैठक में प्रधानमंत्री से सुरक्षा सलाहकार, सेना, वायु सेना और नेवी के प्रमुखों, अन्य मंत्रालयों से कमेटी सदस्य, कैबिनेट सचिव और पीएमओ के चीफ़ सेक्रेटरी शामिल थे।
 
सरकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान 'आतंकी हमलों' की चेतावनी वाला बयान जारी किया है।
 
प्रेस सेक्रेटरी नईमुल इस्लाम ख़ान ने बीबीसी बांग्ला से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह बयान प्रधानमंत्री के प्रेस विंग की ओर से जारी किया गया है।
 
बयान में सभी छात्रों और अभिभावकों को सुरक्षित रूप से घर लौटने को कहा गया है और ये भी कि 'कई जगहों पर आतंकी हमले हो रहे हैं और हमलावरों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
 
छात्रों के समर्थन में उतरे पूर्व आर्मी चीफ़
 
मौजूदा हालात को देखते हुए पूर्व सैन्य प्रमुखों और सैन्य अधिकारियों ने सुरक्षा बलों से आग्रह किया है कि वो छात्रों की भीड़ पर कार्रवाई न करें। रविवार की दोपहर, पूर्व सैन्य अधिकारियों ने ढाका में एक प्रेस कांफ्रेंस कर संकट का हल निकालने के बारे में बात की।
 
पूर्व आर्मी चीफ़ इक़बाल करीब भूईयां ने एक लिखित बयान जारी कर कहा, 'यह ज़रूरी है कि सशस्त्र बल तुरंत अपने मिलिट्री कैंपों में लौट जाएं और किसी भी इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए तैयार रहें।'
 
उन्होंने कहा, 'मैं अपील करता हूं कि आप इस संकट का हल संवाद से निकालने की पहल करें। देशभक्त सुरक्षाबलों को छात्रों की भीड़ से भिड़ना नहीं चाहिए।'
 
विश्व शांति में बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के योगदान का ज़िक्र करते हुए भूईयां ने कहा, 'जो सम्मान, इज़्ज़त और गरिमा अर्जित की गई है उसकी परीक्षा ये समय है।'
 
उन्होंने इसके साथ ही इलाक़ों में तैनात सशस्त्र बलों के सदस्यों से जनता का साथ देने की उन्होंने अपील की।
 
उन्होंने उन्हें वापस कैंपों में लौटने की अपील करते हुए कहा, 'हम खुद से नहीं लड़ सकते। हम देश को जंग का मैदान नहीं होने दे सकते।'
 
उन्होंने छात्र प्रदर्शोनों के दौरान मौतों और शूटिंग की घटनाओं की संयुक्त राष्ट्र से एक पारदर्शी और स्वीकार्य जांच की मांग की।
 
मौतों की ज़िम्मेदारी प्रदर्शनकारी नेताओं पर है : अवामी लीग
 
अवामी लीग के नेता और कपड़ा एवं जूट मंत्री जहांगीर कबीर नानक ने कहा, 'विरोध करने वाले नेताओं को देश में मौजूदा हिंसा और मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।'
 
उन्होंने कहा, 'सरकार को उखाड़ फेंकने का यह आंदोलन कोई सामाजिक आंदोलन नहीं है। सरकार को गिराने की कथित मांग, बीएनपी-जमात के षड्यंत्रकारियों की ओर से सत्ता पर कब्ज़ा करने की कोशिश है।'
 
उन्होंने यह भी कहा, 'सरकार प्रदर्शनकारी छात्रों के किसी भी बयान को सुनने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन छात्रों को मुखौटा बनाकर सरकार को उखाड़ फेंकने की साज़िश को बांग्लादेश के किसान, मजदूर और छात्र स्वीकार नहीं करेंगे।'
 
उन्होंने कहा, 'अवामी लीग ने पहले ही उन लोगों के ख़िलाफ़ लड़ने का फैसला कर लिया है जो आस पड़ोस, सड़कों पर आतंक और अराजकता पैदा करते हैं। विरोध करने वाले नेताओं को सभी हत्याओं और हिंसा की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।'
 
उन्होंने विपक्ष पर देश को गृहयुद्ध में धकेलने का आरोप लगाया।
 
बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मोहम्मद अली अराफात ने कहा, 'हमने बहुत धैर्य रखा है। अगर प्रधानमंत्री आह्वान करेंगी तो अवामी लीग के कार्यकर्ता और देश भर के कई लोग सड़कों पर उतरेंगे। लेकिन हम संघर्ष में नहीं पड़ना चाहते। हालांकि अगर आतंकवादी आतंकवाद फैलाते हैं तो क़ानून लागू किया जाना चाहिए।'
 
उन्होंने कहा, 'हम हर हत्या के लिए इंसाफ़ चाहते हैं। लेकिन आप फैसले सुना रहे हैं। हमने हत्याओं की जांच के लिए एक जांच आयोग बनाया है। विदेशी विशेषज्ञ यहां आएंगे। जांच के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि हर मौत कैसे हुई। फिर सब कुछ पता चलेगा।'
 
नया कार्यक्रम घोषित
 
इससे पहले, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों में से एक, नाहिद इस्लाम ने चल रहे असहयोग आंदोलन के बीच रविवार दोपहरअगले 2 दिनों के लिए नए कार्यक्रमों की घोषणा की।
 
प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को देश भर में विभिन्न स्थानों पर 'शहीद पट्टिकाओं' के अनावरण के साथ पीड़ितों के लिए एक स्मारक की घोषणा की।
 
ढाका के शाहबाग में सुबह 11 बजे कार्यकर्ताओं की एक रैली और शाम 5 बजे सेंट्रल शहीद मीनार पर महिलाओं की एक रैली आयोजित की गई थी।
 
इसके अलावा उन्होंने देश भर में विरोध मार्च और सार्वजनिक धरना जारी रखने की घोषणा की।
 
शुरू में, उन्होंने मंगलवार, 6 अगस्त के लिए 'ढाका तक लॉन्ग मार्च' की घोषणा की थी। हालांकि इसे संशोधित करके एक दिन पहले निर्धारित कर दिया गया।
 
इसके अलावा, विरोध करने वाले नेताओं में से एक ने सभी ज़िलों, उप-ज़िलों, गांवों और मोहल्लों में छात्रों के नेतृत्व में संघर्ष समितियों के गठन का आह्वान किया।
 
साथ ही ये भी कहा गया कि यदि कोई संयोजक गिरफ्तारी या अन्य कारणों से अगले कार्यक्रम की घोषणा नहीं कर पाता है तो वर्तमान मांगें पूरी होने तक शांतिपूर्ण असहयोग आंदोलन का आह्वान किया जाएगा।
 
गोली मारने की मांग वाली याचिका ख़ारिज
 
इससे पहले प्रदर्शनकारियों पर सीधे गोली मारने का निर्देश जारी किए जाने की मांग वाली एक याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज़ कर दिया है।
 
रविवार की सुबह, जस्टिस मुस्तफ़ा ज़मान इस्लाम और एसएम मसूद हुसैन डोलोन की डबल बेंच ने यह याचिका ख़ारिज कर दी।
 
सरकारी वकील ने कहा कि चूंकि इस मामले में मौजूदा क़ानून में स्पष्ट दिशा निर्देश हैं, इसलिए कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि अगर कोई प्रदर्शनकारी क़ानून तोड़ता है तो क़ानून के अनुसार उस पर कार्यवाही की जाएगी।
 
पिछले महीने शुरू हुआ था विरोध प्रदर्शन
 
1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए कई सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को लेकर पिछले महीने छात्र सड़कों पर उतर आए थे।
 
अब एक फैसले के बाद सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया है, लेकिन छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है।
 
छात्र मारे गए लोगों और घायलों के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे हैं। अब वे चाहते हैं कि पीएम हसीना अपने पद से इस्तीफ़ा दे दें।
 
हालांकि हसीना के समर्थकों ने उनके इस्तीफे से इनकार किया है। इससे पहले, पीएम शेख़ हसीना ने हिंसा को समाप्त करने की इच्छा जताते हुए छात्र नेताओं के साथ बिना शर्त बातचीत की पेशकश की थी।
 
उन्होंने कहा, 'मैं आंदोलनरत छात्रों के साथ बैठना चाहती हूं और उनकी बातें सुनना चाहती हूं। मैं कोई संघर्ष नहीं चाहती।'
 
लेकिन छात्र प्रदर्शनकारियों ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। पीएम हसीना ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कई पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों में आग लगने के बाद व्यवस्था बहाल करने के लिए पिछले महीने सेना को बुलाया था।
 
पिछले महीने जुलाई में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से कई लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी।
 
पिछले 2 सप्ताह में सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई में कथित तौर पर लगभग 10,000 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें विपक्षी समर्थक और छात्र प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं।

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