चीनः एक अफसर की 47 ‘पत्नियां’, 63 फ्लैट

Webdunia
शनिवार, 9 मई 2015 (13:55 IST)
- जॉन सुडवर्थ (शांघाई)

चीन में शंघाई में शीर्ष सरकारी अधिकारियों के पति, पत्नी और बच्चों को व्यवसाय चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर आम जनता की चिंता को देखते हुए जारी किया गया, लेकिन सोशल मीडिया में इस पर बहस छिड़ गई है।


चीन के सोशल मीडिया वीबो पर एक यूजर ने लिखा, 'चचेरी संतानों, अवैध पत्नियों, भाईयों और बहनों का क्या?' एक अन्य व्यक्ति ने लिखा है, 'क्या यह वही फरमान है जो 1985 में जारी हुआ था। तबसे अब तक यह कर क्या रहा था?'

चीन के लिए समस्या यह है कि बहुत से लोग ये मानते हैं कि भ्रष्टाचार इस सिस्टम का 'बाइप्रोडक्ट' नहीं बल्कि सिस्टम ही है। यह इसलिए फलता फूलता है क्योंकि यहां कोई फ्री प्रेस नहीं है, सत्ता का कोई विभाजन नहीं है, कोई स्वतंत्र न्यायपालिका और राजनीतिक विपक्ष नहीं है।

भ्रष्टाचार पर अंकुश : इसलिए, हर अभियान से एक ऐसी कहानी से पर्दा उठता है, जो बताती है कि यह काम कितना कठिन है। उदाहरण के लिए बीजिंग में एक आर्मी जनरल के घर पर इतना नकदी मिला कि उसे ढोने के लिए 12 ट्रक लगाने पड़े।

इसी तरह गुआंगडांग में एक अधिकारी के पास 47 ‘अवैध पत्नियां’ मिलीं और उसके नाम 63 फ्लैट मिले।

एक ऐसे सिस्टम में जहां सरकारी कर्मचारी की आम तौर पर औसतन आमदनी प्रतिमाह 200 डॉलर (करीब 12,000 रुपए) होती है, वहां यह ताज्जुब है कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों को उम्मीद है कि इस नए फरमान का असर जरूर पड़ेगा।

एक वीबो यूजर ने लिखा है, 'इसे इतना जटिल बनाने की जरूरत क्या है?' एक अन्य व्यक्ति ने लिखा है, 'बस, अधिकारियों की दौलत को सार्वजनिक सम्पत्ति घोषित कर देना चाहिए। हमें इसकी चिंता नहीं कि वे व्यवसाय कर रहे हैं, बल्कि चिंता यह है कि कानूनी है या नहीं।'

नया कानून कितना कारगर? : जैसा कि एक यूजर ने कहा है, अधिकारियों के साइड बिजनेस पर अंकुश लगाने के लिए दो दशक पहले कानून बना था, लेकिन उसका व्यापक पैमाने पर उल्लंघन होता रहा है और और शायद ही कभी उसे लागू किया गया।

अब शंघाई का नया कानून, जो पति-पत्नी को कहीं भी और बच्चों को शंघाई में व्यवसाय करने से रोकता है, पहले से भी ज्यादा निष्प्रभावी होगा। स्वाभाविक है कि इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी उसी कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े-बड़े अधिकारियों के कंधों पर है जिनके खिलाफ अंकुश लगाने की मंशा है।

बीबीसी ने शांघाई के एक बिजनेसमैन से बात की, जो शहर के एक वरिष्ठ अधिकारी के बेटे हैं। पहले तो उन्होंने दावा किया कि नए कानून के बारे में पूरी जानकारी नहीं है और फिर निश्चिंतता दिखाते हुए कहा, 'मेरे पिता जल्द ही रियाटर होने वाले हैं।'
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