मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं घोटाले की जांच प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले की जांच सर्वोच्च अदालत की निगरानी में सीबीआई से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत गुरुवार को सुनवाई करेगी।
नियुक्तियों और प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली से जुड़े इस घोटाले के सिलसिले में हाल के दिनों में कई लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं जिसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग हो रही थी।
हर बड़े काण्ड के बाद सीबीआई की जांच की मांग तो होती है, लेकिन जांच एजेंसी कई मामलों में खरा उतरने में नाकाम रही है। दूसरी तरफ इस पर सरकार के दबाव में आने का आरोप हैं। पढ़ें विस्तार से...
दो साल पहले कोयला घोटाले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के बारे में कहा था सीबीआई 'पिंजरे में बंद एक तोते' की तरह है। अदालत का कहने का मतलब ये था कि प्रमुख जांच एजेंसी सरकारी कंट्रोल में है और केंद्रीय सरकार को सलाह दी कि वो इसकी आजादी को बहाल करने के लिए जरूरी कानूनी कदम उठाए।
तो क्या सीबीआई व्यापमं घोटाले और इससे सम्बंधित संदिग्ध हत्याकांडों की गुत्थी सुलझा पाएगी?
इस संस्था के एक पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर शांतनु सेन कहते हैं, 'अगर 'ऊपर' से हस्तक्षेप न हो तो सीबीआई मामले के तह तक पहुंच सकती है।' उन्होंने 1993 में मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों और ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि, 'जांच एजेंसी बड़े मामलों को सलुझाने की सलाहियत रखती है अगर उसे आजादी से काम करने दिया जाए।'
लेकिन उन्होंने ऐसे कुछ मामले भी गिनाए जिन्हें सीबीआई सुलझाने में नाकाम रही जिन में से पांच ये थे:-
बदायूं 'बलात्कार और हत्याकांड' : पिछले साल बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों की लाशें उनके घर के करीब पेड़ से लटकी मिली थीं। एफआईआर के अनुसार, उनका बलात्कार करके उनकी हत्या कर दी गई थी, लेकिन सीबीआई ने अपनी जांच में दावा किया कि इन लड़कियों का न तो बलात्कार हुआ था न ही उनकी हत्या।
सीबीआई के अनुसार, इन लड़कियों ने आत्महत्या की थी। लड़कियों के परिवार वालों ने इसके दावे को खारिज कर दिया और इसकी दोबारा से जांच की मांग की है।
आरुषि हत्याकांड : नोएडा में 2008 में 14-वर्ष की आरुषि तलवार की हत्या के मामले में सीबीआई ने दो बार जांच की। दूसरी बार मुकदमे को बंद करने की सिफारिश की जिसे अदालत ने ठुकरा दिया। इस मुकदमे की जांच को लेकर सीबीआई की कड़ी आलोचना हुई।
शारदा चिट फंड कांड : कुछ साल पहले पश्चिम बंगाल में अरबों रुपए के घोटाले की खबर आई जिसे शारदा चिट फंड घोटाले के नाम से जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई के हवाले की।
जांच जारी है लेकिन पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर शांतनु सेन कहते हैं, 'इसकी जांच की रफ्तार इस बात पर निर्भर करती है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्रीय सरकार से कब और कितना निकट जाती हैं।'
अमित शाह के खिलाफ हत्या का मुकदमा खारिज : लगभग दस साल पहले गुजरात में हुए फर्जी पुलिस मुड़भेड़ में कुछ मुस्लिम युवा मारे गए थे। सीबीआई ने अपनी जांच में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को खास अभियुक्त माना था।
सुप्रीमकोर्ट के कहने पर उनके खिलाफ मुकदमा मुंबई में चल रहा था, लेकिन कुछ महीने पहले सीबीआई ने अभियुक्तों की लिस्ट से अमित शाह का नाम खारिज कर दिया।