अयोध्या में मस्जिद के लिए मुसलमानों को यूपी सरकार कहां दे रही है ज़मीन?

Webdunia
शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020 (10:10 IST)
समीरात्मज मिश्र, लखनऊ से, बीबीसी हिंदी के लिए
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार के ट्रस्ट बनाने की घोषणा के साथ ही यूपी सरकार ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जगह देने की भी घोषणा कर दी। लेकिन सरकार ने जो जगह देने की पेशकश की है उसे लेकर मुस्लिम पक्ष और अयोध्या के आम मुसलमानों में नाराज़गी है।
 
बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया, "कैबिनेट की बैठक में पांच एकड़ ज़मीन का प्रस्ताव पास हो गया है। हमने तीन विकल्प केंद्र को भेजे थे, जिसमें से एक पर सहमति बन गई है। यह ज़मीन लखनऊ-अयोध्या हाई-वे पर अयोध्या से क़रीब 20 किलोमीटर दूर है।"
 
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने दो अन्य ज़मीनों के जो प्रस्ताव भेजे थे वो अयोध्या-प्रयागराज मार्ग पर थे। राज्य सरकार मस्जिद के लिए पांच एकड़ ज़मीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देने जा रही है। लेकिन अयोध्या के तमाम मुसलमान और इस विवाद में पक्षकार रहे कई लोग इतनी दूर ज़मीन देने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
 
क्या कह रहे हैं मुस्लिम पक्षकार
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ज़फ़रयाब जिलानी ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं।
 
जिलानी का कहना है, "यह प्रस्ताव साल 1994 में संविधान पीठ के इस्माइल फ़ारूक़ी मामले में दिए गए फ़ैसले के ख़िलाफ़ है। उस फ़ैसले में यह तय हुआ था कि केंद्र द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ ज़मीन सिर्फ़ चार कार्यों मस्जिद, मंदिर, पुस्तकालय और ठहराव स्थल के लिए ही इस्तेमाल होगी। अगर उससे कोई ज़मीन बचेगी तो वह उसके मालिकान को वापस कर दी जाएगी। ऐसे में मस्जिद के लिये ज़मीन इसी 67 एकड़ में से दी जानी चाहिए थी।"
 
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यह ज़मीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी जानी है लेकिन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड से इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
 
हालांकि बोर्ड के एक सदस्य अब्दुल रज़्ज़ाक़ ने बीबीसी को बताया कि वहां ज़मीन देने का कोई मतलब नहीं है और बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकार न करने का दबाव बनाया जाएगा।
 
कहां ज़मीन हुई चिन्हित
राज्य सरकार ने मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए धन्नीपुर गांव में जो पांच एकड़ ज़मीन देने का ऐलान किया है, वह मूल मस्जिद स्थल से क़रीब 25 किलोमीटर दूर है।
 
यह गांव अयोध्या ज़िले के सोहवाल तहसील में आता है और रौनाही थाने से कुछ ही दूरी पर है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ज़मीन के लिए मालिकाना हक़ की लड़ाई लड़ चुके एक प्रमुख पक्षकार हाजी महबूब को राज्य सरकार का ये फ़ैसला रास नहीं आ रहा है।
 
बीबीसी से बातचीत में हाजी महबूब कहते हैं, "इतनी दूर ज़मीन देने का कोई मतलब नहीं है। अयोध्या का मुसलमान वहां जाकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता है। हम तो पहले ही कह चुके हैं कि हमें ज़मीन नहीं चाहिए। लेकिन यदि देना ही है तो इसे अयोध्या में ही और शहर में ही देना चाहिए। अयोध्या के मुसलमान तो इसे स्वीकार नहीं करेंगे। बाक़ी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड क्या करता है, ये उस पर है।"
 
इस मामले में एक अन्य पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी कहते हैं कि उन लोगों से इस बारे में कोई राय ही नहीं ली गई कि ज़मीन कहां दी जानी है या कहां नहीं। इक़बाल अंसारी को भी ये प्रस्ताव स्वीकार नहीं है।
 
वो कहते हैं, "बाबरी मस्जिद अयोध्या में थी और उसके लिए ज़मीन भी वहीं दी जानी चाहिए। जहां पहले से ही मस्जिद है, उसे भी विकसित किया जा सकता है। अगर सरकार अयोध्या में ज़मीन नहीं देती है तो लोग घर में भी नमाज़ पढ़ लेंगे। 25-30 किलोमीटर दूर ज़मीन देने का क्या मतलब है।"
 
मुस्लिम बहुल होने की वजह से वहां दी गई ज़मीन?
बताया जा रहा है कि धन्नूपुर गांव में जिस जगह ज़मीन देने का सरकार ने प्रस्ताव पास किया है, वह मुस्लिम आबादी के क़रीब है और पास में ही एक दरगाह है जहां हर साल मेला लगता है।
 
एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां ज़मीन देने की पेशकश की ही इसीलिए गई है क्योंकि यह जगह मुस्लिम बहुल है और उनके लिए मस्जिद की उपयोगिता भी है।
 
जहां तक सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का सवाल है तो वो सरकार के इस फ़ैसले का विरोध करता है या फिर स्वीकार करता है, इसका फ़ैसला बोर्ड की आगामी बैठक में लिया जाएगा। बोर्ड के एक सदस्य ने बताया कि पहले बोर्ड की बैठक 12 फ़रवरी को होनी थी लेकिन अब ये बैठक 24 फ़रवरी को होगी।
 
लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तमाम सदस्य राज्य सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर भी इसे स्वीकार न करने के लिए दबाव बना रहे हैं।
 
पर्सनल लॉ बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी का कहना था, "सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। हम बोर्ड से ज़मीन न लेने का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन बोर्ड यदि ज़मीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फ़ैसला नहीं समझा जाना चाहिए।"
 
पिछले साल नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का फ़ैसला सुनाते हुए अधिग्रहित ज़मीन राम लला को दी थी और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद के लिए पांच एकड़ ज़मीन देने का सरकार को निर्देश दिया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Chunav : रायबरेली में प्रियंका गांधी संभाल रहीं भाई राहुल का चुनावी कैंपेन, PM मोदी को लेकर लगाया यह आरोप

Sandeshkhali Case : बैरकपुर में प्रधानमंत्री मोदी का दावा, बोले- प्रताड़ित महिलाओं को धमका रहे TMC के गुंडे

केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में दी 10 गारंटी, कहा फेल हुआ भाजपा का प्लान

Gold ETF से निवेशकों ने अप्रैल में निकाले 396 करोड़, जानिए क्‍या है कारण...

FPI ने मई में की 17000 करोड़ से ज्‍यादा की निकासी, चुनाव काल में क्‍या है विदेशी निवेशकों का रुख

15000 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन, 24GB तक रैम और 60 दिन चलने वाली बैटरी

53000 रुपए की कीमत का Google Pixel 8a मिलेगा 39,999 रुपए में, जानिए कैसे

Apple Event 2024 : iPad Pro, iPad Air, Magic Keyboard, Pencil Pro एपल ने लूज इवेंट में किए लॉन्च

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

अगला लेख