जबरन धर्म परिवर्तन : पास के गाँव में पिंकी भी पढ़ाती हैं जो एक किसान परिवार से संबंध रखती हैं। उनका कहना है कि मदरसे में पढ़ाते हुए अब छह महीने हो गए हैं और इस दौरान ना तो उनके घर में किसी ने इसका विरोध किया ना समाज में।
मेरठ के सरावा गाँव के एक मदरसे में पढ़ाने वाली लड़की द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाने के बाद पश्चिमी उत्तरप्रदेश में मदरसों पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। आरोपों के बाद कुछ मुस्लिम संगठनों ने मदरसों में हिन्दू शिक्षकों को ना रखे जाने की मांग शुरू कर दी है। कुछ एक संगठनों ने मदरसों में हिन्दू महिला शिक्षकों को ना रखने की सलाह भी दे डाली है।
ज्यादा प्रोत्साहन : मगर उत्तरप्रदेश आधुनिक मदरसा शिक्षक संघ ने ऐसी मांगों का विरोध करते हुए कहा है कि मदरसों में हिन्दुओं का पढ़ाना एक अच्छी बात है और इसे ज्यादा प्रोत्साहन मिलना चाहिए ताकि छात्र समाज की सभी धाराओं को करीब से समझ सकें।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष एजाज़ अहमद ने बीबीसी को बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में काफी संख्या में हिन्दू शिक्षक मदरसों में पढ़ा रहे हैं और किसी को ना तो मदरसों के संचालन से कोई शिकायत है और ना ही सहकर्मियों से।
मेरठ के ही ललियाना गाँव के मदरसा हदीस उल कुरान में विज्ञान पढ़ाने वाले नितिन का कहना है कि उन्हें जो इज्ज़त सहकर्मियों और छात्रों से मिलती है, उसकी वजह से अब वो मदरसे के अलावा कहीं और जाकर नहीं पढ़ाना चाहते।
अपवाद मदरसे : नितिन पिछले चार सालों से इस मदरसे में पढ़ा रहे हैं। पहले वो एक निजी स्कूल में पढ़ाते थे। वे कहते हैं, "शुरू-शुरू में तो अजीब सा लगा। मगर अब मदरसे में पढ़ाना अच्छा लग रहा है।"
उनका कहना है कि मदरसों के बारे में जो आम धारणा बन गई है, वो ग़लत है क्योंकि शिक्षा को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। मदरसा हदीस उल कुरान में हिंदी पढ़ाने वाले विनोद कुमार को लगता है कि सभी मदरसों को एक ही लाठी से नहीं हांका जा सकता है।
वो कहते हैं, "कुछ इक्का-दुक्का मदरसे अपवाद हों, ऐसा हो सकता है। मगर सब मदरसे ऐसे नहीं हैं। हम यहाँ इतने सालों से पढ़ा रहे हैं। हमें तो कुछ भी ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है। और जगहों की तरह यह मदरसा भी शिक्षा का केंद्र है और इन्हें भी उसी तरह देखा जाना चाहिए जैसा आप दूसरे शैक्षणिक संस्थाओं को देखते हैं।"
दाढ़ी वाले 'उस्ताद' : ललियाना गाँव के मदरसे के संचालक शकील अहमद कहते हैं कि उनके मदरसे में पढ़ाने वालों में 25 प्रतिशत हिन्दू हैं जो बड़े अहम विषय पढ़ाते हैं- जैसे गणित, विज्ञान, हिंदी और कंप्यूटर।
उनका कहना था कि इस मदरसे में हिन्दुओं के पढ़ाने का सिलसिला पिछले दस सालों से चल रहा है। मदरसों के बारे में आम तौर पर यह धारणा रही है कि यहाँ पढ़ाने वाले 'उस्ताद' दाढ़ी वाले, कुरता पायजामा और टोपी पहने हुए मौलवी साहब ही होंगे।
मगर अब यहाँ तिलक लगाकर पढ़ाने वाले भी नज़र आ रहे हैं। मदरसों का दशकों पुराना स्वरुप अब कुछ-कुछ बदल रहा है।