इसके तहत सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस कानून की आड़ में कई मासूम फर्जी मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
मणिपुर से कांग्रेस के सांसद डॉक्टर मेन्या मानते हैं कि इस कानून का दुरुपयोग हुआ है और कई आयोग इसे मणिपुर से हटाने की सिफारिश कर चुके हैं, डॉक्टर मान्या की निजी राय में इस कानून को अब तक हटा दिया जाना चाहिए था।
डॉक्टर मेन्या के मुताबिक इस वक्त जरूरत है मणिपुर में सुशासन की ताकि कानून व्यवस्था सुधरे और सेना की मदद की जरूरत कम हो।
ये और बात है कि लंबे समय से मणिपुर में और केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, पर न हालात ऐसे हो पाए हैं कि सेना की तैनाती हटाई जाए और न ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने पर सहमति बन पाई है।
आफस्पा का समर्थन करने वालों का तर्क है कि सेना प्रभावी तरीके से अपना काम कर सके इसके लिए जरूरी है कि उन पर नागरिक कानूनों की बंदिश न हो क्योंकि सेना वैसे ही इलाकों में तैनात की जाती है जहां युद्ध जैसी स्थिति हो।
न्याय की उम्मीद : इस सबके बीच मणिपुर की विधवाओं का संघर्ष जारी है। एडिना और उसके जैसी कई युवा विधवाएं और कुछ ऐसी महिलाएं एकजुट हुई हैं जिन्होंने अपने पतियों और बेटों को कथित फर्जी मुठभेड़ों में खोया है।
एक दूसरे के साथ हिम्मत जुटाकर और मानवाधिकार संगठनों की मदद से अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर में मुठभेड़ के 1500 से ज्यादा मामलों की जांच की मांग की है।
इन्हीं में से एक नितान कहती हैं कि संगठन बनने से जिंदगी को न सिर्फ एक नई दिशा और उम्मीद मिली है बल्कि अंदर से टूटा आत्मविश्वास भी जुड़ने लगा है। पर न्याय की उम्मीद करने वाली ये महिलाएं राजनेताओं से बिल्कुल नाउम्मीद हैं।
नितान कहती हैं कि वोट देने जाएंगी मगर बदलाव की उम्मीद के बिना, 'पहले तो सब नेता कहते हैं कि मणिपुर से आफस्पा कानून हटा देंगे लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं कहता, इसलिए बिल्कुल मन नहीं करता वोट देने का।'
एडिना भी नितान से सहमत हैं। कहती हैं कि राजनीति से ज्यादा उन्हें न्यायालय पर ही भरोसा है।
इनके संगठन की एक बैठक में जब मैं और सदस्यों से मिली तो कइयों ने कहा कि वे अभी तक तय नहीं कर पाई हैं कि वोट डाले भी या नहीं, फिर कुछ ने कहा कि अब न्याय के लिए आवाज उठाने की हिम्मत की है तो वोट भी जाया नहीं होने देंगी।
इनमें से कई महिलाएं अपनी नाराजगी और हताशा घर बैठकर नहीं, बल्कि इस बार नोटा का बटन दबाकर जाहिर करने की सोच रही हैं।