तानाशाहों के पांच सबसे बदनाम सफाए

Webdunia
मंगलवार, 17 दिसंबर 2013 (11:23 IST)
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उत्तर कोरिया के शक्तिशाली नेता चांग सोंग-थाएक को मृत्युदंड दिए जाने और उसके बाद सरकारी अभिलेखों से उनकी पहचान मिटाने ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया। सोंग थाएक उत्तर कोरिया के वर्तमान नेता किम जोंग के फूफा थे।

इस घटना के बाद किम जोंग दुनिया के उन कुख्यात नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने अपने विरोधियों की पहचान ही मिटा दी। पिछली सदी में किए गए पांच कुख्यात राजनीतिक सफ़ाए इस तरह हैं।

हिटलर, जर्मनी, 1934 : हिटलर ने वर्ष 1933 में जर्मनी की सत्ता में आने के लिए वोट और ताकत दोनों का इस्तेमाल किया था। 'ब्राउनशर्टस' नाम से मशहूर दी स्टरमैब्टीलंग (एसए) नाजी पार्टी के अर्ध-सैनिक बल के रूप में काम करता था।
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अपने करिश्माई नेता अर्नेस्ट रोएह्म के नेतृत्व में इस दस्ते ने 1920 के दशक और 1930 के दशक के शुरू के सालों में अपने सभी संभावित विरोधियों को मार-पीट और डरा-धमका कर रखा। लेकिन वर्ष 1934 में 30 जून से दो जुलाई के बीच रोएह्म सहित एसए के दर्जनों नेताओं को गोली मार दी गई।

इस घटना को दी नाइट ऑफ दी लॉन्ग नाइव्स के नाम से जाना जाता है। इस घटना के बाद भी एसए का अस्तित्व बना रहा लेकिन इस सफाए ने इसे पंगु बना दिया था।

स्टालिन, सोवियत संघ, 1934-1939 : स्टालिन ने नेतृत्व के लिए भयावह राजनीतिक सफाए की भूमिका के तौर पर अपने दाहिने हाथ सर्जेई किरोफ को मरवा दिया। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि स्टालिन ने किरोफ को अपने राजनीतिक लाभ के लिए मरवाया।

इसके बाद पार्टी के दर्जनों नेताओं को दिखावटी मुकदमे के बाद मरवाया या निर्वासित किया गया। इन सभी पर लियोन ट्राट्स्की से मिले होने का आरोप लगाया गया था। स्टालिन के बरक्स नेतृत्व के संभावित दावेदार ट्राट्स्की वर्ष 1929 में सोवियत संघ से पलायन कर गए थे।

उस दौर में देशद्रोही घोषित किए गए किसी भी व्यक्ति के मित्रों, दोस्तों या सहानुभूति रखने वालों तक के संग बहुत ही क्रूरता से निपटा जाता था। वर्ष 1940 में मैक्सिको में ट्राट्स्की की हत्या कर दी गई थी। माना जाता है कि यह हत्या स्टालिन के आदेश पर की गई थी।

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सद्दाम हुसैन, इराक, 1979 : जब सद्दाम हुसैन सत्ता में आए तो उन्होंने सत्ताधारी बाथ पार्टी के 60 से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं का सार्वजनिक सफाया करा दिया था।

जबकि वो बाथ पार्टी से इराक के राष्ट्रपति बने थे। उस समय का एक श्वेत-श्याम वीडियो है जिसमें सद्दाम सिगार पी रहे हैं और बहुत से नेताओं को देशद्रोही घोषित किया जा रहा है।

उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और केवल आधे ही सदस्य अंदर बच रह गए। इनमें से ज्यादातर पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर मृत्युदंड दे दिया गया।

डेंग शियाओपिंग, 1980, चीन : माओ त्से तुंग की वर्ष 1976 में मृत्यु होने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में नेतृत्व के लिए तीखा टकराव शुरू हो गया। वर्ष 1978 तक माओ के घोषित उत्तराधिकारी हुआ गूफंग को हटाकर डेंग शियाओपिंग ने सत्ता से बेदखल कर दिया जबकि माओ ने शियाओपिंग को सत्ता से बाहर कर रखा था।
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वर्ष 1980 में माओ के सबसे करीबी लोगों में कुछ पर मुकदमा चलाया गया। यह मुकदमा पूर्णतया राजनीतिक था जिसमें राजनीतिक दुष्प्रचार का भरपूर इस्तेमाल हुआ।

इसके तहत तथाकथित 'गैंग ऑफ फोर' (चौकड़ी) की निंदा की गई थी। इसका उद्देश्य था डेंग को ताकतवर बनाना। मुकदमे में चारों को दोषी पाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई।

थान श्वे, बर्मा/ म्यांमार, 2004 : साल 2010 तक बर्मा (म्यांमार) में एक ही व्यक्ति का शासन चलता था, थान श्वे। इस सैनिक जनरल ने बर्मा में करीब दो दशक तक एकछत्र राज किया।

हालांकि बहुत ही थोड़े समय के लिए एक युवा करिश्माई नेता थकिन किन न्यून ने उन्हें चुनौती देने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री और सेना के खुफिया विभाग के प्रमुख के रूप में किन ने अपनी शक्ति काफी बढ़ा ली थी। उन्होंने अपना अखबार भी शुरू कर दिया था।

थान श्वे ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया और उन पर भ्रष्टाचार और घूसखोरी का मुकदमा चलवाया। वर्ष 2005 में उन्हें 44 साल की सजा हो गई। लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्हें अभयदान देते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया।

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