बबलू की दामिनी जयपुर में भर्ती

नारायण बारेठ, जयपुर से

Webdunia
सोमवार, 22 अक्टूबर 2012 (12:32 IST)
BBC
नन्हीं दामिनी के लिए कोई हाथ दवा के लिए उठा तो कोई दुआ के लिए। भरतपुर के रिक्शा चालक बबलू की एक माह की बेटी दामिनी की तबीयत नासाज है।

उसे बेहतर इलाज के लिए भरतपुर से जयपुर लाया गया है जहां एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर उसकी देखभाल कर रहे हैं।

दामिनी के सिर पर मां का साया नहीं है। लिहाजा बबलू दोनों फर्ज अदा कर रहा है। बबलू कहता है, कि मेरे ख्वाबों की दुनिया तो दामिनी में बसी है, जबसे उसे बीमार देखा है, मेरा मन आशंकाओं से भर गया।

भरतपुर के जिला कलेक्टर जेपी शुक्ला ने बताया कि बबलू और दामिनी के साथ डॉक्टर, नर्स और एक सरकारी अधिकारी को भेजा गया है। इस दौरान दुनियाभर से लोग दामिनी और बबलू की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

बेटी और पिता के रिश्ते का उत्कर्ष : अपनी मां की मौत के बाद दामिनी उस समय बीमार पड़ गई जब पिता बबलू ने उसे सीने से लगा लिया और रिक्शा चलाते समय उसे गले में लटके झूले में साथ रखा। क्योंकि घर में कोई और उसकी परवरिश करने वाला नहीं था और बबलू के लिए रिक्शा, रोटी का एकमात्र जरिया था।

उसे तीन दिन पहले भरतपुर में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिला कलेक्टर जेपी शुक्ला दो बार उसे देखने अस्पताल गए और रविवार को उन्होंने शिशु रोग विशेषज्ञ से बात की। डॉक्टर ने उसे तुरंत जयपुर ले जाने की सलाह दी।

डॉक्टरों की राय और खुद बबलू के आग्रह पर नन्ही परी को जयपुर लाया गया है। जयपुर पहुंचने के बाद बबलू ने कहा कि उसे भरोसा है दामिनी जल्द ठीक हो जाएगी। जिला कलेक्टर ने बताया कि बबलू का पुनर्वास किया जाएगा ताकि वो अपनी लाड़ली बेटी का ठीक से पालन कर सके।

हम स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों से बात कर रहे हैं ताकि दामिनी के अच्छे और सुखद भविष्य की व्यवस्था हो। बबलू को स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर ने रिक्शा नज़र कर दिया है। और भी बहुतेरे लोगो ने भारत और विदेशों से मदद का वादा किया है।

हरसत बाबुल बनने की : अमेरिका में रह रहे किरन श्रीनिवासन ने दामिनी के लिए एक लाख रुपए की मदद की पेशकश की है। बबलू जिस तरह अपने दामन से दामिनी को लगा कर रिक्शे पर सवारी लेकर घूमा, जिसने भी देखा द्रवित हो गया।

दामिनी के लिए यह दुनिया नई है, उसे नहीं मालूम कि कैसे लोग नवजात बेटियों को बिसार देते हैं। लेकिन दामिनी को पहले मां शांति और पिता बबलू का दुलार मिला और जब शांति इस दुनिया से रुखसत कर गई, बबलू ने उसे ऐसे हृदय से लगाया, गोया ये बेटी और पिता के रिश्ते का उत्कर्ष हो।

दामिनी इस मामले में खुशनसीब है कि उसे दुनिया के हर हिस्से से दुलार मिला, फिर चाहे वो विदेश में बसे दीपक पारधी हों, अमेरिका के विजय गढ़वी, किरण श्रीनिवासन, अमिताभ गांधी, गौतम अरोरा, रवि रविपति, मेलबोर्न के शैलेंद्र, बेल्जियम के प्रेम जायसवाल हों या पंजाब के सुखनायब सिंधु।

दामिनी ने बेटी होने के नाते उन सैकड़ों लोगों से रिश्तों की ऐसी बुनियाद रखी है जो उस नन्ही जान से कभी रूबरू नहीं हुए। लेकिन हर लब पर दुआ के अल्फाज हैं युग-युग जियो दामिनी, क्योंकि बबलू की हरसत बाबुल बनने की है।

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