Bihar Assembly elections : बिहार विधानसभा चुनाव में आज पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग हो रही है। सुबह 11 बजे तक 28 फीसदी के करीब वोटिंग हो चुकी है। मतदान केंद्रों पर महिला और युवा वोटर्स की बड़ी संख्या देखी जा रही है। चुनाव में जिस तरह से दोनों गठबंधनों ने महिला और युवाओं को साधने के लिए बड़े चुनावी दावे किया है, उससे महिला और युवा मोटर्स में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
दरअसल बिहार में इस बार NDA और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है और इसमें मुफ्त का दांव यानी फ्री बिज पॉलिटिक्स का दांव सबसे बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है। दोनों ही गठबंधनों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के साथ-साथ अपने चुनावी कैंपेन में मुफ्त के दांव पर ही फोकस किया है यानी इस बार बिहार में मुफ्त का दांव ही तय करेगा कि बिहार में अगली सरकार किसकी होगी।
अगर बिहार में दोनों ही गठबंधन (NDA और महागठबंधन) के घोषणा पत्र को देखें तो साफ हो जाता है कि वोट के लिए मुफ्त के दांव पर भी भरोसा किया गया है। सत्तारूढ़ एनडीए ने अपने चुनावी मैनिफेस्टो 'साझा संकल्प पत्र' भी अधिक मतदान करने वाले वर्ग महिलाओं और युवाओं को टारगेट कर जमकर मुफ्तखोरी का दांव चला है।
एनडीए के चुनावी घोषणा पत्र में 125 यूनिट मुफ्त बिजली के वादे के साथ 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड और 50 लाख पक्के मकान का वादा, गरीब और निम्न मध्यम वर्ग को लुभाने का दांव है। इसके साथ एनडीए ने आधी आबादी यानी महिला वोटर्स पर फोकस करते हुए चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में सीधे एकमुश्त 10 हजार रुपए डालते हुए एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने वाला दांव चला है। जिसके तहत व्यवसाय के लिए कम ब्याज पर दो लाख रुपए का ऋण दिया जाएगा।
इसके साथ NDA ने गरीब वर्गों को KG से PG तक मुफ्त शिक्षा के साथ एक करोड़ नौकरी/रोजगार का दांव चलकर युवा वोटर्स को रिझाने को रिझाने की कोशिश की है। इसके साथ बिहार में 36 फीसदी वाले अति पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए व्यवसाय के लिए 10 लाख तक की आर्थिक सहायता देने का वादा किया है।
वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने वाले महागठबंधन ने हर घर सरकारी नौकरी और सरकार बनने के दो महीने के अंदर (14 जनवरी 2026) को महिलाओं के खाते में एकमुश्त 30 हजार देने का ऐलान ऐसा दांव है जो चुनाव में उसके लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है।
दूसरी ओर महागठबंधन ने अपने संकल्प पत्र में युवा, महिला और कर्मचारियों पर सीधे वित्तीय गारंटी और नौकरी के वादों पर ध्यान केंद्रित रखा है। सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर प्रदेश के हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का अधिनियम लागू किया जाएगा और 20 महीने के भीतर नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू होगी। सभी जीविका दीदियों को स्थाई सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा और उनका वेतन 30 हजार होगा।
सभी संविदाकर्मियों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को भी स्थाई किया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाएगा। शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों को गृह जिले के 70 किलोमीटर के दायरे में स्थानांतरण का विकल्प मिलेगा।
प्रदेश के हर परिवार को हर महीने 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी 'हर परिवार को सरकारी नौकरी' जैसे वादे गेमचेंजर साबित हो सकते हैं, बशर्ते मतदाता इस बात पर विश्वास कर लें कि महागठबंधन के पास इसे पूरा करने का ब्लूप्रिंट और वित्तीय संसाधन हैं।
Edited By : Chetan Gour