कस्तूरबा गांधी की जयंती, जानें उनकी जीवनी

कस्तूरबा गांधी के बारे में जानें

WD Feature Desk
गुरुवार, 11 अप्रैल 2024 (14:34 IST)
Kasturba Gandhi In Hindi 
 
HIGHLIGHTS
 
• कस्तूरबा गांधी की जयंती।
• स्वतंत्रता संग्राम में कस्तूरबा का योगदान।
• वे मोहनदास करमचन्द गांधी की पत्नी थीं।
 
Kasturba Gandhi : स्वतंत्रता संग्राम के समय सक्रिय रहीं कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को काठियावाड़ के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता गोकुलदास मकनजी एक साधारण व्यापारी थे। तथा माता का नाम वृजकुंवरी था। और कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थीं। कस्तूरबा का अन्य नाम 'बा' भी था। 
 
बचपन में निरक्षर थीं कस्तूरबा गांधी क्योंकि उस जमाने में लड़कियों को कोई पढ़ाता नहीं था। अत: मात्र 7 साल की उम्र में उनसे एक साल छोटे यानी 6 साल के मोहनदास/ महात्मा गांधी से उनकी सगाई की गई। और 13 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। उनकी चार संतानें थी, जिनका नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास था।  उन्होंने लगभग 62 वर्ष की उम्र तक वैवाहिक जीवन बिताया। 
 
स्वतंत्रता आंदोलन में कस्तूरबा महात्मा गांधी के साथ सैनिक सहायता के रूप में कार्य करने वाली पहली महिला प्रतिभागी थीं। जिन्होंने स्वतंत्र भारत के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना की थीं और गांधी जी के जेल जाने पर स्वाधीनता संग्राम के सभी अहिंसक प्रयासों में अग्रणी बनी रहीं। अत: कस्तूरबा के आत्मबलिदान, महिलाओं के प्रति शिक्षा का भाव तथा आजादी का मोल को समझने वाली 'बा' ने हर कदम पर गांधी जी का साथ निभाया। 
 
'बा' धार्मिक रूप से सहिष्णु थीं, उन्होंने अपने जीवन को भी गांधी जी की तरह ही साधारण बना लिया था। तथा उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अपने पति और देश के लिए व्यतीत किया। देश की आजादी, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक उत्थान में उनका योगदान प्रेरणादायक और बहुमूल्य था। 
 
गांधी जी गिरफ्तर होने और जेल जाने पर कस्तूरबा गांधी जब 9 अगस्त 1942 को मुंबई के शिवाजी पार्क में भाषण देने जा रही थीं, तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उस समय उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, गिरफ्तारी की रात से जो उनका स्वास्थ्य बिगड़ा था वो फिर ठीक न हो सका। 22 फरवरी 1944 को श्रीमती कस्तूरबा गांधी का निधन हो गया। आज भी भारत के गौरवशाली इतिहास में कस्तूरबा गांधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। महात्मा गांधी की पत्नी जो आज भारत में 'बा' के नाम से विख्यात है। उन्हें संघर्ष, त्याग व सादगी की प्रतिमूर्ति भी कहा जाता है।
 
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