बर्थडे तिथि के अनुसार मनाएं या कि तारीख के, क्या है सही?

WD Feature Desk
बुधवार, 16 अप्रैल 2025 (17:42 IST)
Hindu calendar date for birthday‍: यदि किसी का जन्म मकर संक्रांति के दिन हुआ है तो उसे अपना जन्मदिन मकर संक्रांति के दिन ही मनाना चाहिए, क्योंकि मकर संक्रांति का त्योहार तब मनाया जाता है जबकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह घटना कभी 14 जनवरी को तो कभी 15 जनवरी को घटती है। 1600 में 10 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई थी। राजा हर्षवर्द्धन के समय में 24 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाई गई थी। मुगल बादशाह अकबर के काल में 10 जनवरी को और वीर छत्रपति सम्राट शिवाजी महाराज के शासनकाल में 11 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई थी। एक समय ऐसा भी आएगा जबकि मकर संक्रांति फरवरी में भी मनाई जाएगी। ज्योतिष मान्यता के अनुसार सूर्य की गति प्रतिवर्ष 20 सेकंड बढ़ रही है। इस मान से देखा जाएगा तो करीब 1,000 साल पहले 31 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाई गई थी और 5,000 वर्ष के बाद संभवत: मकर संक्रांति फरवरी की किसी तारीख को मनाई जाए। इसलिए तरीख से ज्यादा सही सूर्य और चंद्र की गति होती है। अवैज्ञानिक कैलेंडर की तारीखें सूर्य या चंद्र की गति के अनुसार नहीं चलती है।

तिथि का आधार क्या?
उपरोक्त सूर्य की गति की बात थी लेकिन तिथि का आधार चंद्र की गति होती है। आपका जन्म हुआ उस समय को सही तौर पर सिर्फ तिथि से ही जाना जा सकता है। आपका जन्म यदि चतुर्थी को हुआ है तो यही आपके जन्म की सही तिथि है जो किसी भी काल में कभी भी बदलने वाली नहीं है। जैसे कि चै‍त्र माह की नवमी को रामजी का जन्म हुआ था और पूर्णिमा के दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था। हर साल चैत्र नवमी और पूर्णिमा की तारीख अलग अलग होती है।  
 
तिथि का ही बिगड़ा हुआ रूप है तारीख या डेट। पश्‍चिम के लोगों ने अपने मनमाने कैलेंडर बनाकर उसे दुनिया पर थोप दिया जो अभी तक प्रचलन में है। आपका जन्म मार्च माह की किसी भी तरीख को हुआ हो और यदि उसी तारीख के दिन आप अपना जन्मदिन मनाते हैं तो यह गलत है आपको भारतीय माह को लेकर उसकी तिथि को लेना चाहिए।  
 
आमतौर पर अंग्रेजी तरीखें 24 घंटे में बदलती है जबकि तिथि उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक की होती है। इसका मतलब यह कि कोई तिथि 19 घंटे की होगी तो कोई तिथि 24 घंटे की भी हो सकती है। अब यदि कोई तिथि 19 घंटे की होगी तो इसका मतलब है कि मध्यांतर में ही या मध्य रात्रि में ही तिथि बदल जाएगी। आपने देखा होगा चांद को दिन में भी निकलते हुए। दरअसल यह तिथि ग्रह, नक्षत्र, सूर्य, चंद्र आदि को ध्यान में रखकर निर्मित की गई है।
भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्योदय से दिन बदलते हैं। जिन्हें सावन दिन कहते हैं, मतलब सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक। जहां तक तिथि का प्रश्न है तो वह सूर्य और चंद्रमा के अंतर से तय की जाती है लेकिन उसकी गणना भी सूर्योदय से ही की जाती है। उसी तिथि को मुख्य माना जाता है जो उदय काल में हो। प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष में 15 तिथियां होती है, लेकिन क्योंकि सौर दिन से चंद्र दिन छोटा होता है इसलिए कई बार एक दिन में दो या तीन तिथियां भी पड़ सकती हैं। इसमें तिथियों की तीन स्थितियां बनती हैं। 
 
जिस तिथि में केवल एक बार सूर्योदय होता है उसे सुधि तिथि कहते हैं, जिसमें सूर्योदय होता ही नहीं यानी वह सूर्योदय के बाद शुरू होकर अगले सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाती है उसे छह तिथि कहते हैं, इसमें एक दिन में तीन तिथियां हो जाती है और तीसरी स्थिति वो जिसमें दो सूर्योदय हो जाए उसे तिथि वृद्धि कहते हैं। 
 
हिन्दू पंचांग के महीने नियमित होते हैं और चंद्रमा की गति के अनुसार 29.5 दिन का एक चंद्रमास होता है। हिन्दू सौर-चंद्र-नक्षत्र पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा माह की 15वीं और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि है जिस दिन चन्द्रमा आकाश में पूर्ण रूप से दिखाई देता है। पंचांग के अनुसार अमावस्या माह की 30वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है जिस दिन चन्द्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है।
 
तिथियों के नाम : 30 तिथियों के नाम निम्न हैं:- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)। पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 और फिर अमावस्या से पूर्णिमा तक 30 तिथि होती है। तिथियों के नाम 16 ही होते हैं।

तिथि के अनुसार मनाएं जन्मदिन:
यदि आपका जन्म 05 अप्रैल 2010 को हुआ था, और उस दिन चैत्र मास के कृष्‍ण पक्ष की सप्तमी तिथि थी, तो हर साल कृष्‍ण सप्तमी तिथि पर आपका जन्मदिन होगा। आप 05 अप्रैल को भूल जाइए। बस चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का ध्यान रखें। ग्रेगोरियन कैलेंडर की तारीख केवल समय के हिसाब से एक तारीख है, जबकि तिथि चंद्रमा के चरणों के साथ जुड़ी होती है। इसलिए, तिथि ज्यादा वैज्ञानिक है। 
 
यदि आप अपने जन्मदिन को खगोलीय और वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार मनाना चाहते हैं, तो तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाना बेहतर है। आप अपनी जन्म तिथि के अनुसार पूजा, दान और अन्य धार्मिक कर्म कर सकते हैं, जो आपको और आपके परिवार को आशीर्वाद देंगे।

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