जानिए दादा साहेब फाल्के की कहानी, जिन्हें कहा जाता है 'फादर ऑफ इंडियन सिनेमा'

Webdunia
शनिवार, 30 अप्रैल 2022 (17:51 IST)
प्रथमेश व्यास
हॉलीवुड को दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री कहा जाता है। लेकिन, अगर देखा जाए तो बॉलीवुड ने हॉलीवुड के मुकाबले 3 गुना ज्यादा फिल्में बनाई हैं, दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टूडियो (रामोजी फिल्म सिटी) भी भारत में ही है और दुनिया का सबसे अमीर अभिनेता (शाहरुख खान) भी एक भारतीय ही है।

 
लेकिन, आज उस इंसान को कम ही याद किया जाता है, जिसके प्रयासों की बदौलत भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने ये सभी उपलब्धियां हासिल की। बात हो रही है दादा साहेब फाल्के की, जिन्हें भारत की पहली फिल्म बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्ही के नज़रिए की वजह से भारत ने दुनिया को बताया कि हम भी बेहतरीन फिल्मों का निर्माण कर सकते हैं। आइए जानते हैं 'फादर ऑफ इंडियन सिनेमा' दादा साहेब फाल्के की कहानी...
 
दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने चित्रकारी, प्रिंटिंग और फोटोग्राफी जैसे कई क्षेत्रों में नौकरी की। उनका फोटोग्राफी का काम चल नहीं पाया, क्योंकि उस समय लोगों में ऐसी भ्रांतियां थी कि 'कैमरा किसी इंसान के अंदर से उसकी आत्मा को खींच लेता है'। कुछ दिनों बाद उन्होंने एक पिक्चर देखी, जिसका नाम था- लाइफ ऑफ क्राइस्ट। इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने सोचा कि भारत की ऐतिहासिक कहानियों को भी फिल्मों के माध्यम से दिखाया जा सकता है। फाल्के को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और प्रचार-प्रसार ने बहुत प्रभावित किया और उनका ये मानना था कि सिनेमा लोगों में एकता लाने का कार्य कर सकता है।
 
अपने इस विचार के चलते उन्होंने अपनी आधे से ज्यादा संपत्ति, यहां तक की अपनी पत्नी के गहने भी बेच दिए। इन सबके बदले में उन्होंने 30 हजार रुपए का लोन लिया और लंदन से एक कैमरा लेकर आए। 1913 में दादासाहेब फाल्के ने अपनी और भारत की पहली फिल्म का निर्माण किया, जिसके डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, कैमरामैन और एडिटर वो खुद थे, उनकी पत्नी ने कॉस्ट्यूम डिजाइन किए और उनके बच्चों ने इस फिल्म में अभिनय किया। इस फिल्म ने उन्हें रातों-रात मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने 19 वर्षों में 95 फिल्म और 26 शार्ट-फिल्म बनाई।
 
दादा साहेब फाल्के से प्रेरित होकर भारत में ढेरों फिल्में बनाई गई, जिससे निर्माण हुआ भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का, जो आज 2 बिलियन डॉलर की है। 16 फरवरी 1944 को नासिक में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के 25 साल बाद, भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में 'दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड' की घोषणा की गई। जिसे हिंदी सिनेमा में आजीवन योगदान प्रदान करने वाले कलाकारों को दिया जाता है।
 

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