5 कारण... सलमान की 'सुल्तान' के सुपरहिट होने के

Webdunia
1) सलमान... सलमान और सलमान 
पहला कारण निश्चित रूप से सलमान खान हैं। सलमान खान स्टार हैं और उनका काम है फिल्म के आरंभिक दिनों में भीड़ जुटाना। यदि फिल्म में दम हुआ तो वह बॉक्स ऑफिस पर चल निकलती है।  सलमान के नाम पर लगातार भीड़ जुट रही है और पिछली दस फिल्मों में सिर्फ जय हो ही ऐसी फिल्म रही जो वीकेंड तक ही चली। कुछ फिल्में कमजोर भी थीं, लेकिन सलमान ने अपने स्टारडम पर इन फिल्मों को सफल बना दिया। इन दिनों सलमान सफलता का दूसरा नाम बन गए हैं इसलिए सबसे अहम और मजबूत का कारण है सलमान की 'सुल्तान' में उपस्थिति।
 
 

2) मनोरंजन से भीगी स्क्रिप्ट 
फिल्म की कहानी साधारण है। एक अंडरडॉग की कहानी है जो तमाम विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए शिखर पर जा पहुंचता है। फिल्म में आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाने के लिए बहुत बुद्धिमान होने की जरूरत भी नहीं है। फिर भी फिल्म पकड़ कर रखती है तो केवल इसलिए कि स्क्रिप्ट कुछ ऐसी लिखी गई है कि दर्शकों को मनोरंजन का डोज़ लगातार मिलता रहता है। एक के बाद एक उम्दा सीन आते रहते हैं। प्रेम कहानी और खेल को आपस में अच्छी तरह गूंथा गया है। बच्चे, बूढ़े नौजवान, महिला, पुरुष सभी के लिए फिल्म में कुछ न कुछ है।  
 

3) सलमान बन गए सुल्तान 
एक्टिंग इस फिल्म की जान है। कई बार अच्छे अभिनेता खराब फिल्मों को अपने अभिनय के दम पर ऊंचा उठा देते हैं। सुल्तान में सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है। सपोर्टिंग कास्ट का सपोर्ट लाजवाब है, चाहे वे अनुष्का के पिता हो या सलमान के दोस्त। अनुष्का भी इस हीरो प्रधान फिल्म अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराती है और सलमान के स्टारडम को हावी नहीं होने देती। अहम बात तो यह है कि सलमान ने भी एक्टिंग की है। वे हर किरदार को सलमान खान बना देते हैं, लेकिन यहां सुल्तान के रूप में सलमान ढल गए। क्या आपको याद आता है कि कभी सलमान ने किरदार के लिए अपना वजन घटाया बढ़ाया हो। कुछ सीखा हो। 'सुल्तान' के लिए कुश्ती के दांव-पेंच सीखे। शरीर को ढाला। हरियाणवी लहजे में बोली जाने वाली हिंदी पर काम किया। अब सलमान को भी समझ में आ गया है कि केवल स्टार बन कर ही कुछ नहीं होगा। दर्शकों को खुश करने के लिए कुछ अलग करना होगा। बजरंगी भाईजान के बाद सुल्तान भी हिट हो गई और सलमान का इस बात पर यकीन और पक्का हो गया। 
 

4) जुड़ गया कनेक्शन 
निर्देशक को यूं ही जहाज का कप्तान नहीं कहते। उसे हर क्षेत्र पर पैनी निगाह रखना होती है। कलाकारो के साथ-साथ तकनीशियनों से भी सर्वश्रेष्ठ निकलवाना होता है। तब जाकर उसका काम आसान होता है। अली अब्बास ज़फर ने अपने प्रस्तुतिकरण को बहुत सरल रखा है। तकनीक की जादूगरी नहीं दिखाई है। उन्होंने अपने पात्रों को इमोशन के सहारे सीधे दर्शकों से कनेक्ट किया है। ये कनेक्शन होते ही फिल्म की सफलता तय हो जाती है। खेल के दृश्य भी अच्छे से पेश किए गए हैं। फिल्म की लम्बाई से कुछ लोगों को शिकायत हो सकती है। निर्मम होकर 15-20 मिनट कम किए जा सकते थे, लेकिन अली ने उन लोगों का खयाल रखा जो सलमान के भक्त हैं। वे अपने टिकट के मूल्य में ज्यादा से ज्यादा सलमान को देखना चाहते हैं। इसीलिए अपनी बात को कहने में अली ने 170 मिनट लिए हैं और बिना किसी हड़बड़ी के इत्मीनान से फिल्म बनाई है। 

5) संगीत का असर 
सलमान की फिल्म के रिलीज होने के दो महीने पहले ही दो-तीन गीत हिट हो जाते हैं। खासतौर पर आइटम सांग्स इसीलिए रखे जाते हैं। 'सुल्तान' में इस तरह का कोई आइटम नहीं था। फिल्म के गाने हिट नहीं हुई। कई दर्शक ऐसे थे जो 'सुल्तान' देखने पहुंचे तो उन्हें शायद ही कोई गाना इस फिल्म का याद हो। इरशाद कामिल ने सार्थक बोल लिखे। फिल्म देखते समय गाने पात्रों की मनोस्थिति को व्यक्त कराने के साथ-साथ कहानी को भी धार देते हैं। 'जग घूमेया', 'सच्ची मुच्ची', 'बेबी को बास पसंद है' जैसे कुछ गाने हैं जो कि अच्छे बन पड़े हैं। विशाल-शेखर ने अच्छी धुनें बनाई हैं। इसलिए सुल्तान में ज्यादा गाने होने के बावजूद मामला बिगड़ता नहीं है। 
Show comments

बॉलीवुड हलचल

विक्की डोनर से आर्टिकल 370 तक, ये हैं यामी गौतम की बेस्ट फिल्में

नेशनल सिनेमा डे के मौके पर सिनेमाघरों में महज इतने रुपए में देख सकते हैं आई वांट टू टॉक

IMDb की लोकप्रिय भारतीय सेलिब्रिटीज की वीकली लिस्ट में राशि खन्ना ने बनाई जगह, ग्लोबली कर रहीं ट्रेंड

दिशा पाटनी से दीपिका पादुकोण तक, इन एक्ट्रेसेस ने बॉडीकॉन ड्रेस में लूटी महफिल

मुक्काबाज से लेकर तूफान तक, बॉलीवुड की 5 फिल्में जो आपको करेंगी प्रेरित

सभी देखें

जरूर पढ़ें

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

अगला लेख