ऐश्वर्या राय बच्चन : बिटिया रानी बहुत सयानी

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ऐश्वर्या राय बच्चन का कहना है कि उनका व्यक्तित्व प्याज के छिलकों की तरह है। कोई भी उनके बारे में सब कुछ पूरी तरह नहीं जानता। यहाँ तक कि माँ-बाप भी। परिवार के प्रति अगाध श्रद्धा के बावजूद ऐश की शख्सियत की कुछ ऐसी परतें हैं, जो वे किसी के सामने उजागर नहीं करतीं। सलमान प्रकरण में भी उन्होंने अंत तक अपने दिल की बात जाहिर नहीं होने दी।

 

इंडस्ट्री में खबरें उड़ती रहीं कि सलमान से नजदीकी के चलते ऐश के अपने पिता से संबंध खराब हो गए थे। यह सच है कि ऐश के पिता कृष्णराज राय ने सलमान को कभी फूटी आँख पसंद नहीं किया, पर यह भी सच है कि हर हिन्दुस्तानी युवती की तरह ऐश ने भी अपने ‍परिवार की इज्जत को सर्वोपरि माना। इससे उनके घरेलू ‍चरित्र और माँ-बाप के प्रति आदर की झलक मिलती है।


ऐश के शब्दों में 'मेरे अभिभावक मेरे दोस्त रहे। उन्होंने तमाम महत्वपूर्ण मसलों पर निर्णय लेने में मेरी मदद की। जिन संस्कारों की वजह से मैं आज सही और गलत का फैसला कर पाती हूँ, वे मेरी माता-पिता की देन हैं। उन्होंने कभी मुझे घर में स्टार नहीं माना। माँ एक आम बच्ची की तरह मुझे डाँटती-फटकारती हैं। परिवार के मार्गदर्शन के बगैर मैं कुछ भी नहीं हूँ। मुझे लगता है मैं आम लड़कियों की अपेक्षा जल्दी परिपक्व हो गई। परिवार ही मेरी ताकत है और कमजोरी भी।'

टॉम क्रूज की प्रशंसक
एक नवंबर 1973 को मंगलोर (कर्नाटक) के एक शिक्षित मध्यवर्गीय परिवार में जन्मीं ऐश्वर्या को समय से पूर्व परिपक्व बनाने में उनकी असाधारण सुंदरता का हाथ रहा। बंगलोर और फिर मुंबई में पली-बढ़ी ऐश्वर्या को छुटपन में समझ नहीं पड़ता था कि सब लोग उन्हें घूरते क्यों रहते हैं।

13-14 साल की उम्र तक ऐश को अपनी सुंदरता का गुमान नहीं था। वे यही समझतीं कि उनसे कोई अपराध हो गया है, इसलिए सब उन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। यहाँ तक कि विद्यार्थी जीवन में ऐश्वर्या ने पाठ्येगतर सांस्कृतिक गतिविधियों से भी खुद को दूर रखा, ताकि वे लोगों के आकर्षण का केंद्र न बनें।

अध्यापिकाएँ उन्हें वार्षिकोत्सव के दौरान नाटकों में परी की भूमिका निभाने के लिए कहतीं तो वे तुरंत ना कह देतीं। ऐश को डर था कि ऐसा करने पर उन नवयुवकों की तादाद बढ़ जाएगी, जो स्कूल के गेट पर उनकी एक झलक पाने के लिए झुंड बनाकर खड़े रहते थे।

ऐश के अनुसार उन्होंने छात्र जीवन के दौरान कभी रोमांस नहीं किया। वे यह देखकर हैरत जाहिर करती थीं कि क्यों उनकी सहेलियाँ मेल गिब्सन, अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ जैसे फिल्मी सितारों की तस्वीरें छुपाए घूमती हैं।

पहली बार जिस अभिनेता में उन्हें कशिश नजर आई, वे थे टॉम क्रूज। ऐश आज भी इस हॉलीवुड सितारे की दीवानी हैं। प्रेम के ढाई अक्षर ऐश्वर्या ने कब सीखे, इस पर वे विस्तार से चर्चा नहीं करतीं।

ऐश्वर्या एक छोटे परिवार में पली-बढ़ीं। निकट संबंधियों के प्रति आत्मीयता उनमें जन्मजात है। पिता के.आर.राय के साथ ऐश ने छुटपन में काफी दुनिया घूम ली। ऐश के पिता एक जहीन और गंभीर इंसान हैं। उनकी अपेक्षा माँ वृंदा राय एक बहिर्मुखी और सामाजिक स्त्री हैं, वृंदा को कहानियाँ लिखने का शौक है। उन्होंने ही अपनी लिखी कहानी पर फिल्म निर्माण के लिए ऐश्वर्या को प्रेरित किया। बचपन से अपनी माँ के साथ समुद्र तट पर घूमना और मंदिर जाना ऐश की जीवनचर्या में शामिल रहा है।

होमवर्क में अव्वल
पढ़ाई में ऐश्वर्या हमेशा अव्वल रहीं। मेरिट के आधार पर उनका चयन लातूर और नासिक के मेडिकल कॉलेज में हुआ था। ऐश की दिली तमन्ना भी यही थी कि वे डॉक्टर बनें। मगर स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला पहले मिल गया और वास्तुशास्त्र में उनकी रुचि भी बढ़ने लगी।

विज्ञान ऐश का पसंदीदा विषय था। मेधावी होने के बावजूद मॉडलिंग में प्रवेश के साथ ही ऐश्वर्या की पढ़ाई अधूरी छूट गई। ऐश्वर्या की बचपन से आदत रही है, स्कूल से मिला होमवर्क उन्होंने कभी अधूरा नहीं छोड़ा।

शूटिंग पर जाने से पहले अपना होमवर्क अच्छी तरह कर लेती हैं। किस दृश्य को कितना समय देना है, किस तरह निभाना है, यह सेट पर पहुँचने से पूर्व तय हो जाता है। ऐश्वर्या को यह चुस्ती उनकी माँ ने सिखाई है। वे छुटपन में ऐश को सही तरीके से चलना भी सिखलाती थीं। मॉडल बनने के बाद रैम्प पर कैटवॉक करने में ऐश को यह तालीम काम आई। ऐश ने शालीनता अपने पिता और शोखी माँ से विरासत में ली है।

ऐश्वर्या की शख्सियत को तराशने में उनके परिवार का बड़ा हाथ है। मॉडलिंग जगत में उन्हें छायाकार राकेश श्रेष्ठा और वस्त्र सज्जाकार हेमंत त्रिवेदी जैसे लोगों ने सँवारा, मगर इस चमकीले व्यक्तित्व की रोशनी ऐश के बचपन से ही झलकने लगी थी।

ऐश्वर्या के जन्म पर ग्रहों के राजयोग कुछ ऐसे जमे कि वे झाँसी की रानी न सही, सौंदर्य जगत की मलिका जरूर बन गईं। ऐश्वर्या के व्यक्तित्व में राजनीतिक चातुर्य हमेशा से है। यह कला उन्होंने अपने भाई के साथ छुटपन में लूडो का खेल खेलते हुए सीखी।

ऐश अपने भाई का हमेशा ख्या ल रखती हैं। ऐश ने भाई आदित्य को जो पहली सौगात दी़, वह थी एक रेसर साइकल। आज वे विदेश दौरों से माँ और पापा के लिए उपहार लाना नहीं भूलती हैं।

शादी के बाद अमिताभ बच्चन और जया उनके सास-ससुर बनें, जिन्हें ऐश्वर्या अपने माता-पिता से कम नहीं मानतीं। वे उसी तन्मयता से उनकी भी उतनी ही सेवा करती हैं, जितनी अपने माता-पिता की करती हैं। अपनी बेटी की देखभाल के लिए फिलहाल ऐश्वर्या अभिनय की दुनिया से दूर हैं।

पिता कृष्णराज अपनी मितभाषी प्रकृति के चलते ऐश के बारे में कम बोलते हैं, मगर माँ वृदं राय अक्सर कहती हैं ‘मेरी बिटिया रानी, सबसे सयानी। परिवार सहित सबको खुश रखना ऐश्वर्या बखूबी जानती हैं। यह बात उनसे बेहतर उनके प्रशंसक जानते हैं।
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