इस टाय अप पर दोनों ही टीम ने ‘ग्रांड मस्ती फन और फेब्यूलस ऑथर’ कॉन्टेस्ट भी रखवाया है। जहां लेखक अपने फनी और मजेदार कहानियों को शॉर्ट स्टोरी में तब्दील करके भेज सकते हैं। इसमें लेखक फिल्म के तीनों किरदारों को मिलाकर या सिर्फ एक किरदार को लेकर भी अपनी कहानी को भेज सकते हैं। इस कांटेस्ट में से दो लेखकों की शॉर्ट स्टोरी चुनी जाएगी। जिन्हें कई गिफ्ट हैंपर्स तथा इसकी ई-बुक में अपनी शॉर्ट स्टोरी को लाने का मौका मिलेगा।
हार्लेक्वीन और ग्रांड मस्ती का यह टाय अप ऐसा पहला टाय अप है जिसमें कहानियां भारत के सभी लेखकों से ली जाएगी। इसीलिए यह कांटेस्ट रखा गया है। हार्लेक्वीन इंडिया की कंट्री हेड और पब्लिशिंग डायरेक्टर अमृता चौधरी ने कहा, 'बॉलिवुड इंडिया का कल्चरल फेस है। इसलिए हमारे इंडियन बुक्स के लिए बॉलिवुड का एक थीम होना स्वाभाविक है।'
मिल्स एंड बून के हीरो की ग्लोबल अपील के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पुराने दिनों से उलट आज के हीरो उस महिला की इज्जत करते हैं, जिससे वे मोहब्बत करते हैं। समझदारी और आदर रिलेशनशिप का आधार बन रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छी तरीके से कही गई कहानियां रीडर्स तक पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम होती है।
‘ग्रांड मस्ती : द फन नेवर एंड्स’ किताब में मस्ती फिल्म के किरदार अमर, मीत और प्रेम के किरदारों को दिलचस्प तरीके से बताया गया है। इन किरदारों को बॉलीवुड के अभिनेताओं विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदासानी ने निभाया था। इस फिल्म की किताब को हार्लेक्वीन इंडिया की स्पाइस द्वारा पब्लिश किया जाएगा तथा इस किताब को नेहा पुतंबकर द्वारा लिखा जाएगा।
हार्लेक्वीन और मारूति इंटरनेशनल भावी लेखको को इस ‘ग्रांड मस्ती फन एंड फेब्युलस ऑथर’ में अपनी कहानी 18 जुलाई 2013 से 24 जुलाई 2013 तक दे सकते हैं। हार्लेक्वीन इंडिया की कंट्री हेड अमृता चौधरी का कहना है कि इस फिल्म को पसंद करने वालो के लिए यह एक तोहफे की तरह होगा।
यह ई-बुक का फार्मेट दुनियाभर के लेखकों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करेगा। जहां दुनिया के हर दूसरे कोने में बैठा हुआ व्यक्ति इन कहानियों का आनंद ले सकेगा। यह पहली बार भारतीय लेखको के लिए है तथा पहली बार बॉलीवुड के किरदारो को रखकर किताबें लिखी जा रही है। इससे फिल्म को भी फायदा होगा।
फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार का कहना है कि यह आइडिया बेहद ही अच्छा और दिलचस्प है। यदि यह काम करता है कि तो हमें इन किताबों पर भी फिल्म बनाने से कोई एतराज नहीं है। तो अब दर्शक अपनी मनपसंद फिल्मों को देखने के साथ-साथ उन्हें पढ़ भी सकेंगे साथ ही उनकी कहानियां भी लिख सकेंगे।