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इस वजह से फिल्मों में किसिंग सीन तक नहीं करते सलमान खान

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रूना आशीष

, शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021 (15:15 IST)
जब भी आप फिल्म में ऐसा कोई रोल कर रहे हो जो किसी जाति विशेष या धर्म विशेष व्यक्ति की बात करता हो तो बहुत जरूरी है कि उनकी संस्कृति और सभ्यता को बहुत आदर पूर्वक लोगों के सामने पेश किया जाए। एक मिसाल के तौर पर जब मैंने 'हम दिल दे चुके सनम' फिल्म की थी तो गुजराती परिवेश दिखाया था। उसमें हमने दिखाया था कि कैसे वह आपस में हिल मिलकर और बहुत सारे रंगों से भरे माहौल में रहते हैं। 

 
वहीं जब 'हम आपके हैं कौन' फिल्म हमने बनाई थी सूरज बाबू के साथ मिलकर तो दिखाया था कि एक बड़े परिवार और एक संयुक्त परिवार का कितना महत्व होता है। जब मैं यह फिल्म 'अंतिम' कर रहा हूं जहां पर मैंने सरदार का रोल निभाया है तो मैंने कोशिश की है कि उनकी सारी अच्छाइयां लोगों के सामने ला सकूं। इसी में एक सीन भी था जहां पर एक लड़की का रेप हो जाता है। आमतौर पर फिल्मों में निर्वस्त्र दिखा दिया जाता है, लेकिन हमने ऐसा बिल्कुल दिखाने की कोशिश नहीं की। मैं उसी समय अपनी पगड़ी खोलता हूं और उस स्त्री की देह पर रख देता हूं और इस तरीके से में दिखाने की कोशिश की थी कि समय आने पर यह सरदार स्त्रियों के सम्मान के लिए किस हद तक चले जाते हैं।
 
यह कहना है सलमान खान का जो अपने हालिया फिल्म 'अंतिम' के लिए पत्रकारों से मिले थे और इसकी सक्सेस के बारे में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस फिल्म में सलमान खान ने एक पगड़ीधारी सरदार की भूमिका निभाई है और इस रोल में उन्हें लोगों की वाहवाही भी मिल रही है।
 
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अपनी बातों को जारी रखते हुए सलमान बताते हैं कि इसके पहले ही हीरोज नाम की जो फिल्म आई थी, उसमें भी मैंने पगड़ीधारी सरदार का ही रोल निभाया था और पूरी कोशिश की थी कि इन लोगों के अच्छी तस्वीर को लोगों के सामने लेकर आऊं। जैसे यह लोग योद्धा किस्म के होते हैं तो मैं भी हीरोज में योद्धा वाला रूप लेकर लोगों के सामने आया हूं। आप भले ही कोई भी फिल्म में काम कर रहे हो बहुत जरूरी है कि संजीदा और बहुत खूबसूरती से उस संप्रदाय की बात कही जाए। वैसे भी मैं अपनी फिल्मों में ना लव मेकिंग सींस करता हूं ना एक्सपोज करने वाले कोई सीन करवाता हूं और ना ही कोई किसिंग सीन भी करता हूं। मैं यह सब नहीं करता। 
 
ओटीटी का कंटेंट-
सलमान खान ने आगे बढ़कर ओटीटी के कांटेक्ट के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि आजकल ओटीटी पर बहुत अलग अलग तरीके के कंटेंट दिखाया जा रहे हैं। फिल्ममेकर्स की गलती तो मैं नहीं कहूंगा क्योंकि ऐसे सीन और ऐसी बातें दिखाने के लिए लोग उसे देख रहे हैं, तभी दिखाया जा रहा है। कुछ लोग कहते भी हैं कि ये सब बहुत ज़्यादा हो रहा है। लेकिन मेरी सोच कुछ अलग है क्योंकि लोग देख रहे हैं इसलिए मैं भी वही सब काम करूं तो गलत होगा। अब मेरे मां, पिता, बड़े लोग, छोटे बच्चे सभी लोग मेरी फिल्में देखते हैं। ऐसे में मैं उन्हें यह सब नहीं दिखा सकता हूं। मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि जब पूरी फिल्म देखने के बाद कोई सिनेमा हॉल के बाहर निकले तो उसके दिमाग में कम से कम 25 से 30% ही सही, यह दिमाग में तो रहे मुझे इस हीरो जैसा बनना है क्योंकि उसने बहुत अच्छे काम किए हैं। 
 
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हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान आयुष ने मीडिया को बताया था कि आप दोनों के फाइटिंग सीन देखकर घर के बच्चे चौंक गए थे कि यह मामा और पापा आपस में क्यों लड़ रहे हैं?
यह बात सबसे पहले दबंग में भी मेरे साथ हुई थी। जब दबंग 1 हम बना रहे थे उसका ट्रायल घर में देखा और अरहान मेरे पास आया और मुझसे लड़ने लगा। उसने इतने ज़ोरों से मुझे मारा और मुझसे बहुत गुस्सा किया। आप और मेरे पापा क्यों लड़ रहे थे। आपने मेरे पापा को क्यों मारा। तब मैंने अरबाज को बुलाया उसको गले लगाया। साथ ही अरहान को समझाया कि बेटा, पापा और मैं सिर्फ फिल्म के लिए लड़ रहे थे। 
 
फिर हमने उसको असल में करके दिखाया कि फाइटिंग सीन हम कैसे शूट करते हैं और हमारी एक्टिंग कैसे होती है तब जाकर वह थोड़ा सा शांत हुआ। उसने भी फिर समझा कि ये सब झूठ मूठ की लड़ाई दिखाते हैं। फिर तो उसे जो मज़ा आया कि वो हमसे झूठा लड़ने लगा। लेकिन हां, यह बात तो मैं भी मानता हूं कि ऐसे सीन की वजह से बच्चों पर असर हो जाता है।
 
पिताजी ने जब फिल्म देखी तो क्या कहा
पापा को हमने जब उसके रशेज दिखाए तब उन्होंने एक सीन को देखकर आपत्ति जताई और कहा कि यह जो लव मेकिंग का सीन है उसे थोड़ा एडिट कर दिया जाए। मैंने पूछा कि लव मेकिंग कर तो कोई सीन है ही नहीं। वो बोले, नहीं नहीं वह जब गाना होता है गाने के अंत में जब हीरो - हीरोइन के बहुत करीब चला जाता है उस सीन को काट दो वह अच्छा नहीं लगेगा।
 
ऐसा पिताजी ने इसलिए कहा कि वह जब सुबह वॉक के लिए अपने दोस्तों के साथ निकलते हैं तो वह दोस्तों कहते हैं कि सलमान खान की कोई भी फिल्म हमारे बच्चों को बिना सोचे समझे दिखा देते हैं क्योंकि हमें यह मालूम होता है कि कोई भी अजीब या गंदा सीन नहीं होगा जिसे देख कर हमारे बच्चों पर गलत असर पड़े। इसलिए बेहतर है कि कोई भी ऐसा सीन तुम फिल्म में ना रखो। पापा की बात मानते हुए फिर मैंने उस सीन को तीन या चार सेकंड पहले ही खत्म कर दिया।
 
कुछ लोगों ने यह भी बात कही कि आपका रोल इस फिल्म में बहुत कम है। उन लोगों के लिए क्या कहेंगे?
हां, कुछ लोगों की आदत होती है कि ऐसी भ्रामक बातें फैलाना तो फैलाने दीजिए और मैं सच कहूं तो उनको कुछ कह भी नहीं सकता। इसलिए क्योंकि यह फिल्म जिस मराठी फिल्म पर आधारित है, उसका नाम है मुलशी पैटर्न। उस फिल्म में पुलिस वाले का जो किरदार है, वह बहुत ही छोटा सा है। कुछ सात या आठ सीन का रहा होगा। इस फिल्म में अगर आपने देखा है तो जो नानिया भाई का रोल निभा रहे हैं वही मूलशी पैटर्न में उस पुलिस वाले का रोल निभा चुके हैं। तो कई लोगों को ऐसा लगा कि हो सकता है मेरा रोल छोटा हो। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि नहीं भाई, मैं उस फिल्म में हूं और बहुत अच्छे से, शुरुआत से लेकर अंत तक आप देख लीजिए। 
 
अगर मैं नहीं होता तो मैं उसे आयुष की फिल्म बता कर ही प्रमोट करता और फिर शायद यह बताता भी नहीं लोगों को कि मैं उस फिल्म में कुछ 10 या 15 मिनट के लिए काम करने वाला हूं। तो लोग आते हैं पूरी फिल्म देखते हो और फिर बाहर जाते समय बोलते कि देखो उसमें हमें सलमान खान भी देखना मिल गया। मैं कुछ इस तरीके से अंतिम फिल्म को प्रमोट करता। 
 
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वैसे ये सब इसलिए हुआ क्योंकि जब मैं टाइगर के लिए शूट कर रहा था तब आयुष का इंटरव्यू शुरू हो गए तो लोगों को यह गलतफहमी होगी कि सिर्फ आयुष की फिल्म है। लेकिन अब जब लोग जाकर फिल्में देख रहे हैं तब उन्हें मेरा काम अच्छा लगा आयुष का काम अच्छा लग रहा लग रहा है। महिमा और महेश का काम भी बहुत सराहनीय लग रहा है। तब उन्हें सच्चाई समझ में आ गई है। 
 
हाल ही में आपके फैंस ने आप के अंतिम फिल्म के पोस्टर पर दूध भी चढ़ाया था क्या कहेंगे इस बारे में। 
उनका प्यार मैं समझ सकता हूं। उनकी इज्जत की मैं इज्जत करता हूं। मुझे भी मालूम है कि जब आप अपनी फेवरेट हीरो की फिल्म इतने लंबे समय के बाद देखते हैं तो प्यार जताने का यह एक तरीका है। लेकिन फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि यह तो बर्बादी है। आप वही दूध बर्बाद क्यों कर रहे हैं। मेरे पोस्टर पर चढ़ाने के बजाय जाइए किसी बच्चे के लिए या जरूरतमंद के लिए दे दीजिए। आप तो जानते हैं कि लोगों को आहार की जरूरत है उन्हें जाकर दे दीजिए। इस तरीके से मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे याद रखें। 
 
कुछ लोगों ने तो सिनेमा हॉल के अंदर फिल्म देखते समय पटाखे भी जलाए तो मैं सच में डर गया था और बहुत बुरा लग रहा था। लोगों को शायद याद होगा हैं कि कैसे दिल्ली में सिनेमा हॉल में ही आग लग गई थी और बहुत सारे लोगों की मौत हो गई थी। ऐसा कोई काम ना करें फैंस की एक या दो लोगों की मस्ती या खुशी की वजह से बाकी के जो लोग हैं, हो सकता है, उन्हें नुकसान हो जाए। आप आए तो है मनोरंजन के लिए, लेकिन बाहर जब निकलेंगे तो कुछ 70 या 80% बर्न के साथ निकले, मैं यह सब नहीं चाहता हूं तो यह मत कीजिए मेरी यह फैन से इल्तजा है।
 

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