पापा की सलाह काम आई : बॉबी देओल

रूना आशीष
'मुझे तो पंजाबी भी बोलना ढंग से नहीं आती है। मैं देओल परिवार से हूं लेकिन पापा और भैया जैसी पंजाबी में नहीं बोल सकता हूं। मैं तो जब छोटा था तो मम्मी से हिन्दी में बातें करता था तो एक दिन मम्मी ने कहा कि तू तो हिन्दी में बात कर रहा है तो मैंने भी उन्हें कह दिया कि आपने क्यों नहीं बताया कि ये पंजाबी नहीं है। आप मेरी मां हो आपको सिखाना चाहिए।' 
 
कभी किसी समय में युवाओं की पसंद रह चुके बॉबी देओल इन दिनों खुलकर मीडिया के सामने आकर अपनी कमियों और कमजोरियों की बात मान रहे हैं। फिल्म 'पोस्टर बॉइज' में वे हिन्दी के टीचर बने हैं। वैसे बॉबी खुद मानते हैं कि उनकी हिन्दी भी बहुत अच्छी नहीं थी। 
 
बॉबी कहते हैं कि मैंने कई दिनों से कोई फिल्म नहीं की थी और मुझे एक अच्छी फिल्म की तलाश थी। ऐसे में श्रेयस ये फिल्म लेकर सामने आया तो मैंने हां कर दी। लेकिन फिर श्रेयस से पूछा एक तो तू मुझे गांव का एक टीचर बना रहा है और वो भी हिन्दी का टीचर तो मुझे तो अपनी हिन्दी पर काम करना पड़ेगा, तो मैंने फिर एक वर्कशॉप कर ली। मैंने 10-12 दिन की वर्कशॉप की फिर उसने मुझे गायत्री मंत्र पढ़ने के लिए कहा। तो इतनी सब मेहनत की। फिर फिल्म की शूट हुई और 37 दिन में पूरी कर ली हमने फिल्म।
 
बॉबी से उनकी फिल्म और उनकी जिंदगी के बारे में बातचीत कर रही हैं 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष।
 
आप इन दिनों फिल्मों में कम दिख रहे हैं, चूजी हो गए हैं? 
मैं नहीं, फिल्म वाले चूजी हो गए हैं। मेरे करियर में मेरी शुरुआत धमाकेदार हुई थी लेकिन फिर कुछ ऐसी फिल्में कीं, जो नहीं चलीं। इन सब बारे में सोचते रहा तो आगे नहीं बढ़ सकते इसलिए सकारात्मक सोच रखता हूं।
 
तो जब आप फिल्म नहीं कर रहे थे तो क्या कर रहे थे उन दिनों?
मैं अपने आपसे लड़ रहा था। मैं अपनी परेशानियों से लड़ रहा था लेकिन भगवान का शुक्र है कि मेरा परिवार बहुत अच्छा है इसलिए मैं कहीं खो नहीं गया। ये मेरे लिए मुश्किल समय था लेकिन आप अपने आप पर रहम तो नहीं खाते रह सकते हो न। आप रोते नहीं बैठ सकते, वर्ना आप कैसे आगे बढ़ोगे?
 
तो कौन सी लड़ाई थी और किस चीज से लड़ाई थी आपकी?
ऐसी कोई एक चीज नहीं थी जिससे मैं लड़ा हूं। मेरे पापा ने मुझे मुझे एक बात कही कि मैं इतने सालों से इंडस्ट्री में रहा हूं लेकिन मैंने अपने आपको हमेशा स्ट्रगलिंग एक्टर ही माना है। मैं हमेशा फोकस्ड रहा हूं। आपको हमेशा मेहनत करते रहना पड़ता है। आपको बहुत अनुशासित रहना पड़ता है।
 
आपने अपनी असफलता से क्या सीखा?
मैंने सीखा कि अपने आपको खुश रखो। दिमाग को स्थिर रखो। सकारात्मक सोच रखो।
 
फिल्म के बारे में बताइए?
ये फिल्म ऐसे लोगों की कहानी है, जब कुछ लोगों के फोटो गलती से नसबंदी के एड. वाले पोस्टर पर छप जाते हैं तो फिर ऐसे में उन लोगों के घर और घर वालों पर क्या गुजरती होगी? ये कॉमेडी है। कुछ भी सीख नहीं देती है। कभी किसी की फोटो ऐसे ही लगा दी गई तो क्या हो सकता है, ये कोई भी सोचता नहीं है। 
 
आपके घर से अब आपका भतीजा भी अब फिल्मों में आने वाला है?
हां, हम हमेशा फिल्में बनाते रहे हैं और वही करते रहेंगे। मेरे बच्चे भी अगर इसी तरह शो-बिजनेस में आ गए तो मैं उन्हें भी सपोर्ट करूंगा। अभी तो मैं उन्हें पढ़ाई करते देखना चाहता हूं। बड़ा बेटा अभी 16 साल का है और छोटा 13 साल का। मैं उनका अच्छा पापा हूं और मेरी पत्नी उनके लिए हिटलर बन जाती है। करण की बात करूं तो वो तो मेरे बेटे जैसा ही है। बस मुझसे शर्माता रहता है। हम भी जब उस उम्र में थे तो शर्माते रहते थे।
 
लगता है कि आप सभी लोग बहुत शर्मीले हैं?
हम देओल परिवार के सभी लोग बहुत शर्मीले हैं, वर्ना अभी तक तो हम अपने हर काम के लिए ढिंढोरा पीट रहे होते। हमें तो अपना पीआर करना भी नहीं आता। मैंने तो अभी सोशल मीडिया पर आना शुरू किया है, वर्ना मेरे बहुत सारे फेक अकाउंट बने हैं। वे कई लोगों के लिए अनाप-शनाप लिखते रहते हैं और आप इन लोगों को रोक भी नहीं सकते हैं। इसीलिए मैंने भी सोशल मीडिया जॉइन कर लिया है। मैं लिखता तो नहीं हूं लेकिन फोटोज जरूर डाल देता हूं।

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