संघर्ष, रोमांस, बायोपिक, अभिनय, सनी-बॉबी के बारे में धर्मेन्द्र

मैं आज भी गांव वाला धर्मेन्द्र ही हूं

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वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेन्द्र छाए हुए हैं। इतना लंबा करियर हर किसी का नहीं होता। अपनी सरलता से उन्होंने करोड़ों लोगों का दिल जीता है। 31 अगस्त को उनकी फिल्म 'यमला पगला दीवाना फिर से' रिलीज हो रही है जिसमें वे अपने दोनों बेटों सनी देओल और बॉबी देओल के साथ नजर आएंगे। पेश है धर्मेन्द्र से बातचीत: 
 
फिल्म इंडस्ट्री के बदलाव को कैसे देखते हैं?
हर दौर अच्छा है। मुझे 'फिल्म' शब्द से मोहब्बत है। हरेक दौर बढ़िया रहा है। आज के दौर की भी खूबियां हैं। इसका अपना ही एक रंग है। जज्बात भरे हुए हैं। ऑडियंस के हिसाब से फिल्में बनती हैं। मुझे तो लगता है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
 
कुछ मिस करते हैं?
उस समय को जब शूटिंग के बाद सब साथ में बैठ भजिए और खाना खाते थे। उस समय फेस्टिवल जैसा माहौल हो जाता था। मिडिल क्लास का होने की वजह से मुझे वैसा ही माहौल पसंद था। मैं आज तक नहीं बदला। मैं आज भी गांव वाला धर्मेन्द्र ही हूं। मुझे मेहबूब साहब के साथ काम न कर पाने का दु:ख है। वैसे ही के. आसिफ साहब के साथ 'महंगा खून, सस्ता पानी' फिल्म बनने वाली थी, लेकिन बन नहीं पाई।
 
अभिनय क्या है?
एक्टिंग एक रिएक्शन होता है। मैंने कभी अभिनय नहीं सीखा, किरदार को बस अपने हिसाब से ही जी लेता था।
 
आजकल के एक्टर्स के बारे में क्या कहना है?
रणवीर सिंह, रणबीर कपूर, आमिर खान गजब गजब के अभिनेता हैं। मैं उनको सैल्यूट करता हूं। आमिर ने 'दंगल' में बेहतरीन काम किया है। 

 
फिल्मों का चयन कैसे करते हैं? 
मुझे समय-समय पर स्टोरी, स्क्रीनप्ले और अच्छे डायरेक्टर मिले जिसकी वजह से मैंने बढ़िया काम किया।
 
सनी और बॉबी देओल के करियर के बारे में बताएं?
मैंने सनी की पहली फिल्म 'बेताब' के एक-एक हिस्से को कई बार देखा है। वो बहुत ही इमोशनल लड़का है, बोलता नहीं है। मैं हमेशा उससे कहता हूं कि मुझे बता दिया कर। बॉबी की शुरुआती फिल्में रोमांटिक थीं। बाद में एक्शन करने लगा। बॉबी हैंडसम लगता है। 
 
'यमला पगला दीवाना फिर से' में आप रेखा और शत्रुघ्न के साथ काम कर रहे हैं। दोनों आपके पुराने साथी हैं। वर्षों बाद उनके साथ काम करना कैसा लगा? 
ऐसा लगा कि उस दिन की शूटिंग में जीवंतता आ गई हो। सनी ने मुझसे कहा कि पापा हमें शत्रुघ्नजी के साथ काम करना चाहिए। वो दिन अलग ही हुआ करते थे।
 
आपकी बायोपिक बनेगी तो आप इजाजत देंगे?
मैंने इस बारे में ज्यादा सोचा नहीं सोचा। मुझे कमर्शियल चीजें कम समझ में आती हैं। अभी कोई प्लान नहीं है। वक्त आएगा तो पता चलेगा। मेरे जैसा पवित्र रोमांस किसी और का नहीं होगा, मैं दिल वाला इंसान हूं, मैंने सबसे वफा की है।

 
हेमाजी के साथ काम करना चाहेंगे?
अब हमारे लायक कहानियां ढूंढना मुश्किल है। हमने मिलकर कई गोल्डन जुबलियां दी हैं। 
 
ऋषिकेश मुखर्जी के बारे में क्या कहेंगे?
दोस्त, भाई, मास्टर सबकुछ थे। उनके जैसा इंसान नहीं देखा मैंने। (ये कहते हुए धरमजी इमोशनल हो गए)।
 
स्ट्रगल को कैसे देखते हैं?
मैं पैदल चलता था। जुहू में एक झोपड़ी पर बैठा रहता था और सोचता था कि कुछ खरीदूंगा। साल 1959 का ये जिक्र है। तब पाली हिल, खार सबकुछ खाड़ी हुआ करती थी। ऊपर वाले ने शायद ये सबकुछ देखा होगा। मेरा स्ट्रगल और मेरी गुरबत ही मेरा फख्र है। जिंदगी अपने आप में स्ट्रगल है। ये एक जंग जैसी ही है।
 
आपके लिए रोमांस क्या है?
एक नेक रूह का एक नेक रूह से मिलना होता है और दोनों जुड़ जाती है, उसी को मोहब्बत कहते हैं।

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