राजेश खन्ना, अमिताभ और रेखा से रिश्ते तक, मौसमी चटर्जी ने फिल्म इंडस्ट्री के अंदरूनी राज खोले

WD Entertainment Desk
मंगलवार, 27 मई 2025 (19:32 IST)
भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री मौसमी चटर्जी हाल ही में Filmfare के यूट्यूब चैनल पर स्ट्रीम हो रहे शो ‘In The Ring with Filmfare’ में नज़र आईं। जितेश पिल्लई के साथ इस बेबाक बातचीत में उन्होंने अपने फिल्मी सफर, इंडस्ट्री की राजनीति, और निजी रिश्तों के कई अनकहे पहलुओं पर खुलकर बात की।
 
शुरुआती दौर: विद्रोही लड़की से सुपरस्टार तक
मौसमी बताती हैं कि उन्होंने किशोरावस्था में ही तय कर लिया था कि एक्ट्रेस बनना है, जबकि उनके माता-पिता सख्त थे। उन्होंने कहा, “पहली बार भारी मेकअप में शूट पर गई, लेकिन बगावत में सेट से भाग निकली और वही गेटअप पहनकर लोकल रिक्शा में घर गई। रिक्शावाला भी मुझे हैरानी से देख रहा था।”
 
इंडस्ट्री की राजनीति और “इंडस्ट्री की मौसी”
उन्होंने कहा, “फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा राजनीति रही है। उस दौर में सबकुछ पर्दे के पीछे होता था। हीरो-हीरोइनों के रोमांस तक छुपाए जाते थे। किसी को ‘इंडस्ट्री की मौसी’ कहा जाता था, जो सबकुछ कंट्रोल करती थीं।”
 
अमिताभ और राजेश खन्ना: दो अलग व्यक्तित्व
मौसमी ने अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के स्वभाव में बड़ा अंतर बताया। “अमिताभ बहुत पॉलिटिकली अवेयर और संतुलित हैं, कभी एजेंट्स पर निर्भर नहीं रहे। जबकि राजेश खन्ना को हर वक्त अटेंशन और ‘ग्रोमिंग’ की ज़रूरत थी।”
 
रेखा से रिश्ते और हील्स का किस्सा
मौसमी ने रेखा के साथ अपने समीकरण पर भी खुलकर बात की। “शुरुआत में रेखा को लगता था कि मैं विनोद मेहरा को कंट्रोल कर रही हूं। एक बार मुझसे कहा गया कि उनकी हाइट से मेल खाने के लिए मैं अपनी हील्स उतार दूं। मैंने इनकार करते हुए कहा- ‘अगर हाइट दिक्कत है तो उन्हें कोई प्लैटफॉर्म दे दो।’”
 
फिल्मी सफर और पुराने निर्देशक
मौसमी ने अपने पहले निर्देशक तरुण मजूमदार और अजय कर को याद किया-“पिता की इजाज़त के बाद ही मैं पहली बार निर्देशक से मिली थी। एक बार मैंने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म को मना कर दिया था। जब बाद में हमने काम किया तो उन्होंने मुझसे कहा, ‘मुझे एक और मौका दो, शायद मैंने तुम्हारा करियर बिगाड़ दिया।’ ये बहुत भावुक पल था।”
 
रोल का चयन और महिला होने की चुनौती
मौसमी कहती हैं, “मैंने हर किरदार को देखकर सोचा, क्या मैं इसके लिए सही हूं? कभी भी इमेज को लेकर नहीं चली। कभी उम्र से बड़ी महिला का किरदार भी निभाया। लेकिन इंडस्ट्री में महिला होना आसान नहीं था। आज भी पुरुष ताकतवर महिला से डरते हैं। सोच यही रहती है कि बेटी किचन में हो, बेटा नहीं।”
 
मौसमी चटर्जी का यह इंटरव्यू ना सिर्फ उनके करियर का दस्तावेज़ है बल्कि इंडस्ट्री के बदलते सामाजिक दृष्टिकोण का आईना भी। उनकी बातें आज की पीढ़ी के कलाकारों और दर्शकों के लिए प्रेरणा हैं, खासकर जब वे कहती हैं, “मैंने अपनी शर्तों पर काम किया और कभी झुकी नहीं।”

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