हिंसा के प्रभावों को बयाँ करती ‘सिकंदर’ : संजय सूरी

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अपनी सभी फिल्मों से दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ने वाले अभिनेता संजय सूरी हाल ही में ‍’फिराक’ में नजर आए थे। उनकी अगली प्रदर्शित होने वाली फिल्म है ‘सिकंदर’। पेश है संजय से बातचीत :

' सिकंदर' साइन करने की कोई खास वजह?
हाँ, बहुत ही खास है। जब मुझे इसकी पटकथा सुनाई गई थी, तभी मुझे इसकी कहानी बहुत पसंद आई थी। फिल्म के विषय के साथ मुझे अपना रोल भी बेहद भाया, शायद यही कारण है कि मैंने इस फिल्म में काम करने की हामी भर दी। चूँकि मेरा जन्म कश्मीर में हुआ है और मैं पला-बढ़ा भी यही पर हूँ। 1990 में मैं कश्मीर से मुंबई आया था और इतने लंबे अंतराल के बाद वापस कश्मीर जाना मेरे लिए सुखद अनुभव से कम नहीं था। इन्हीं कारणों से मैंने यह फिल्म साइन की।

इस फिल्म में आपका किरदार कैसा है?
मैंने एक कश्मीरी राजनीतिज्ञ का किरदार निभाया है, जो हमेशा अमन व शांति की चाहता रखता है। वह हमेशा कोशिश करता है कि कश्मीर के लोग सुख-शांतिपूर्वक चैन से रहें। फिल्म में मेरा किरदार काफी दिलचस्प है, जो दर्शकों को जरूर पसंद आएगा।

' सिकंदर' की मुख्‍य कहानी क्या है?
दंगों व हिंसा के बाद कश्मीर में लगभग एक लाख से ज्यादा बच्चे अनाथ हो चुके हैं, जिनमें से कई बच्चों को 'शांति' का वास्तविक अर्थ भी नहीं पता। यह फिल्म भी उन लोगों पर खासकर बच्चों में हिंसा से होने वाले प्रभावों की दास्तान को बयाँ करती है।

कश्मीर में आपके पिता की मौत के पीछे आतंकवादियों का हाथ था। ऐसे में आपके लिए इस फिल्म की शूटिंग कश्मीर में करना कितना मुश्किल रहा?
मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि कश्मीर में शूटिंग करना मेरे जीवन का बेहद ही सुखद अनुभव रहा है। सच पूछिए तो इस दौरान मेरी पुरानी यादें भी ताजा हो गईं। 18 साल बाद लौटने का एहसास मेरे लिए काफी मर्मस्पर्शी था। कुछ नहीं बदला कश्मीर में। सिवाय इसके कि उस समय जो बच्चा था वह अब काफी बड़ा हो चुका है। और इतना ही नहीं, वहाँ के लोग आज भी काफी मददगार हैं। उन्होंने शूटिंग के दौरान हमारी काफी सहायता की।

चूँकि आपकी प‍र‍वरिश कश्मीर में हुई है। ऐसे में आपको अपने किरदार के लिए ज्यादा तैयारियाँ करने की जरूरत नहीं पड़ी होगी?
हाँ, मुझे अपने किरदार में परिपक्वता लाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ी। चूँकि मैं कश्मीर में रह चुका हूँ। इसलिए एक कश्मीरी का किरदार निभाने में उतनी परेशानी नहीं हुई। लेकिन यह नहीं है कि मैंने इसके लिए मेहनत नहीं की। कोई भी किरदार अपने आप में परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट बनाना होता है, जिसकी जिम्मेदारी उस अभिनेता पर होती है। इस फिल्म में मैं एक राजनीतिज्ञ का किरदार निभा रहा हूँ, इसके लिए मुझे उनके हाव-भाव आदि पर ज्यादा ध्यान देना पड़ा।

परज़ान दस्तूर व आयशा कपूर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
परज़ान व आयशा दोनों ही उम्दा कलाकार हैं। उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। मुझे पूरी उम्मीद है कि बड़े होकर दोनों ही सुपर स्टार बनेंगे। इतनी छोटी-सी उम्र में जब वे दोनों अपने काम में इतने परिपक्व हैं, तो इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि भविष्य में वे कितने दूर तक जाएँगे।

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