प्रेम धवन : उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी

स्मृति आदित्य
कितनी ही सुरीली धुन हो, आकर्षक संगीत हो लेकिन यदि बोल गहरे नहीं हों, भाव मीठे नहीं हों, तो फिल्म संगीत मन को स्पर्श नहीं कर पाता। फिल्मोद्योग में लेखनी के चमत्कारी सूर्य-पुरुष कम नहीं हैं।

प्रेम धवन ऐसा ही एक नाम है जिनकी कलम की नोक से ओजस्वी और भावुक शब्दों की सरिता बही है। प्रेम उन गीतकारों में थे जिन्होंने जितना लिखा, सार्थक लिखा। सकारात्मक लिखा और संवेदनशील होकर लिखा। साहित्य में गहरी अभिरुचि के बाद भी उनके गीतों में सरल काव्यात्मकता नजर आती है, जटिल शब्दों की भरमार नहीं।

13 जून 1923 को अंबाला में जन्मे प्रेम धवन ने लाहौर के एफसी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। मशहूर गीतकार साहिर उनके सहपाठी थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र। साहिर और प्रेम यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की पत्रिका में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर गजल रचते थे और प्रेम, गीत लिखते थे।

प्रेम धवन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फिल्मों में नृ्त्य निर्देशन किया। फिल्म ‘नया दौर’ का उड़े जब-जब जुल्फें तेरी- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था।

फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब थिएटर ग्रुप असमय ही बिखरा, तो लेखिका इस्मत चुगताई बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फिल्म ‘जिद्‍दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका लता मंगेशकर का ‘चंदा जा रे जा रे...’ (संगीत- खेमचंद प्रकाश) पहला हिट इसी फिल्म में था।

यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार अनिल बिस्वास/सलिल चौधरी/मदनमोहन और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आखिरी बार प्रेम ने फिल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा। भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े।

फिल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फिल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक अशोक कुमार को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
ले-ले के हार फूलों का आई तो थी बहार
नजरें उठा के हमने ही देखा न एक बार...
आँखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया!

आज कहाँ बचे हैं ऐसे गीतकार? सात मई 2001 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हार्ट अटैक में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।

प्रेम धवन के लोकप्रिय गीत
* बोल पपीहे बोल रे (आरजू)
* सीने में सुलगते हैं अरमाँ (तराना)
* चंदा मामा दूर के (वचन)
* दिन हो या रात हम रहें तेरे साथ (मिस बॉम्बे)
* जिंदगी भर गम जुदाई का (मिस बॉम्बे)
* छोड़ो कल की बातें (हम हिन्दुस्तानी)
* अँखियन संग अँखियाँ लागी (बड़ा आदमी)
* ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवाला)
* तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर (जबक)
* महलों ने छीन लिया बचपन का (जबक)
* ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम (शहीद)
* मेरा रंग दे बसंती चोला (शहीद)
* तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला (पवित्र पापी)

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