सुपरस्टार बनना सिर्फ कैमरे के सामने अच्छा अभिनय करने या एक्शन सीन में जोश दिखाने से नहीं होता। सुपरस्टार वही बनता है जिसे दर्शक अपने दिल में जगह दें। धर्मेन्द्र इस मायने में सबसे बड़े सितारों में से एक थे। उनके और दर्शकों के बीच एक ऐसा भावनात्मक रिश्ता बना, जो किसी फिल्म की सफलता से कहीं ऊपर था। लोग थिएटर में सिर्फ फिल्म देखने नहीं, बल्कि “धरम पाजी” को देखने जाते थे।
धर्मेन्द्र ने करियर की शुरुआत एक आम देसी नौजवान की तरह की थी, जिनकी आंखों में सपना था, लेकिन पैर जमीन पर टिके हुए थे। उन्होंने जब रोमांटिक किरदार निभाया तो उनमें सच्चा प्रेम नजर आया। जब एक्शन किया तो दर्शकों को उनमें रक्षक दिखा और जब पारिवारिक भूमिकाओं में आए तो पिता, बेटा या भाई की भावनाएं पूरी ईमानदारी से झलकीं। वे एक्शन के बादशाह रहे, लेकिन “चुपके चुपके” जैसी कॉमेडी फिल्मों में भी उन्होंने दर्शकों को हंसा-हंसा कर दीवाना बना दिया। यह विविधता ही उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी।
न नाचने की परवाह, न स्टाइल की दिखावट
धर्मेन्द्र कभी प्रशिक्षित डांसर नहीं थे। लेकिन उनके एक-एक हावभाव, मुस्कान और बॉडी लैंग्वेज में ऐसा आकर्षण था कि दर्शक स्क्रीन से नजरें नहीं हटा पाते थे। लोग कहते थे “उन्हें डांस नहीं आता”, लेकिन धर्मेन्द्र का जवाब था “अगर दिल से किया जाए, तो हर कदम डांस बन जाता है।” उनके अभिनय में वही सच्चाई थी। दिखावे से नहीं, भावना से जुड़ी।
मैन विद गोल्डन हार्ट: हर किसी के अपने धर्मेन्द्र
फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेन्द्र को “मैन विद गोल्डन हार्ट” कहा जाता है। उन्होंने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया। वे हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे, चाहे जूनियर आर्टिस्ट हो या नया डायरेक्टर। शूटिंग सेट पर वे सबके साथ एक जैसा व्यवहार करते थे। वही खाना खाते, वही होटल में ठहरते और सबके साथ बैठकर बातें करते।
उन्होंने कभी फीस को लेकर हंगामा नहीं किया। कई बार प्रोड्यूसर्स ने उन्हें किस्तों में पैसे दिए, कई बार बकाया रह गया, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। कभी मार्केट रेट से ज्यादा नहीं मांगा। कभी फिल्म के सफल होने पर हिस्सा नहीं मांगा। जो डील हो गई वो हो गई। यह उनकी उदारता और बड़े दिल की निशानी थी।
मजाकिया अंदाज, लेकिन हमेशा मर्यादित
धर्मेन्द्र की पहचान सिर्फ गंभीर भूमिकाओं तक सीमित नहीं थी। असल जिंदगी में वे बेहद खुशमिजाज और मजाकिया इंसान थे।
हीरोइनों के साथ उनकी फ्लर्टिंग हमेशा मर्यादा में रहती थी। वे मजाक करते थे, माहौल को हल्का रखते थे और सेट पर सबके चेहरों पर मुस्कान ले आते थे। कई अभिनेत्रियां तो यह तक कहती थीं कि अगर धर्मेन्द्र ने मजाक नहीं किया तो दिन अधूरा लगता था।
कभी किसी का रोल नहीं कटवाया
अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, जीतेंद्र जैसे बड़े सितारों के साथ उन्होंने कई फिल्में कीं, लेकिन कभी भी किसी का रोल घटवाने या डायलॉग बढ़वाने की मांग नहीं की। उनका मानना था कि फिल्म टीमवर्क का परिणाम होती है। उन्होंने हर कलाकार की इज्जत की, चाहे वह सीनियर हो या जूनियर। फिल्म इंडस्ट्री में यह बात आज भी कही जाती है कि “धर्मेन्द्र के साथ काम करना मतलब शांति और सम्मान का माहौल।”
हर रिश्ते में नजर आया एक धर्मेन्द्र
धर्मेन्द्र ने सिर्फ परदे पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में रिश्ते बनाए। हर पिता को उनमें एक जिम्मेदार बेटा नजर आया।
हर मां को धर्मेन्द्र जैसा बेटा चाहिए था। हर बहन को उनमें रक्षक भाई दिखाई देता था और हर लड़की के दिल में वे आदर्श प्रेमी के रूप में बसे। उनकी यही सार्वभौमिक अपील उन्हें “जनता का हीरो” बनाती है।
अवॉर्ड से बड़ी उनकी इज्जत
धर्मेन्द्र को भले ही बहुत सारे अवॉर्ड नहीं मिले, लेकिन उन्होंने कभी इस बात का अफसोस नहीं जताया। वे कहते थे “ट्रॉफी नहीं, लोगों का प्यार असली पुरस्कार है।” वे मीडिया की राजनीति से हमेशा दूर रहे, पब्लिसिटी के पीछे नहीं भागे। उनकी यही सादगी और देसीपन आज भी उन्हें अलग पहचान देता है।
एक अमर भावना: धर्मेन्द्र सिर्फ नाम नहीं, एहसास हैं
धर्मेन्द्र वो इंसान थे जिनका असर आज भी कायम है। उनके संवाद, उनकी मुस्कान और उनका अपनापन आज भी दर्शकों को प्रेरित करता है। जब भी “धरम पाजी” का नाम आता है, तो हर उम्र के लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वे सिर्फ अभिनेता नहीं, एक युग, एक भावना और एक इंसानियत की मिसाल हैं, जो शायद अब दोबारा सिनेमा में नहीं देखी जाएगी।
धर्मेन्द्र ने कभी “सुपरस्टार” कहलाने की कोशिश नहीं की, लेकिन उन्होंने वो कर दिखाया जो हर सुपरस्टार का सपना होता है, लोगों के दिलों में जगह बनाना। वो चमकते नहीं थे, बल्कि रोशनी बांटते थे। और यही वजह है कि जब इतिहास लिखा जाएगा, तो धर्मेन्द्र का नाम “दिलों के राजा” के रूप में लिखा जाएगा।