वैसे भी बकौल अमृता रोल चुनने के मामले में वे बहुत 'चूज़ी' हैं (ऊफ! वही पकाऊ जवाब...)। उन्होंने अपने लिए बाकायदा कुछ मापदंड बना रखे हैं। जिन पर खरा उतर कर ही कोई रोल उन्हें जँच सकता है... और 'ब्लड मनी' उन पर खरी उतर गई?(वाकई आपके मापदंड तो बहुत ऊँचे हैं अमृता)।
यह फिल्म साइन करने से पहले उनके मन में एक और भी डर था। असल में भट्ट कैंप की फिल्मों में अधिकांशतः हीरोइनें 'दिखाने' के लिए ज्यादा होती हैं... पर फिर अमृता को बताया गया कि उनका रोल तो एक 'सिंपल' लड़की का है (मतलब अमृता... फिल्म में वाकई आपके करने लायक कुछ भी नहीं है।), पर फिर भी... भई लीड रोल तो लीड रोल है।
फिल्मों के अलावा अमृता थिएटर से भी जुड़ी हैं और क्रिएटिव राइटिंग से भी...। बॉलीवुड का हिस्सा बनने से पहले वे बाकायदा इन दोनों क्षेत्रों का काफी अनुभव पा चुकी हैं। उम्मीद है कि यह अनुभव उन्हें बाकियों से अलग करेगा।
यूँ अमृता एक बड़े पद वाले बैंकर की बेटी हैं, लिहाजा ये सोचकर चलें कि कहाँ, कितना इन्वेस्ट करने पर कैसा भविष्य होगा... यह वे अच्छी तरह जानती होंगी। फिर आयशा के लगभग डेढ़ साल बाद अब ब्लड मनी के जरिए भी उन्होंने इंडस्ट्री को काफी कुछ जाना-परखा तो होगा ही। अपने करियर को लेकर शुरू से ही विश्वस्त रहीं अमृता का मानना है कि उनका काम उन्हें पहचान जरूर दिलाएगा। हम भी यही दुआ करते हैं।