मैनेजमेंट में माहिर बेबो की ममा बबीता

Webdunia
मंगलवार, 26 जुलाई 2011 (14:54 IST)
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बबीता का करियर सिर्फ सात साल लंबा है, लेकिन उन्होंने इस छोटे-से सफर में भी नामी सितारों के साथ काम किया है। साधना और बबीता का परदे पर आगमन साथ-साथ हुआ। दोनों रिश्ते में चचेरी बहनें हैं। आरके नय्यर का पारस-स्पर्श पाकर साधना सिंड्रेला की तरह फिल्माकाश में चमक गईं। बबीता के पिता अभिनेता हरि शिवदासानी अच्छे खिलाड़ी थे।

एक फ्रेंच महिला उनकी दीवानी हो गई और उनसे शादी कर ली। इस तरह पिता सिंधी और माँ योरपीयन होने से बबीता विदेशी मेम की तरह गोरी-चिट्टी थीं और नाक-नक्श आकर्षक होने से फिल्मों में काम मिलने में उन्हें जरा भी परेशानी नहीं हुई। हरि शिवदासानी एक स्टूडियो के मालिक थे। घाटे के चलते स्टूडियो बिक गया। बाद में वे अनेक फिल्मों में चरित्र अभिनेता के रूप में काम करते रहे।

राजेश खन्ना पहले हीरो
बबीता के घर निर्माता जीपी सिप्पी का आना-जाना था। उन्होंने स्क्रीन टेस्ट लेकर बबीता को नए नायक राजेश खन्नाा के साथ फिल्म "राज" में पेश किया। "राज" नहीं चली, मगर बबीता को लगातार काम मिलता गया। इसकी एक वजह यह भी रही कि उस दौर की ए-ग्रेड नायिकाएँ वहीदा रहमान, माला सिन्हा, वैजयंतीमाला, शर्मिला टैगोर बहुत ज्यादा व्यस्त थीं। इसलिए नई नायिकाओं बबीता, साधना, मुमताज को फिल्मों में अवसर मिलते रहे।

गंगाराम की समझ
मनोज कुमार की फिल्म "पहचान" में बबीता उनके साथ थीं। मध्यप्रदेश के एक मंत्री का केरिकेचर फिल्म में था। "गंगाराम की समझ में न आए..." यह गाना बेहद पॉपुलर हुआ। फिल्म सुपरहिट हुई। अभिनय में कमजोर होने के बावजूद बबीता को शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र जैसे सितारों के साथ काम मिला।

इन सितारों की वजह से फिल्में चलीं और बबीता भी सरपट चल पड़ी। जीतेन्द्र के साथ दक्षिण में बनी "फर्ज" ने सफलता के कई रिकॉर्ड कायम किए। इसमें बबीता नायिका थीं। प्रकाश मेहरा की "हसीना मान जाएगी" में बबीता की कॉमेडी को काफी सराहा गया। बबीता में अभिनेत्री से ज्यादा गुण मैनेजमेंट के रहे हैं। उन्होंने अपना करियर चतुर व्यवसायी की तरह चलाया।

रणधीर से शादी
सन्‌ 1971 में बबीता ने कपूर खानदान में प्रवेशकरते हुए राज कपूर के बड़े बेटे रणधीर कपूर से शादी कर ली। खानदान के नियम अनुसार कोई बहू फिल्मों में काम नहीं कर सकती थी। लिहाजा बबीता को भी फिल्मी दुनिया छोड़ना पड़ी। आरके बैनर की फिल्म "कल आज और कल" में उन्होंने कपूर खानदान की तीन पीढ़ियों (पृथ्वीराज, राज और रणधीर) के साथ काम किया। शादी के बाद बची हुई फिल्में पूरी की और फिर परिवार बढ़ाया। करिश्मा और करीना का जन्म हुआ। वैवाहिक जीवन में तनाव रहने लगा। बबीता अपनी बेटियों को लेकर अलग रहने चली गईं।

बबीता ने परदे के पीछे रहकर अपनी बेटियों के करियर बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। करिश्मा ने फिल्मों में सफलता के परचम लहराए और शादी कर, दो बच्चों की माँ बन वे एक बार फिर फिल्मों में वापसी कर रही हैं। दूसरी बेटी करीना इस समय बॉलीवुड की टॉप स्टार्स में से एक हैं। करिश्मा-करीना अपने सौन्दर्य, लटके-झटके और सफल व्यावसायिक प्रबंधन की क्षमता से सफलता में बनी हुई हैं। इसके पीछे बबीता के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

थोड़ी समाज सेवा
20 अप्रैल 1948 को जन्मी बबीता इस समय तिरेसठ साल की हैं। बेटियाँ अब खुद अपनी जिम्मेदारी उठा रही हैं, ऐसे में बबीता मुंबई के वृद्धाश्रमों में जाकर दीन-दुखियों की सेवा करती हैं। हर जरूरतमंद की मदद करना उनका स्वभाव बन गया है। दोनों बेटियों की परवरिश में बबीता ने बहुत त्याग किया है। उस त्याग की बेशुमार कीमत आज उन्हें मिल भी रही है।

प्रमुख फिल्में :

दस लाख (1967)
राज (1967)
फर्ज (1967)
किस्मत (1968)
हसीना मान जाएगी (1968)
औलाद (1968)
तुमसे अच्छा कौन है (1969)
एक श्रीमान एक श्रीमती (1969)
डोली (1969)
अनमोल मोती (1969)
अनजाना (1969)
कब क्यों और कहाँ? (1970)
पहचान (1970)
कल आज और कल (1971)
बिखरे मोती (1971)
बनफूल (1971)
जीत (1972)
एक हसीना दो दीवाने (1972)

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