ताजा रिलीज "द डर्टी पिक्चर" में विद्या बालन सिल्क स्मिता के किरदार में नजर आ रही हैं। रूपहले पर्दे पर पहली बार इस तरह का बोल्ड कैरेक्टर निभाकर विद्या ने दर्शकों को चौंका दिया है। अपनी आने वाली फिल्म "कहानी" में भी विद्या एक नए अवतार में नजर आएँगी। कहा जा रहा है कि इस फिल्म में विद्या गर्भवती महिला के किरदार में हैं और इसी अवस्था में वे अपने गुमशुदा हो चुके पति की तलाश करती हैं।
अब तक के अपनी फिल्मी करियर में विद्या ने रेडियो जॉकी, प्रोजेरिया से पीड़ित 12 साल के बच्चे की माँ और प्रेमिका से लेकर फिजिकली चेलैंज्ड गर्ल तक के कई तरह के किरदार बखूबी निभाए हैं। अपनी हर फिल्म में विद्या एक नए रूप में नजर आती हैं, अपने अभिनय का एक नया रंग दिखाती हैं और हर बार उनका अभिनय भी सहज और विश्वसनीय लगता है। शायद यही असली अभिनय है, यही कलाकारी है। इस दौर की दूसरी किसी अभिनेत्री ने इतने विविध किरदार नहीं निभाए हैं।
करियर की शुरुआत में विद्या ने एडवरटाइजिंग, सीरियल, रीजनल फिल्में, म्यूजिक वीडियो लगभग हर तरह की विधा में काम किया है। उसके बाद जाकर कहीं उन्हें बॉलीवुड फिल्मों में ब्रेक मिला। फिल्मों का यहाँ तक का सफर विद्या के लिए इतना आसान भी नहीं रहा। कई बार उन्हें रिजेक्ट भी किया गया, लेकिन विद्या ने हार नहीं मानी।
दरअसल, विद्या अच्छा काम मिलने के लिए खूब प्रार्थनाएँ किया करती थीं। उन्हें लगता है कि उस मुश्किल दौर में दिल से की गई प्रार्थनाओं का ही असर है कि अब उन्हें सफलता मिल रही है। बॉलीवुड में विद्या ने शुरुआत पहली फिल्म प्रदीप सरकार द्वारा निर्देशित "परिणीता" से की थी। इस फिल्म में वे एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार की स्वाभिमानी लड़की के किरदार में थीं।
विद्या ने सोचा नहीं था कि इस फिल्म को इतनी बड़ी सफलता मिलेगी और उनका काम लोगों को इतना पसंद आएगा। इस फिल्म में अभिनय करके विद्या अपने आपको खुशनसीब मानती हैं।
इसके बाद विद्या "लगे रहो मुन्नााभाई" में रेडियो जॉकी बनीं। इसमें "गुड मॉर्निंग मुुंबई" कहने के अंदाज के तो दर्शक कायल हो गए। इसके बाद आई "गुरु" में विद्या का रोल भले ही छोटा था, मगर विद्या ने पैरों से अपंग, व्हीलचेयर पर बैठी लड़की का किरदार निभाकर फिर दर्शकों को अपने अभिनय का एक नया रूप दिखाया। "सलामे इश्क : ए ट्रिब्यूट ऑफ लव", "एकलव्य : द रॉयल गार्ड", "हे बेबी" से विद्या ने अपनी "टिपिकल इंडियन ब्यूटी" वाली इमेज को बदलने की कोशिश की।
" भूलभुलैया" में मंजुलिका बनीं विद्या "डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (एक तरह की मानसिक बीमारी) से पीड़ित थीं। इस फिल्म में विद्या के डांस और ड्रामे ने फिर दर्शकों को अपने अभिनय के एक नए पहलू से रूबरू करवाया।
विद्या कहती हैं कि मैं हर बार फिल्मों में कुछ नया करना चाहती हूँ। अपने आप को रिपीट करना मुझे पसंद नहीं है। एक एक्टर होने के कारण मेरे अंदर कुछ नया करने की प्यास है। शायद विद्या की इसी प्यास की वजह से उन्हें हर बार कुछ नया काम करने का मौका भी मिलता है!
" पा" में विद्या ने एक ऐसे बच्चे की माँ का रोल किया, जो मात्र 12 साल है और "प्रोजेरिया" नाम की बीमारी से ग्रस्त है। ऐसी माँ का किरदार निभाना कोई आसान नहीं था, लेकिन विद्या ने इसे भी पूरी शिद्दत से जीया। विद्या बताती हैं कि इस किरदार को जीने की प्रेरणा मुझे अपनी माँ से मिली थी। दरअसल मेरी मम्मी जब 5 साल की थीं, तभी मेरी नानी गुजर गई थीं। एक अच्छी माँ बनना उनकी लाइफ का मिशन था। उन्होंने बहुत अच्छे से मेरी परवरिश की।
वे बताती हैं कि इस फिल्म में मेरा अभिनय देखने के बाद एक महिला ने मुझे फोन करके कहा कि मैं बिलकुल आपके जैसी माँ होना चाहूँगी। मुझे खुशी है कि मैं इतने अच्छे से माँ का किरदार निभा सकी।
" इश्किया" में विद्या ने एक बार फिर अपनी पहले की फिल्मों से इतर काम किया। अपशब्द कहने से लेकर चुम्बन तक के दृश्य इस फिल्म में थे, लेकिन विद्या ने स्वयं को इसके लिए तैयार किया। निर्देशक अभिषेक चौबे ने जब "इश्किया" की स्क्रिप्ट विद्या को सुनाई तो उन्हें लगा कि वे इस रोल के लिए फिट नहीं हैं। वास्तव में अभिषेक ऐसी अभिनेत्री को कास्ट करना चाहते थे, जो रोल के विपरीत हो और उन्हें विश्वास था कि विद्या उसे अच्छे से निभा लेंगी।
विद्या कहती हैं कि यह मेरे लिए अच्छा अवसर था और मैं इस तरह का कोई रोल करना चाहती थी। "इश्किया" के बाद "नो वन किल्ड जेसिका" में विद्या ने सबरीना लाल का डिग्लैमर लड़की का रोल भी स्वीकार किया और इस फिल्म में भी विद्या का काम सराहा गया। अब देखने वाली बात होगी कि "कहानी" के बाद विद्या अपने दर्शकों को अभिनय का कौन-सा रंग दिखाती हैं।