हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 8 घंटे की ड्यूटी को लेकर चर्चा अभी भी जारी है। यह मुद्दा तब सामने आया जब खबरें आईं कि दीपिका पादुकोण ने संदीप रेड्डी वांगा की स्पिरिट और नाग अश्विन की कल्कि 2898 AD सीक्वल से वर्किंग ऑवर विवाद के चलते दूरी बना ली। कुछ सितारे और फिल्ममेकर्स इसे जरूरी मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे अव्यवहारिक बता रहे हैं।
थम्मा डायरेक्टर बोले: 12 घंटे सही, उससे ज्यादा गलत
फिल्म थम्मा के डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार ने इस बहस पर न्यूज 18 से बात करते हुए अपनी राय रखी और कहा कि शूटिंग के दौरान 12 घंटे की शिफ्ट समझदारी भरा कदम है, क्योंकि फिल्ममेकिंग में मेहनत और फोकस की जरूरत होती है। लेकिन 12 घंटे से ज्यादा काम करवाना कलाकारों और तकनीशियनों पर मानसिक और शारीरिक असर डाल सकता है। उन्होंने कहा कि इस इंडस्ट्री में कई बार 24 घंटे तक काम की उम्मीद की जाती है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है और यह लोगों की हेल्थ और प्राइवेट लाइफ पर बुरा प्रभाव डालता है।
रश्मिका बिना शिकायत 12 घंटे काम करती हैं
आदित्य ने अपनी फिल्म की लीड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का उदाहरण देते हुए कहा कि वह बिना किसी शिकायत के लगातार 12 घंटे काम करती हैं। उन्होंने बताया- “रश्मिका ने कभी नहीं कहा कि वह थक गई हैं। शायद इसलिए क्योंकि वह अभी उस दौर में हैं जहां वह इतने घंटे काम कर सकती हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर किसी पर यही नियम लागू हो।”
दीपिका को लेकर भी दिया बयान
दीपिका के 8 घंटे वाले स्टैंड पर उन्होंने कहा कि इस मांग को समझना चाहिए। हर किसी की काम करने की क्षमता, शरीर की जरूरत और प्रोजेक्ट की प्रकृति अलग होती है। इसलिए एक नियम सभी पर थोपना सही नहीं है। सरपोतदार ने साफ कहा कि एक्टर और डायरेक्टर के बीच तालमेल होना जरूरी है, तभी अच्छा काम हो सकता है।
डायरेक्टर ने टीम की जिम्मेदारी भी बताई
उन्होंने यह भी कहा कि डायरेक्टर की जिम्मेदारी है कि वह अपनी टीम का ध्यान रखे, जैसे उन्होंने अपनी फिल्म में दिग्गज अभिनेता परेश रावल के साथ किया। अगर कलाकार या टीम सहयोग में है, तभी शूटिंग सुचारू रूप से हो सकती है।