कभी गुरुद्वारे में ‍कीर्तन करते थे दिलजीत दोसांझ, 8 साल की उम्र की थी घर से भागने की कोशिश

WD Entertainment Desk
सोमवार, 6 जनवरी 2025 (10:58 IST)
दिलजीत दोसांझ ने सिंगिंग से लेकर एक्टिंग तक अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पंजाब के एक छोटे से गांव से ‍निकले दिलजीत आज ग्लोबल स्टार बन चुके हैं। दिलजीत का जन्म 6 जनवरी 1984 को पंजाब के जालंधर जिले के दोसांझ कलां गांव में हुआ था। 
 
दिलजीत के बचपन का नाम दलजीत सिंह था। उन्होंने अपना नाम बदलकर दिलजीत कर लिया और नाम के पीछे अपने गांव का नाम दोसांझ जोड़ लिया। दिलजीत के पिता बलबीर सिंह पंजाब रोडवेज में कर्मचारी थे, तो मां सुखविंदर हाउसवाइफ। बचपन से ही दिलजीत का रुझान गायकी की और था। 
 
दिलजीत बचपन से ही गुरुद्वारे में कीर्तन गाया करते थे। इसके बाद 2002 में अपना करियर शुरू किया और अपने एल्बम स्माइल (2005) और चॉकलेट (2008) से पंजाबी संगीत में पहचान बनाई। उन्होंने 2010 में पंजाबी फिल्म मेल करादे रब्बा में कैमियो किया और 2011 में पंजाबी फिल्म 'द लायन ऑफ पंजाब' में मुख्य अभिनेता के रूप में डेब्यू किया। 
 
एक इंटरव्यू के दौरान दिलजीत ने अपने बचपन के बारे में बात की थी। दिलजीत ने बताया था कि उन्होंने 8 साल की उम्र में घर से भागने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, स्कूल टाइम में मुझे एक लड़की पसंद थी और दोस्तों के कारण मैंने उससे कह दिया था कि तेरी मेरी शादी होगी। उस लड़की ने टीचर से शिकायत कर दी। जिसके बाद टीचर ने मुझसे पेरेंट्स को लाने के लिए कहा था। मुझे लगा अब दुनिया खत्म हो गई इसलिए मैंने घर से भागने की कोशिश की थी। इस वक्त मैं 8 साल का था।
 
वहीं रणवीर अल्लाहबादिया संग बातचीत के दौरान दिलजीत दोसांझ ने बताया था कि उन्हें 11 साल की उम्र में अपने माता-पिता का घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। परिवार के साथ उनका रिश्ता तनावपूर्ण था, क्योंकि बचपन में ही उनके पैरेंट्स ने उन्हें एक रिश्तेदार के घर भेज दिया था। 
 
दिलजीत ने कहा था, मैं 11 साल का था, जब मैंने अपना घर छोड़ दिया और अपने मामाजी के साथ रहने लगा। मैं अपना गांव छोड़कर शहर आ गया। मैं लुधियाना शिफ्ट हो गया। मामा ने कहा, 'उसे मेरे साथ शहर भेज दो' और मेरे माता-पिता ने कहा 'हां, उसे ले जाओ।' मेरे माता-पिता ने मुझसे पूछा भी नहीं।
 
दिलजीत ने बताया था कि माता-पिता का घर छोड़ने के बाद वह शहर में एक छोटे से कमरे में अकेले रहते थे। मैं बस स्कूल जाता था और वापस आ जाता था, वहां कोई टीवी नहीं था। मेरे पास बहुत समय था। उस समय हमारे पास मोबाइल फोन नहीं थे, यहां तक कि अगर मुझे घर पर फोन करना होता था या अपने माता-पिता का फोन रिसीव करना होता था, तो इसके लिए हमें पैसे खर्च करने पड़ते थे। इसलिए मैं अपने परिवार से दूर होने लगा।
 
दिलजीत ने बताया था कि उनके पैरेंट्स ने अच्छे भविष्य के लिए उन्हें दूर भेजा था। मैं अपनी मां की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं। मेरे पापा बहुत स्वीट हैं। उन्होंने मुझे कुछ नहीं पूछा कि स्कूल में पढ़ते हो। लेकिन मेरा कनेक्शन टूट गया था। ना सिर्फ उनके साथ बल्कि सबके साथ। 

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