रवीना टंडन बोलीं- 90 के दशक में सोशल मीडिया रहता तो कई लोग होते एक्सपोज

Webdunia
गुरुवार, 28 नवंबर 2019 (11:08 IST)
रवीना टंडन हमेशा से अपनी बेबाक राय को लेकर चर्चा में रही हैं। 90 के दशक में रवीना टंडन बॉलीवुड इंडस्ट्री की लीड एक्ट्रेस थीं। वह उस समय के टॉप अभिनेताओं के साथ काम करती थीं।


रवीना ने हाल ही में एक चैट शो में हिस्सा लिया और मौजूदा समय में सोशल मीडिया की वजह से समाज में आए बदलाव पर अपनी राय रखी। उन्होंने इस बारे में भी अपनी प्रतिक्रिया दी कि सोशल मीडिया की सक्रियता से बॉलीवुड में क्या परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।
 
ALSO READ: करीना कपूर ने दो बार ठुकराया था सैफ अली खान का प्रपोजल, एक्ट्रेस ने बताया दिलचस्प किस्सा
 
रवीना ने कहा कि 90 के दशक में सबसे दुखद चीज यह थी कि सोशल मीडिया नहीं था। उस दौरान अखबार और मैगजीन में जो भी छप कर आता था पाठक उस पर ही यकीन कर लेते थे। 
 
किसी के पास अपनी राय रखने का कोई माध्यम ही नहीं था। लोग बस अखबार में लिखी बातों पर यकीन कर लेते थे। यदि 90 के दशक में सोशल मीडिया होता तो कई सारे लोग एक्सपोज होते।
 
रवीना ने साल 1991 में पत्थर के फूल फिल्म से बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा था। रवीना टंडन फिलहाल फिल्मों में सक्रिय नहीं हैं। हालांकि कुछ दिन पहले वह रियलिटी शो नच बलिए 9 को जज कर रही थीं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

बॉलीवुड हलचल

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी डिजाइनर संग पोज देती नजर आईं करीना कपूर, यूजर्स ने लगाई क्लास

संजय लीला भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार ने पूरे किए 1 साल, सीरीज ने तोड़े कई रिकॉर्ड्स

इंस्टाग्राम बना सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मीशा अग्रवाल की मौत की वजह, डिप्रेशन की वजह से किया सुसाइड

मोनालिसा ने फिर गिराई बिजलियां, जंप सूट में शेयर की सुपर हॉट तस्वीरें

मेरा नाम जोकर में ऋषि कपूर ने निभाया था अपने पिता के बचपन का किरदार, मिला था बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड

सभी देखें

जरूर पढ़ें

केसरी चैप्टर 2 मूवी रिव्यू: अक्षय कुमार की फिल्म दिखाती है जलियांवाला बाग की एक अनकही लड़ाई

ट्रांसपेरेंट गाउन पहन तृप्ति डिमरी ने फ्लॉन्ट किया कर्वी फिगर, देखिए तस्वीरें

जाट मूवी रिव्यू: सनी देओल का ढाई किलो का हथौड़ा और सॉरी बोल का झगड़ा

ब्लू साड़ी में श्रीलीला का सिजलिंग अंदाज, हॉट तस्वीरों से इंटरनेट पर लगाई आग

लुटा-पिटा है ये सिकंदर, मनोरंजन की जगह सिरदर्द | सिकंदर फिल्म समीक्षा

अगला लेख