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संजय लीला भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार ने पूरे किए 1 साल, सीरीज ने तोड़े कई रिकॉर्ड्स

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WD Entertainment Desk

, बुधवार, 30 अप्रैल 2025 (17:01 IST)
संजय लीला भंसाली, भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित फिल्मकारों में से एक, हमेशा से अपनी भव्य प्रस्तुतियों, गहन निर्देशन और विलक्षण दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्में भारतीय संस्कृति और विरासत का उत्सव मनाती हैं और वैश्विक स्तर पर दर्शकों से जुड़ती हैं। 
 
एक साल पहले, भंसाली ने डिजिटल माध्यम पर अपनी पहली प्रस्तुति 'हीरामंडी : द डायमंड बाज़ार' के जरिए धमाकेदार एंट्री की, जो जल्द ही भारत की ग्लोबल ब्रेकआउट हिट बन गई। भंसाली की इस वेब सीरीज़ ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उनकी सिनेमाई भव्यता को बरकरार रखते हुए एक भावनात्मक और संवेदी कहानी पेश की। 
 
हीरामंडी न केवल भारत में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी छा गई। इसने कई रिकॉर्ड तोड़े और डिजिटल कहानी कहने की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में खुद को स्थापित किया। 1 मई को रिलीज़ हुई हीरामंडी ने पहले ही सप्ताह में तहलका मचा दिया। यह भारत की सबसे अधिक देखी जाने वाली वेब सीरीज़ बन गई और वैश्विक स्तर पर दूसरे नंबर की सबसे अधिक देखी गई गैर-अंग्रेज़ी भाषा की वेब सीरीज़ बनी। 
 
पहले सात दिनों में इसे 4.5 मिलियन व्यूज़ और 33 मिलियन घंटों की व्यूअरशिप मिली। यह अब तक की सबसे बड़ी भारतीय स्क्रिप्टेड सीरीज के रूप में उभरी, जिसने 43 देशों में टॉप 10 लिस्ट में जगह बनाई। नेटफ्लिक्स की नॉन-इंग्लिश टीवी लिस्ट में दूसरा स्थान हासिल कर हीरामंडी ने भारतीय कहानी कहने की ताकत और उसकी वैश्विक पहुंच को साबित कर दिया।
 
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इस सीरीज में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, शर्मिन सहगल, संजीदा शेख, फरदीन खान, ताहा शाह बदुशा, शेखर सुमन और अध्ययन सुमन जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। शो की कहानी ब्रिटिश हुकूमत के समय लाहौर के रेड-लाइट इलाके हीरा मंडी में स्थापित है, जहां स्वतंत्रता संग्राम की बैकड्रॉप में प्रेम, बलिदान, सत्ता और प्रतिरोध की एक गूढ़ गाथा रची जाती है।
 
अपनी पहचान के अनुरूप भव्यता और गहराई से निर्देशित इस सीरीज ने संजय लीला भंसाली को एक बार फिर एक महान फिल्मकार के रूप में स्थापित किया। यह केवल एक क्रिटिकल सक्सेस नहीं थी, बल्कि एक सांस्कृतिक और सिनेमाई आंदोलन बन गई। हीरामंडी ने भारतीय ओटीटी जगत को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और भंसाली को राज कपूर, गुरु दत्त और के. आसिफ जैसे दिग्गजों की श्रेणी में ला खड़ा किया।

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