अक्षय कुमार जैसा सुपरस्टार, ‘खट्टा मीठा’ जैसी बड़ी फिल्म और प्रियदर्शन जैसा भरोसेमंद निर्देशक, पहली फिल्म में किसी और को क्या चाहिए। दक्षिण भारत में नाम कमा चुकी त्रिशा को लगा कि यह फिल्म उन्हें बॉलीवुड में भी स्थापित कर देगी, लेकिन हुआ आशा के विपरीत।
दर्शकों ने इस फिल्म को नकार दिया और त्रिशा की एक्टिंग की भी समीक्षकों ने बुराई की। कुछ ने तो यहाँ तक लिख दिया कि उनमें स्टार मटेरियल बिलकुल नहीं है।
ित्रशा कोशिश कर रही हैं कि इन आलोचनाओं को वे सकारात्मक रूप में लें। एक बार फिर प्रयास करें। श्रीदेवी की भी पहली हिन्दी फिल्म असफल हुई थीं। दूसरी फिल्म की सफलता के बाद वे सीधे नंबर वन के सिंहासन पर विराजमान हो गईं। शायद त्रिशा उनसे प्रेरणा लें।