हमदर्द नेशनल फाउंडेशन के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इस बाबद एक केस लगाया है। केस में कहा गया है कि फिल्म की डीवीडी और टीवी वर्जन से उनके प्रोडक्ट को हटा देने के बावजूद, वे चाहते हैं कि इसके लिए फिल्म निर्माता सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट करें। उन्होंने अपने सौ वर्ष पुराने ब्रांड को फिल्म में गलत रूप से प्रस्तुत करने के लिए निर्माताओं से माफी की मांग की है।
यह भी कहा गया है कि निर्माता जब तक माफी नहीं मांगेंगे तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने अपनी बात को सही साबित करने के लिए ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19’ का उल्लेख भी किया है, जिसके अनुसार फिल्म में किसी ब्रांड का अपमान करना गलत माना गया है। वहीं दूसरी ओर धर्मा प्रोडक्शंस के वकील ने कहा है कि हमने फिल्म के डीवीडी और टीवी वर्जन में से आपत्तिजनक हिस्सों को हटा दिया है। उन्होंने माफी की जरूरत से इंकार करते हुए कहा कि फिल्म में ब्रांड पर टिप्पणी या उपहास जानबूझकर नहीं किया गया था।
बात की जाए अदालत की तो वह धर्मा प्रोडक्शंस को फिल्म के टीवी वर्जन से विवादास्पद डायलॉग हटा लेने का निर्देश पहले ही दे चुकी है। ब्रांड की बात सुनकर अदालत ने अब दोनों पक्षों को आपस में इस मुद्दे को खत्म करने को कहा है। साथ ही अन्यथा की स्थिति में दोनों पक्षों को चार हफ्तों की अवधि में लिखित हलफनामा पेश करने के लिए भी कहा है।