गोविंद (रघुवीर यादव) एक वकील है, जिसे बड़ी मुश्किलों से अपना पहला केस मिलता है। उसके पिता एक जाने-माने वकील हैं। गोविंद एक खुशमिजाज़ शख्स है, जो मुवक्किल को बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार होता है। गोविंद और उसके सहायक शिशुपाल के साथ कुछ चौंका देने वाली घटना घटती है। उन्हें एक गंभीर केस मिलता है, जो बड़ा ही गंभीर है, लेकिन ये दोनों इसे बड़े मजाकिया और कॉमिक अंदाज से हल करते हैं।
इस केस के साथ गोविंद की जिंदगी अचानक बदल जाती है। उसे जेल में बंद कर दिया जाता है और पुलिस द्वारा प्रताडि़त किया जाता है। गोविंद की बीवी और बेटी भी उससे नफरत करने लगती हैं। लेकिन सारी परेशानियां उठाने के बाद भी गोविंद सच की तलाश जारी रखता है। फिल्म देश में मौजूद समय में घट रही घटनाओं पर प्रकाश डालती है और साथ ही साथ आपका मनोरंजन भी करती है।
हालांकि यह गोविंद का पहला केस है, लेकिन क्या वह और उसका असिस्टेंट मुवक्किल को बचा पाएगा? क्या वास्तविक दोषियों को सजा हो पाएगी? इन सवालों के जवाब मिलेंगे 'मैनू एक लड़की चाहिए' में।