आदि तोमर ने भारत के लिए मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीतने का एक सपना देखा था। यह दु:स्वप्न में बदल गया जब उसके दस्तानों के साथ एक महत्पूर्ण मैच में छेड़खानी कर साजिश रची गई और उसे एक औसत दर्जे के बॉक्सर, लेकिन राजनीतिक रूप से मजबूत प्रतिद्वंद्वी के हाथों शिकस्त झेलना पड़ी। अपराधी उसका अपना ही कोच देव खत्री था।
इस घटना के बाद आदि बिखर गया। बॉक्सिंग से उसका मोह मंग हो गया। उसका जीवन शराब, वेश्यालयों और लड़ाई में तब्दील हो गया। उसके वफादार दोस्त उसे किसी तरह एक निचले दर्जे की भारतीय महिला बॉक्सिंग टीम का कोच बन जाने के लिए राजी किया। उसे चेन्नई भेजा जाता है।
आदि का सपना अभी भी जिंदा है। वह मधी नामक एक उत्साही लड़की को चुनता है जो मछुआरा समुदाय से है। आदि को उसमें एक चैम्पियन नजर आता है। मधी के जरिये आदि अपना गोल्ड जीतने का सपना पूरा करना चाहता है, लेकिन आदि के पास उसका विश्वास जीतने, उसे प्रशिक्षित करने और अपना सपना पूरा करने के लिए नौ महीने हैं।
नौ महीने बाद विश्व चैम्पियनशिप होने वाली है और शुरू होती है एक असहज साझेदारी की यात्रा जिसमें एक पुरुष अपने खेल से प्यार करती है और लड़की को अपनी आजादी से प्यार है। यह एक सुंदर दोस्ती की भी शुरुआत है जिसकी यात्रा एक असंभव सपने को पूरा करने की दिशा में आरंभ होती है।