इस कहानी में करण जो एक पेंटर है, उसे एक लड़की का धुंधला चेहरा दिखाई दे रहा है। बहुत कोशिशों के बाद करण वह चेहरा कैनवास पर उतार पाता है। अब करण को जैसे लगता है कि उस पेंटिंग में बनी लड़की उसके जीवन में उसका प्यार बन कर आई है। उसे यकीन है कि वो तस्वीर वाली लड़की हकीकत में कहीं न कहीं जरूर होगी, इसलिए वह हर तस्वीर के नीचे लिखता है... 'कहीं है मेरा प्यार'।
एक दिन गोवा में एक बिज़नेस टायकून राहुल कपूर, उन तस्वीरों की सबसे ऊंची बोली लगा कर सारी तस्वीरें खरीद लेता है, जिससे करण को लगता है कि शायद वह इंसान उस तस्वीर में बनी लड़की को जानता होगा। यह आस लिए वह राहुल कपूर से मिलता है, मगर करण की इस तस्वीर वाली प्रेम कहानी का मजाक उड़ा कर राहुल उसे वापस जाने की नसीहत देता है।
करण के प्यार की दीवानगी बढ़ती जाती है और वह उस तस्वीर में बनी लड़की की तलाश जारी रखता है, जिसमें अनेक मोड़ आते हैं।
क्या तस्वीरों में बनी वह लड़की करण की सिर्फ एक कल्पना है या वह हकीकत में भी उसे मिलती है? राहुल कपूर का इन तस्वीरों से क्या संबंध है? क्या इस कहानी का आदम अपनी हव्वा को मिल पाता है? क्या वही है उसका प्यार?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए देखिए 'कहीं है मेरा प्यार'।