आला वैकुंठपुरमुलु फिल्म समीक्षा: स्क्रीनप्ले और अल्लू अर्जुन बनाते हैं फिल्म को देखने लायक

समय ताम्रकर
सोमवार, 31 जनवरी 2022 (14:46 IST)
पुष्पा द राइज की रिकॉर्ड तोड़ सफलता के बाद अल्लू अर्जुन को हिंदी भाषी दर्शक भी पहचानने लगे हैं। यही कारण है कि उनकी सफल फिल्म आला वैकुंठपुरमुलु को हिंदी में डब कर रिलीज किया जा रहा है। वैसे यह मूल भाषा में हिंदी सब टाइटल्स के साथ नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।
आला वैकुंठपुरमुलु की कहानी बरसों पुरानी है। बच्चों की अदला-बदली वाला खेल तो ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के जमाने से चला आ रहा है। यहां पर एक बदमाश नौकर अपने मालिक के बेटे से अपना बेटा पैदा होते ही बदल देता है ताकि उसका बेटा अमीरों की जिंदगी जी सके। दोनों ही बच्चे एक ही दिन पैदा हुए थे। मालिक के बेटे को वह हिकारत से पालता है, लेकिन यह बेटा बेहद होशियार रहता है। 
 
इस कहानी का अंत तो सभी को पता ही है कि नौकर की इस हरकत का भेद खुलना ही है, लेकिन शुरुआत से अंत के बीच का जो ड्रामा है वो मनोरंजक है। स्क्रीनप्ले इस तरह लिखा गया है कि यह आपको डेविड धवन और गोविंदा की फिल्मों की याद दिलाता है। 
 
एक देखी दिखाई कहानी पर स्क्रीनप्ले नयापन लिए हुए हैं। इसमें ढेर सारे किरदार हैं। कॉमेडी का पुट है। हीरो एक्शन और रोमांस भी कॉमेडी करते हुए करता है। कई सीन अच्छे से लिखे गए हैं जो लगातार मनोरंजन करते रहते हैं। 
 
फिल्म में सिनेमा के नाम पर छूट ली गई है और बात कहने में वक्त लिया गया है, लेकिन मनोरंजक दृश्यों का लगातार प्रवाह बना रहता है जिससे आप इन बातों को इग्नोर कर सकते हैं। 
 
निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास का प्रस्तुतिकरण अच्छा है। उन्होंने पूरा फोकस अल्लू पर रखा है। हर फ्रेम में अल्लू नजर आते हैं और उनके इर्दगिर्द, कहानी, किरदार, एक्शन और गाने रखे गए हैं। अल्लू निराश भी नहीं करते हैं। 
 
अल्लू के किरदार को बहुत अच्छे से डेवलप किया गया है। अपने पिता से अनबन, फिर नौकरी के लिए सिलेक्ट होना, वहां पर बॉस के साथ रोमांस करना, फिर अपनी असलियत जानना, अपने माता-पिता से उनको राज बताए मिलना, विलेन से पंगा लेना, हर सीक्वेंस में अल्लू छाए हुए हैं। वे हैंडसम लगे हैं और ओवर द टॉप रह कर भी उन्होंने अपने किरदार को इस तरह से पेश किया है कि वह दर्शकों को अच्छा लगता है। 
 
फिल्म कुछ जगह फूहड़ लगती है खासतौर पर अल्लू और उसकी बॉस का जो रोमांस है उसमें अल्लू का लगातार उसके पैरों को घूरना अटपटा सा है। लेकिन कई सीक्वेंस मनोरंजक हैं- जैसे अल्लू का कांफ्रेंस में मेज पर खड़े होकर गानों के जरिये अपनी बात कहना, पुलिस ऑफिेसर और अल्लू के बीच के दृश्य, विलेन को उसकी जगह जाकर मजा चखाना, अल्लू और उसके नाना के बीच के दृश्य। 
 
अल्लू अर्जुन ने पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर उभारा है। एक्शन, इमोशन, कॉमेडी, रोमांस सबमें वे छाए रहे। उनका डांस शानदार है। पूजा हेगड़े सुंदर लगी और जितने भी दृश्य उन्हें मिले अपना काम उन्होंने अच्छे से किया। मुरली शर्मा ने अपने कैरेक्टर को एक खास मैनेरिज्म दिया और कमाल का काम किया। जयराम, तब्बू, सचिन खेड़ेकर, राजेन्द्र प्रसाद सहित सारे सह कलाकारों ने खूब साथ दिया है। 
 
हिंदी वर्जन में गाने जरूर अपना थोड़ा असर खोते हैं, लेकिन फिल्मांकन आंखों को सुकून देता है। हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्म देखना चाहते हैं तो आला वैकुंठपुरमुलु को वक्त दिया जा सकता है। 
 
निर्माता : अल्लू अरविंद, एस. राधा कृष्ण 
कलाकार : अल्लू अर्जुन, पूजा हेगड़े, तब्बू, सचिन खेड़ेकर, जयराम, मुरली शर्मा
ओटीटी प्लेटफॉर्म : नेटफ्लिक्स 

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