बाबूमोशाय बंदूकबाज :‍ फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'रमन राघव 2.0' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक हत्यारे की भूमिका निभाई थी जो अपनी सनक के चलते लोगों को मार डालता है। नवाज अपनी ताजा फिल्म 'बाबूमोशाय बंदूकबाज' में भी हत्यारे के रोल में हैं, फर्क यह है कि यहां वह पैसे लेकर लोगों को ठिकाने लगाते हैं। 
 
बाबूमोशाय बंदूकबाज देखते समय आपको कई फिल्में याद आएंगी क्योंकि चिर-परिचित सेटअप है। उत्तर प्रदेश का ग्रामीण इलाका, भ्रष्ट पुलिस और राजनेता जो अपने हित साधने के लिए लोगों को मरवाते हैं। साथ में बाबू की भी कहानी है जो या तो बंदूक चलाता है या सेक्स करता है। वासना प्रेम में बदल जाती है और बाबू धोखा खा बैठता है। उसे अपने धंधे में युवा बांके बिहारी (जतिन गोस्वामी) से भी मुकाबला करना पड़ता है जो बाबू को अपना गुरू मानता है। 
 
इस फिल्म का निर्देशन कुशाण नंदी ने किया है और उन्होंने बाबू को एक जानवर जैसा दिखाया। उसका रहन-सहन और सोच इंसानों जैसी नहीं लगती। माहौल बनाने के लिए कुशाण ने फिल्म को वैसा ही फिल्माया है। थूकते, हगते, बिना नहाए लोग, गटर, धूल, भिननिभाती मक्खियों के बीच उन्होंने क्रूरता पूर्वक खून-खराबा दिखाया है। फिल्म में कई बोल्ड सीन भी हैं जिनमें प्रेम कम झलकता है। गालियों से भी परहेज नहीं है। 
 
फिल्म की कहानी पूरी तरह से बाबू पर फोकस है। शुरुआत अच्छी है, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है अपनी धार खोती जाती है। सवाल उठने लगता है कि यह फिल्म क्यों बनाई गई है? न इसमें मनोरंजन है, न कोई संदेश और न कोई अनोखी बात। सारे किरदार स्वार्थी हैं, लालची हैं, उनमें किसी किस्म की वफादारी नहीं है। 
 
 
छोटी सी कहानी को इतना लंबा खींचा गया है कि फिल्म खत्म होने का लंबा इंतजार करना पड़ता है। गुरु-चेले के किस्से को भी कुछ ज्यादा ही लंबा खींच लिया गया है। फिल्म में पॉवरफुल नेता और पुलिस एक टुच्चे से हत्यारे को देख इतना क्यों घबराते हैं, समझ से परे है। 
 
निर्देशक के रूप में कुशाण पर अनुराग कश्यप का हैंगओवर रहा। बाबूमोशाय के किरदार को उन्होंने अच्छी तरह से पेश किया। उनका प्रस्तुतिकरण भी अच्छा है, लेकिन कमजोर कहानी के आगे वे भी असहाय नजर आए। 
 
नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने अभिनय के दम पर फिल्म को कंधे पर उठाए रखते हैं। बाबू का किरदार शायद ही उनसे बेहतर तरीके से कोई निभा सकता है। हवस, क्रूरता, हिंसा को उन्होंने अपने अभिनय के जरिये जोरदार तरीके से परदे पर पेश किया है। फिल्म में उनके अभिनय के बूते पर कई सीन मजेदार बने हैं। खासतौर पर उनकी संवाद अदायगी शानदार है। 
 
नवाज के अभिनय की आंधी का सामने बिदिता बाग और जतिन गोस्वामी मजबूती से डटे रहे। फिल्म के अन्य कलाकारों का काम भी शानदार है। 
 
कुल मिलाकर बाबूमोशाय बंदूकबाज ऐसी फिल्म है, जिसे न देखा तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। 
 
निर्माता : किरण श्याम श्रॉफ, अश्मित कुंदर, कुशाण नंदी  
निर्देशक : कुशाण नंदी  
कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, बिदिता बेग, जतिन गोस्वामी, श्रद्धा दास, दिव्या दत्ता   
सेंसर सर्टिफिकेट : ए 
रेटिंग : 2/5 

सम्बंधित जानकारी

रवि दुबे-सरगुन मेहता की नई वेब सीरीज 'रफू' में मुख्य भूमिका में नजर आएंगी आयशा खान

सलमान खान की वजह से आमिर खान को मिला दंगल का टाइटल

सिनेमा लवर्स के लिए खास ऑफर, 29 नवंबर को महज इतने रुपए में देखें द साबरमती रिपोर्ट

सन ऑफ सरदार के निर्देशक अश्विनी धीर पर टूटा दुखों का पहाड़, सड़क हादसे में 18 साल के बेटे का निधन

स्टार प्लस पर वापसी करने जा रहे नकुल मेहता, सुपरस्टार बहू कॉम्पिटिशन को लेकर खोले राज

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

अगला लेख