डॉक्टर जी फिल्म समीक्षा: आयुष्मान खुराना की बढ़िया एक्टिंग और हंसाने वाले दृश्यों के बीच फीकी रही कहानी

समय ताम्रकर
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2022 (13:57 IST)
Doctor G Movie Review आयुष्मान खुराना उन बॉलीवुड हीरो में से हैं जिनके साथ नए विषय को लेकर प्रयोग करने में फिल्मकार घबराते नहीं हैं चाहे 'विकी डोनर' हो या 'बधाई हो' हो। अधिकांश बार प्रयोग सफल रहे हैं और बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता मिली है। 

 
'डॉक्टर जी' (Doctor G Movie Review) में आयुष्मान भी हैं और नया विषय भी। यह मेल गाइनीकोलॉजिस्ट के बारे में है। पुरुष स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाने में महिला को हिचकिचाहट होती है और पुरुष भी इस क्षेत्र में एडमिशन लेने से हिचकते हैं। यही कहानी है फिल्म डॉक्टर जी के नायक उदय गुप्ता (आयुष्मान खुराना) की। वह तो हड्डी रोग विशेषज्ञ बनना चाहता है, लेकिन पीजी के लिए उसे एडमिशन नहीं मिलता तो वह मन मार कर गाइनी में एडमिशन लेता है। 
 
वहां पर सीनियर लड़कियां उसकी रेगिंग लेती है। महिलाओं के पास जाने में वह डरता है और कई अजीब-अजीब परिस्थितियां सामने आती हैं जिससे उसका काम में मन नहीं लगता। इससे अस्पताल में उदय की सीनियर नंदिनी श्रीवास्तव (शैफाली शाह) बहुत नाराज होती है। 
 
इस मुख्य कहानी (Doctor G Movie Review) के साथ-साथ स्क्रीन प्ले राइटर्स (सुमिता सक्सेना, सौरभ भारत, विशाल वाघ, अनुभूति कश्यप) ने कुछ और बातें भी जोड़ी हैं। उदय और उसकी मां के दृष्टिकोण के जरिये युवा अपने माता-पिता के बारे में सोचते हुए संकीर्णवादी हो जाते हैं, इसकी झलक दिखाई है। 
उदय की मां टिंडर पर अपना साथी चुनती है तो वह अपनी मां को कहता है कि लोग क्या कहेंगे? यानी युवा खुद के बारे में सोचते हुए आधुनिकता को अपनाते हैं और माता-पिता के बारे में सोचते समय रूढ़ीवादी हो जाते हैं। 
 
उदय के दिमाग में पुरुष होने को लेकर दंभ है। वह क्रिकेट को लड़कों का और बैडमिंटन को लड़कियों का खेल मानता है। उसकी यही सोच प्रोफेशन में भी आड़े आ जाती है जब अपनी मरीज स्त्रियों का इलाज करते समय 'मेल टच' से मुक्त नहीं हो पाता। 
 
क्या लड़के और लड़की दोस्त नहीं हो सकते? यह बात स्क्रिप्ट राइटर्स ने उदय और फातिमा के रिश्ते के जरिये बहुत अच्छे से दर्शाई है। 
 
कहानी (Doctor G Movie Review) के साथ दाएं-बाएं चलने वाले ट्रैक तो अच्छे हैं, लेकिन मुख्य कहानी एक जगह आकर ठहर जाती है। मेल गाइनीकोलॉजिस्ट वाला आइडिया तो अच्छा है। उसको होने वाली परेशानियों के बाद लेखकों को समझ नहीं आया कि कहानी को कैसे आगे बढ़ा कर समापन किया जाए। किसी तरह से कुछ प्रसंग डाल कर फिल्म को खत्म किया गया है। 
 
नि:संदेह फिल्म (Doctor G Movie Review) में कुछ मनोरंजक संवाद हैं जो हंसाते हैं। कुछ ऐसे दृश्य हैं जो दिल को छूते हैं। कलाकारों की उम्दा एक्टिंग है जो बहुत ही सहजता से अपने किरदार निभाते हैं, लेकिन कहानी समग्र प्रभाव नहीं छोड़ पाती। 
 
जिस तरह से उदय अपना 'मेल ईगो' छोड़ता है, लड़के-लड़की की दोस्ती की बात को समझता है, इस बात को दर्शाने के लिए ठोस दृश्य नहीं लिखे गए हैं। 
 
निर्देशक अनुभूति कश्यप का प्रस्तुतिकरण अच्छा है। स्क्रिप्ट की कुछ कमियों के चलते भी वे दर्शकों का कुछ हद तक मनोरंजन करने में सफल रही हैं। साथ ही उन्होंने इमोशनल और कॉमिक सीन भी अच्छे से फिल्माए हैं। 
 
आयुष्मान खुराना ने अपना रोल सहजता से निभाया है। हालांकि भोपाली लहजा जहां याद आया कि भोपाली किरदार निभा रहे हैं वही अपनाया और बाकी जगह छूट-सा गया। रकुल प्रीत सिंह को कम सीन मिले, लेकिन उनका अभिनय उम्दा है। शैफाली शाह और शीबा चड्ढा सॉलिड एक्ट्रेसेस हैं और डॉक्टर जी में भी वे दमदार उपस्थिति दर्शाते हैं। 
 
डॉक्टर जी (Doctor G Movie Review) की कहानी को ठीक से समेटा भले ही नहीं गया हो, लेकिन चुटीले संवाद, बढ़िया अभिनय और कुछ अच्छे सीन की बदौलत दर्शकों का फिल्म में मन लगा रहता है। 
 

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